किशोरावस्था (Adolescence), एक ऐसी अवस्था या काल है, जिसमें मानव की शारीरिक वृद्धि तेज गाति से होती है. शारीरिक वृद्धि के साथ ही मनुष्य में परिपक्वता आती है. किशोरावस्था को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है. तो आज हम जानेंगे कि किशोरावस्था किसे कहते हैं? किशोरावस्था के प्रकार, विशेषताएँ क्या है?
किशोरावस्था किसे कहते हैं?
‘किशोरावस्था’ (Adolescence) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्द किशोर (Adole) + अवस्था (Scence) से मिलकर बना है. किशोरावस्था का मतलब, ‘परिपक्वता की ओर बढ़ना‘ है.
किशोरावस्था की आयु 12-19 वर्ष होता है. ‘स्टेनले हॉल’ नामक मनोवैज्ञानिक ने ‘किशोरावस्था की सिद्धांत’ दी है. इसलिए किशोरावस्था के पिता स्टेनले हॉल को माना जाता है.
मनुष्य के जीवन में यह काल 12 वर्ष से 19 आयु वर्ष तक रहता है. यह काल मनुष्य में सभी प्रकार की मानसिक शक्तियों के विकास का समय है. इस अवस्था में मानव में भावों के विकास के साथ-साथ कल्पना का विकास होता है. किशोरावस्था को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है.
किशोरावस्था के अन्य नाम
- Teen Age (किशोर उम्र)
- Age of Beauty (सुन्दरता की आयु)
- तनाव एवं तूफान की अवस्था (Stress and Strom age)
- नए जन्म का काल
- परिवर्तन का काल
- सर्वाधिक शारीरिक परिवर्तन का काल
- जीवन का सबसे कठिन काल
किशोरावस्था के प्रकार
किशोरावस्था के 3 प्रकार है,
- प्रारंभिक किशोरावस्था (Early Adolescence)
- मध्य किशोरावस्था (Middle Adolescence)
- उत्तर किशोरावस्था (Later Adolescence)
प्रारंभिक किशोरावस्था
यह अवस्था 10-13 वर्ष तक रहता है. इस चरण में बच्चे का यौन क्रिया विकसित होता है. प्रारंभिक किशोरावस्था को यौवनारंभ का काल (Puberty age) कहा जाता है.
मध्य किशोरावस्था
इस अवस्था का समय 14-15 वर्ष तक रहता है. इस उम्र में बच्चे विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होते है. और विपरीत लिंग के साथ संबंध बनाते है. इस अवस्था में बच्चे अपने अभिभावक से अलग पहचान बनाते हैं.
उतर किशोरावस्था
यह अवस्था 16-18 वर्ष या 19 वर्ष के बीच का समय होता है. इस उम्र में बच्चे वयस्क जैसा व्यवहार करते है. बच्चा अपने-आप में सोचता है कि, मैं बड़ा हो गया हूँ. लेकिन माता-पिता बच्चे को छोटा बच्चा समझते हैं.
किशोरावस्था की विशेषताएँ
- शारीरिक परिवर्तन व वृद्धि तेजी से होना
- भावनात्मक विकास होना
- अमूर्त चिंतन की भावना विकसित होना
- विद्रोह एवं हिंसक प्रवृत्ति की भावना आना
- विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होना
- कामवृत्ति की प्रवृत्ति
- एकता एवं सहयोग की भावना का विकास
- अपनी कैरियर संवारने में ध्यान देना
- स्वप्रेम की भावना विकसित होना
- खुद पर सबसे ज्यादा भरोसा होना
- धार्मिक भेदभाव एवं छुआछूत से दूर होना
- वीर पूजा की इच्छा
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