अभी कुछ दिनों से आप सभी ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के बारे में कहीं-न-कहीं जरुर सुना होगा। दरअसल, कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में जो गिरावट आयी है, उसे रोकने और आपका को अवसर में बदलने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। और आज हम आत्मनिर्भर भारत पर निबंध के माध्यम से जानेंगे कि आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है? इसके तहत उठाए गए मुख्य कदम एवं चुनौतियाँ कौन-कौन से हैं?
आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में सम्भावित गिरावट को रोकने व आपदा को अवसर में बदलने के लिए मई, 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तरह 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गयी जो देश की GDP का लगभग 10% है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मुख्य रूप से भूमि, श्रम तरलता और क़ानूनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
यह आर्थिक पैकेज छोटे व्यवसायों, कपड़ा उद्योग, घरेलू उद्योगों, मज़दूरों, MSME सही विभिन्न वर्गों की ज़रूरतों को पूरा करेगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का समय आ गया है। इसके लिए उन्होंने लोकल उत्पादों को प्रयोग करने, प्रचार करने तथा वैश्विक बनाने का आह्वान किया। इसके लिए उन्होंने ‘Vocal for Local’ का मंत्र दिया है।
आत्मनिर्भर भारत पर निबंध
आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना का आशय भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। वर्तमान भूमंडलीकरण के युग में आत्मनिर्भरता की परिभाषा में बदलाव आया है। अतः प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत की आत्मनिर्भरता, आत्म-केंद्रित से अलग है।
आत्मनिर्भर भारत में निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा, बल्कि दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ की संकल्पना में विश्वास करता है अर्थात् भारत की संस्कृति दुनिया को एक परिवार मानती है। अतः भारत की प्रगति में विश्व की प्रगति समाहित रही है। इस अभियान का लक्ष्य देश में एक मज़बूत आर्थिक परिवेश को निर्मित करना है, जिसमें सभी लोग प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो सकेंगे। यह मिशन दो चरणों में पूरा किया जाएगा।
पहले चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय विनिर्माण तथा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वहीं दूसरे चरण में रत्न, आभूषण, फ़ार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे पूर्ति के साथ निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के मुख्य कदम
- भारत को अपनी आधारिक संरचना पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- भारत को इच्छाशक्ति, समावेशन, निवेश, नवाचार पर ध्यान देना है।
- अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।
- 21वीं सदी में चुनौतियाँ और भी बढ़ रही हैं। अतः नए भारत के निर्माण की दिशा में भारत को भविष्य में और अधिक संरचनात्मक सुधारों की जरुरत हो सकती है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान की चुनौतियाँ
- सबसे पहले तो घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है, क्योंकि इसमें सरकार के राजकोषीय पैकेज के हिस्से के रूप में RBI की पूर्व घोषणाएँ शामिल हैं।
- सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता; जैसे- भारतीय रिज़र्व बैंक के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है।
- पैकेज में घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद वास्तविक रूप से GDP के 5% से भी कम राशि लोगों तक पहुँचने की उम्मीद है।
- भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता का स्तर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के अनुकूल नहीं है, साथ ही अधिक वित्तीय तथा तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता है, जो एक प्रमुख चुनौती है।
- भारत द्वारा 10 क्षेत्रों में आयात में कटौती की दिशा में अपनाए जाने वाले उपायों को WTO में चुनौती दी जा सकती है।
Aatmanirbhar Bharat Essay in Hindi
इस प्रकार, आत्मनिर्भर भारत अभियान के समक्ष चुनौतियाँ अवश्य हैं, किंतु इसकी लक्षित कार्यप्रणाली एक समावेश को बढ़ावा देती है, जिसमें विकास के सभी पहलू शामिल हैं, जो समानता व समता जैसे मानदंड को पूरा करते हैं। आने वाली समस्याओं के निदान के लिए तत्पर रहने के अनुकूल हैं, साथ ही इसमें नागरिकों के सशक्तिकरण जैसे पहलू भी शामिल हैं, जो बेहतर भारत के निर्माण की पूँजी है।
अतः भारत को दृढ़ इच्छाशक्ति, समावेशन, नवाचार पर कुशलतापूर्ण ध्यान देकर उन उद्यमों में निवेश पर अधिक ध्यान देना है, जिससे भारत को वैश्विक ताकत के रूप में उभरने की अधिक सम्भावना है और वैश्विक पटल पर आत्मनिर्भर भारत विषय के अन्य देशों का मार्गदर्शक बन सकेगा।