‘कौन कहता है आसमान में सुराख़ हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।’ यह प्रेरणादायक पंक्ति आधुनिक हिन्दी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार की एक कविता से उद्धृत है, और दुष्यंत कुमार जी ने इसी तरह की और भी प्रेरणादायक कविताएँ, ग़ज़ल और शायरी लिखी हैं। और आज आप Dushyant Kumar Shayari in Hindi के माध्यम से कुछ ऐसे ही चुनिंदा शेरों के बारे में जानने वाले हैं जो इन्होंने लिखी हैं।
Dushyant Kumar Motivational Quotes in Hindi
मेरे सिने में नहीं तो तेरे सिने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
ये सच है कि पाँवों ने बहुत कष्ट उठाए
पर पाँव किसी तरह राहों पे तो आए।
यहाँ तक आते-आते सुख जाती हैं कई नदियाँ
मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।
आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख
पर अंधेरा देखा तू आकाश के तारे न देख।
एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ
आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख।
आप दस्ताने पहनकर छू रहे हैं आग को
आप के भी खून का रंग हो गया है सांवला।
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं।
नज़र-नवाज़ नजारा बदल न जाए कहीं
ज़रा-सी बात है, मुँह से निकल न जाए कहीं।
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है
माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है।
मत कहो, आकाश में कुहरा घना हैं
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना हैं।
ये धुएँ का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँ
मुझे किस कदर नया है, मैं जो दर्द सह रहा हूँ।
अब किसी को भी नजर आता नहीं कोई दरार
घर की हर दीवार पर चिपके है इतने इश्तहार।
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