आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका पर निबंध: Importance of Teachers Essay in Hindi

यह बात आपने कई बड़े-बुजुर्गों द्वारा सुना होगा कि गुरु बिना ज्ञान नहीं। हमारे जीवन में एक शिक्षक का महत्व इस स्तर तक का है कि आपके माँ-बाप तो आपको संस्कार सिखाते हैं, लेकिन पूरी दुनिया की शिक्षा एक शिक्षक के माध्यम से ही मिलती है। आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका पर निबंध के माध्यम से आज हम शिक्षकों की महत्ता के बारे में जानेंगे।

शिक्षक की भूमिका पर निबंध

प्राचीन समय में गुरु को अलग-अलग तरह की भूमिकाएँ निभानी होती थी, कभी माता-पिता की, कभी अध्यापक, कभी एक मित्र और कभी पथ-प्रदर्शक की। जिन विद्यार्थियों को जिन चीजों की आवश्यकताएँ रहती थीं, उसी प्रकार गुरु भी उनको शिक्षित करने की कोशिश करते थे। पर जैसे-जैसे हम गुरु-शिष्य परम्परा से आधुनिक शिक्षा प्रणाली में आते गए, भूमिकाएँ भी बदल गई।

आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका कुछ अलग है। आज के समय में शिक्षकों के पास एक-से-बढ़कर एक तकनीक है, जिससे वे और प्रभावशाली तरीक़े से बच्चों को पढ़ा सकते हैं। अब शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच पहले के जैसा लगाव नहीं रह गया है, सभी बस अपना पाठ्यक्रम को पूरा करने की होड़ में रहते हैं। और इस क्रम में हम जीवन की शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

एक ओर तो शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास किया जा रहा है और शिक्षकों को अपने नये परिवर्तनीय रोल समझने को कहा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर निजीकरण और किसी भी तरह से अधिकाधिक पैसे कमाने की प्रवृत्ति गम्भीर रूप से बढ़ी है। शिक्षकों को कम वेतन देकर उनका शोषण निजी शिक्षा संस्थाएँ जो हजारों की संख्या में हैं, कर रही हैं। इससे लाखों शिक्षकों का शोषण हो रहा है और उनका मनोबल, कार्यकुशलता और performance गिर रही है।

प्राचीन काल में शिक्षा दान की वस्तु समझी जाती थी और उसे निःशुल्क देना उचित माना जाता था, परन्तु अब शिक्षा एक बिकने वाली वस्तु बन चुकी है। सामान बेचने वाले आम भ्रष्ट व्यापारियों व दुकानदारों की ही भाँति सभी प्रकार की निजी शिक्षा संस्थाएँ कई तरह की बेईमानी और जाल-फरेबों से विद्यार्थियों से निर्ममतापूर्वक धन लूटने में लगी हैं।

शिक्षकों को शोषित करके वे अपने धन की निरन्तर बचत करने में लगे हुए हैं। निजीकरण के इस युग में भारतीय शिक्षकों के सामने अनेक तनावपूर्ण चुनौतियाँ सामने आ गई हैं। सरकारी पाठशालाओं में शिक्षकों के पदों को नहीं भरा जा रहा है और अधिक सरकारी शालाएँ नहीं खोली जा रही हैं।

इससे निजी शिक्षा संस्थाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी बढ़ रही है। एक ओर तो शिक्षा में गुणात्मक सुधार और मूल्यों की शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है, तो दूसरी वास्तविक समाजशास्त्रीय स्थिति बहुत ही खराब है।

आधुनिक युग में शिक्षक का महत्व

शिक्षा और शिक्षकों की स्थिति को सुधारे और उनका सशक्तीकरण किये बिना भारत के उज्ज्वल भविष्य की आशा करना केवल खुद को धोखा देने जैसा है।

  • आज के समय में शिक्षक को गुणवान होना बहुत आवश्यक है।
  • यदि शिक्षक योग्य है वह बच्चों के ऊपर दो प्रकार से सुन्दर प्रभाव डाल सकता है।
  • एक तो वह अपने चरित्र एवं व्यक्तित्व के प्रभाव से बच्चों में उचित गुणों का प्रादुर्भाव कर सकता है।
  • दूसरा, वह अपने उच्च ज्ञान द्वारा बच्चों में विद्या के प्रति अनुराग उत्पन्न कर सकता है।

यहाँ ज्ञान से हमारा मतलब है बच्चों का प्रकृति सम्बन्धी ज्ञान, विषय सम्बन्धी ज्ञान, वातावरण सम्बन्धी ज्ञान तथा उसमें सुधार लाने के सम्बन्ध में ज्ञान। इस प्रकार हम गुणी और योग्य अध्यापक उसे ही कहेंगे जो अच्छे व्यक्तित्व एवं चरित्र वाला तथा ज्ञानी है।

सभी शिक्षकों को यह समझना आवश्यक है कि उत्तम शिक्षण न केवल कला का शिक्षण है, न विज्ञान का, परन्तु कला के साथ विज्ञान का समावेश अध्यापन है। उत्तम शिक्षण संस्कृति से जुड़ा होता है। इस प्रकार अध्यापक को शिक्षा, दर्शन, शिक्षा-विधि एवं शिक्षा मनोविज्ञान का उत्तम ज्ञान होना आवश्यक है। उसे बच्चों को बच्चा समझकर ही शिक्षा देनी होगी, न कि व्यक्ति मानकर।

एक कुशल शिक्षक वह है जो बच्चों के अन्तर तक झाँक सकता है और उसको अपने आप एक ऐसे आदर्श की अनुभूति करा सकता है जो उसके अन्दर से विकसित हुआ हो तथा जिससे जीवन में प्रेरणा ग्रहण करके वह एक उत्तम मानव बन सके।

Leave a Comment

Exit mobile version