अंधेर नगरी चौपट राजा का अर्थ, सारांश, कहावत का मतलब

अपनी बोलचाल की भाषा में हम कई मुहावरों, लोकोक्तियों एवं कहावतों का प्रयोग करते हैं। आपने कई लोगों को अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि अंधेर नगरी चौपट राजा। और आज हम इसी के बारे में बात करने वाले हैं कि अंधेर नगरी चौपट राजा का मतलब क्या होता है?

अंधेर नगरी चौपट राजा का अर्थ

अंधेर नगरी चौपट राजा का मतलब राजा और प्रजा से है। जिस राज्य में सब ओर निराशा और अशांति का साम्राज्य हो, अशिक्षा और अनाचार व्याप्त हो, उसे अंधेर नगरी कहना अनुचित नहीं होगा। ऐसी अंधेर नगरी का शासक भी यदि मूर्ख और अविवेकी हो, तो इस राज्य जनता का ईश्वर ही मालिक है।

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने प्रसिद्ध प्रहसन में एक ऐसी अंधेर नगरी का वर्णन किया है, जिसका चौपट राज अपने अविवेकपूर्ण निर्णयों के कारण शासन और न्याय का विचित्र अंत करता है। ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ जैसी लोकोक्ति इस प्रहसन की रचना के बाद चौपट शासक की व्यवस्था और अंधकारपूर्ण वातावरण के संदर्भ में प्रचलित हुई है।

जिस राज्य में सब ओर निराशा और अशांति का साम्राज्य हो, अशिक्षा और अनाचार व्याप्त हो, उसे अंधेर नगरी कहना अनुचित नहीं होगा। ऐसी अंधेर नगरी का शासक भी यदि मूर्ख और अविवेकी हो, तो इस राज्य की जनता का ईश्वर ही मालिक है।

होना तो यह चाहिए कि शासक अपने विवेकपूर्ण आचरणों से शासन-व्यवस्था को संतुलित रखे, ताकि राज्य में कहीं अशांति और अंधकार का समावेश न हो। बिना सोचे-विचारे शासन करनेवाले प्रशासकों के कारण कोई भी बसी-बसाई नगरी अंधेर नगरी में बदल सकती है। ऐसे चौपट शासक पर जनता विश्वास नहीं करती और ऐसी अंधेर नगरी पर आक्रमण कर कोई भी विपक्षी आसानी से शासन कर सकता है।

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