बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का महत्व, उद्देश्य और लाभ: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर निबंध

आपने कभी-न-कभी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ का नारा सुना ही होगा। यह भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य कन्या शिशुओं को बचाना और उन्हें शिक्षित करना है। हमारे समाज में पितृऋण से मुक्त होने के लिए बेटे के होने की एक काफ़ी ग़लत प्रभावी धारणा रही है जिससे कई लोग कन्याओं को गर्भ में ही मार देते हैं या फिर जन्म के बाद उन्हें कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है।

इससे लिंगानुपात काफ़ी नकारात्मक हो गई है, और इसी समस्या का निदान करने के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ योजना लाया गया है। आइए जानते हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का महत्व, उद्देश्य और लाभ क्या हैं?

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ क्या है?

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है जिसका मुख्य उद्देश्य कन्या शिशुओं को बचाने और पढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक करना है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का महत्व

  • कन्याओं को बचाने और गर्भ में मारे जाने पर प्रभावी नियंत्रण लगाने तथा उन्हें शिक्षित बनाने के उद्देश्य से ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ नाम से लड़कियों के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है।
  • इसके अंतर्गत बालिकाओं को बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए सामाजिक तौर पर प्रयास किया जा रहा है।
  • बालिकाओं के शैक्षिक विकास के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
  • इस योजना के अंतर्गत आम लोगों के बीच बच्चों के लैंगिक अनुपात में गिरावट और उससे पड़ने वाले प्रभावों को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
  • बेहतर शासन की दिशा में लैंगिक अनुपात कितना प्रभावी होगा, इसकी भी जानकारी दी जा रही है।
  • अलग-अलग प्रकार के अभियान और कार्यक्रमों के माध्यम से लैंगिक अनुपात में पिछड़े शहरों और ज़िलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने हेतु की गई है। इस योजना को भारत सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।

इस योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत ज़िले से किया गया था। इसके माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से अधिकार देने की कोशिश की जा रही है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भ्रूण के लिंक परीक्षण को रोकने के लिए बने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (PCPNDT Act), 1994 को लागू करने और उस पर निगाह रखने का काम कर रहा है।

इसी अभियान में मानव संसाधन विकास मंत्रालय बालिकाओं के स्कूल में नामांकन, बालिकाओं के स्कूल छोड़ने में गिरावट लाने, स्कूलों में बालिकाओं और बालकों के बीच सहज और समानता का संबंध बनाने, शिक्षा के अधिकार क़ानून को कड़ाई से लागू करने और बालिकाओं के लिए बुनियादी शौचालय बनाने का काम कर रहा है।

इस योजना के तहत लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लड़कियों की शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।

इसी के साथ ही माता-पिता लड़कियों को बोझ न समझे अर्थात् उसके भार को कम करने तथा लड़कियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई है। यह एक छोटी बचत योजना है, जो लड़कियों की शिक्षा तथा शादी में होने वाले ख़र्चों को आसानी से जुटाने में सहायक है।

वर्तमान में इस योजना का व्यापक प्रभाव हुआ है। इससे समाज में लड़कियों के जन्म और उनकी शिक्षा को लेकर सोच में बदलाव आया है। अतः यही कारण है कि अब महिलाओं में साक्षरता की दर भी बढ़ रही है। इसी योजना का ही प्रभाव है कि अब स्कूलों में बालिकाओं के नामांकन में बढ़ोतरी देखी जा रही है। लड़के तथा लड़कियों में भेदभाव कम होते दिख रहे हैं। साथ ही लड़कियों की भ्रूण हत्या में भी पहले की तुलना में कमी पाई गई है।

यह कहा जा सकता है कि बेटी को बचाने और उसे पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाने के लिए जब तक हम संवेदनशील नहीं होंगे, तब तक हम अपना ही नहीं, बल्कि आने वाली सदियों तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक भयानक संकट को निमंत्रण देंगे। बेटियाँ देश का भविष्य हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी स्त्रियों को अवसर मिले हैं उन्होंने अपनी उपलब्धियों के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आज शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक, रक्षा और राजनीति सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व बड़ी संख्या में अपनी भूमिका निभा रही है।

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