Corruption Essay in Hindi: भ्रष्टाचार क्या है? भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. भारत समेत अन्य विकसित देशों में भ्रष्टाचार काफी तेजी से फैलता जा रहा है. भ्रष्टाचार जैसी समस्या के लिए हम सभी ज्यादातर देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं. वर्तमान समय में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है, प्रत्येक क्षेत्र भ्रष्ट्राचार से घिरा है. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि भ्रष्ट्राचार क्या है? Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार क्या है? 

भ्रष्टाचार दो शब्दों ‘भ्रष्ट और आचरण‘ से मिलकर बना है. इसका शाब्दिक अर्थ भ्रष्ट आचरण होता है. ऐसा कार्य जो मनुष्य के द्वारा अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को दाव पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है. रिश्वत, कालाबाजारी, जमाखोरी, मिलावट ये सभी भ्रष्ट्राचार के ही रूप है. आज के समय में सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज इसकी चपेट में आ गया है.

आज के समय में व्यक्ति अपनी खुद की छोटी-छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु, देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है. देश के नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु दूकानदार द्वारा ग्राहकों को मिलावट राशन देना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है. साधारण भाषा में कहा जाए तो, अवैध तरीके से धन अर्जित करना भ्रष्ट्राचार है.

भ्रष्टाचार पर निबंध: Corruption Essay in Hindi

भूमिका- भ्रष्टाचार एक ज्वलंत समस्या है. आज के समय में शिक्षा, स्वास्थ्य , व्यापार, राजनीति, सामाजिक कार्य जैसी अन्य क्षेत्रों में भ्रष्टाचार विद्यमान है. कोई भी ऐसा क्षेत्र बाकी नहीं है, जहाँ भ्रष्टाचार न हो. नेता, अधिकारी रिश्वत ले रहे हैं, तो व्यापारी जमाखोरी, कालाबाजारी और वस्तुओं में  मिलावट कर रहे हैं. आम नागरिक भी किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में भागीदार हैं. सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज भ्रष्टाचार जैसी समस्या से ग्रसित है.

अर्थ- भ्रष्टाचार दो शब्दों- ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ के मेल से बना है. भ्रष्ट का अर्थ है निकष्ट ‘विचार’ और ‘आचार’ का अर्थ है आचरण करना. इसके वश  में होकर मनुष्य अपना सदाचार भूलकर भ्रष्ट आचरण करने लगता है.

यह एक विचित्र वृक्ष के समान है, जिसकी जड़े ऊपर की ओर तथा शाखाएं निचे की ओर बढ़ती है. इसकी विषैली शाखाओं पर बैठकर मनुष्य, मनुष्य का खून चूस रहा है. इस घृणित प्रकृति के कारण आज हमारे प्रयोग की हर वस्तु दूषित हो गई है, और होती ही जा रही है.

स्वरूप- भ्रष्टाचार को कई  रूपों में देखा जा सकता है. जैसे शुद्ध वस्तुओं में मिलावट, जमाखोरी, रिश्वत वसूलना और कालाबाजारी ये सभी भ्रष्टाचार रूपी परिवार के ही सदस्य है. आज सम्पूर्ण समाज तथा राष्ट्र इसके चपेट में आ गयी है.

चारों और फैले आर्थिक अभाव के वातावरण में समाज के समर्थ लोग अपने तथा अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा हेतु, भ्रष्ट तरीके अपनाने से जरा भी नहीं कतराते. भ्रष्टाचार का विष समाज के प्रत्येक मानव में फैलता जा रहा है.

भ्रष्टाचार पर लेख 

कारण- भ्रष्टाचार के लिए किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता बल्कि दोषी तो वह व्यवस्था है, जो धन-दौलत को मानवता से ऊपर समझती है. अतः हर प्रकार के भ्रष्ट आचरण द्वारा धनसंग्रह को बल मिला है. भ्रष्टाचार के कई कारण हो सकते हैं,

  •  भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है. लचीला कानून के होने की वजह से पैसे के दम पर अधिकांश भ्रष्टाचारी जेल से बरी हो जाते हैं. इससे
  • अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है और वे गलत कार्य करते रहते हैं.
  • इसका एक और गंभीर कारण है, व्यक्ति का लोभी स्वभाव होना.
  • लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है, व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है, जिसके कारण मिलावट का कार्य करता है.
  • व्यक्ति के व्यक्तित्व में आदत बहुत गहरा प्रभाव डालता है. मनुष्य का आदत भी भ्रष्टाचार के लिए उत्तरदायी है.
  • देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ रही है. किसी व्यक्ति को गलत तरीके से धन संग्रह करते देखकर, दूसरा व्यक्ति भी धन के लालच में गलत राह अपना लेता है.

Essay on Corruption in Hindi 

समाधान के उपाय- 

  • इस गंभीर समस्या का समाधान के लिए जनता एवं सरकार दोनों को मिलकर प्रयत्न करना होगा.
  • देश के लचीले कानून को शख्त करना और सभी तरह के अपराधी के लिए दंड का प्रावधान करना होगा.
  • प्रशासन की शक्तियाँ भ्रष्टाचार के मूल कारणों का पता लगाए.
  • इसके साथ ही जनता भी अपने सम्पूर्ण नैतिक बल और साहस के साथ भ्रष्टाचार को मिटाने का प्रयत्न करें.
  • भ्रष्टाचारियों से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे, चाहे वे कितने ही उच्चे पद पर क्यों ना हो, उन्हें भी दंड दिया जाना चाहिए.
  • सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे सभी कार्य निश्चित समय पर पूरे हो जाएँ और भ्रष्टाचार की खुशबू भी न आये.

निष्कर्ष- ये सभी कारक भ्रष्टाचार के उत्तरदायी है, भ्रष्टाचार से जुड़े सभी व्यक्तियों को दंड मिलना चाहिए. भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्या का निदान कारण भारत के लिए अति आवश्यक है. वरना सभी प्रगतिशील योजनाएँ मात्र कागज पर ही बनती रहेगी. यह एक गंभीर समस्या है, इसका निदान करना अतिआवश्यक है.

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