मानव पूँजी क्या है? भारत में मानव पूँजी के स्रोत (Sources) Human Capital Meaning in Hindi

Human Resource के बारे में शायद आपने सुना होगा, जहाँ हम सभी मनुष्यों को संसाधन की दृष्टि से देखते हैं कि ये किस तरह से किसी देश की प्रगति में योगदान दे सकते हैं। Human Capital यानी मानव पूँजी में मनुष्यों को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी उत्पादकता यानी productivity को बढ़ाने का काम किया जाता है। आइए Human Capital Meaning in Hindi और मानव पूँजी के स्रोत के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मानव पूँजी क्या है?

मानव पूँजी का तात्पर्य मनुष्य में विनियोग अथवा शिक्षा, ट्रेनिंग, स्वास्थ्य आदि पर किये गये व्यय के माध्यम से लोगों के ज्ञान, योग्यता, कौशल तथा शारीरिक क्षमता में वृद्धि के द्वारा उनकी उत्पादकता-योग्यता या क्षमता में वृद्धि कर उन्हें अधिक उत्पादन के यो सहायक होती है। दूसरे शब्दों में, मानवीय पूँजी में सुधार की प्रक्रिया को मानवीय पूँजी निर्माण कहते हैं।

The process of improvement in human capital is called human capital formation. मानवीय पूँजी श्रमिकों, कर्मचारियों, उद्यमियों तथा प्रबन्धकों में ही निहित होती है। वास्तव में, मानवीय पूँजी को इनसे अलग भी नहीं किया जा सकता है। Herbison के अनुसार, Human capital formation is the process of increasing knowledge, skill and capacities of the people of the country.

भारत में मानव पूँजी के स्रोत क्या हैं?

भारत में मानव पूँजी के स्रोत हैं शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्य-प्रशिक्षण, प्रवसन और सूचना-प्राप्ति पर निवेश।

शिक्षा में निवेश (Investment in Education)

शिक्षा में निवेश मानवीय पूंजी का एक स्रोत माना जाता है। शिक्षा मनुष्य को विवेकशील तथा तर्कशील बनाती है तथा उसकी सामान्य सूझ को विकसित करती है। शिक्षा से मनुष्य का दृष्टिकोण वैज्ञानिक और औचित्यपूर्ण बनता है जो नई चीजों को समझने और अपनाने में बहुत सहायक होता है। शिक्षा से अर्जन – क्षमता बढ़ती है। इससे समाज में सामाजिक स्तर ऊंचा होता है और लोगों को शिक्षित होने का गौरव प्राप्त होता है।

स्वास्थ्य में निवेश ( Investment in Health)

शिक्षा और प्रशिक्षण से मनुष्य की मानसिक प्रतिभाओं का विकास होता है, परन्तु स्वास्थ्य और पोषण से मनुष्य की शारीरिक क्षमताओं का विकास होता है। स्वास्थ्य का संबंध केवल रोग निवारण से नहीं, अपितु इससे कहीं अधिक है। स्वास्थ्य का संबंध शारीरिक एवं मानसिक सुख एवं कल्याण से है। एक स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से पूर्णतया कार्य करने योग्य होता है।

हम जानते हैं कि एक स्वस्थ मनुष्य रोगी पुरुष की अपेक्षा अच्छा काम कर सकता है। एक रोगी कार्यकर्त्ता जिसके पास चिकित्सा सुविधाएँ नहीं हैं कई दिन काम पर नहीं आ सकता है और परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आएगी। यदि उस कार्यकर्त्ता पर सरकार उसकी बीमारी के ठीक करने का व्यय करती है तब वह शीघ्र ही कार्य करने योग्य हो जायेगा।

कार्य का प्रशिक्षण पर व्यय (Expenditure on the job training to labourers)

कार्यस्थल पर प्रशिक्षण से अभिप्राय श्रमिकों को उसके आसन्न पर्यवेक्षक द्वारा कार्यस्थल पर ही प्रशिक्षण देना है। दूसरे शब्दों में प्रशिक्षण की इस विधि अन्तर्गत श्रमिक काम को वास्तविक परिवेश में सीखता है।

यह दो प्रकार से दिया जा सकता है— अपने शिक्षण दो कारखाने में ही तथा कारखाने से परे अन्य स्थानों पर। दोनों ही स्थितियों में कर्मचारी पर मालिक ही व्यय करता है। बाद में मालिक इस व्यय को कर्मचारी की उत्पादकता से होने वाले अतिरिक्त लाभ से पूरा कर लेता है।

प्रवसन पर व्यय (Expenditure on Migration)

प्रवसन से अभिप्राय नौकरी की तलाश में, अधिक आय को करने के लिए या व्यावसायिक अवसर अधिक होने के कारण एक स्थान (देश) से दूसरे स्थान (देश) को जाना। यह देशान्तरण आन्तरिक भी हो सकता है और विदेशी भी। देश के एक भाग से देश के दूसरे भाग में नौकरी की तलाश आदि के लिए जाने को आन्तरिक देशान्तरण कहते हैं।

सूचना प्राप्त करने पर व्यय (Expenditure incurred on getting education)

जिस प्रकार लोग शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं उसी प्रकार वे श्रम बाजार तथा अन्य बाजारों के बारे में सूचना प्राप्त करने के लिए भी व्यय करते हैं। सूचनाओं से हमें पता चलता है कि विभिन्न नौकरियों पर क्या-क्या वेतन मिलता है।

इससे हमें यह भी पता चलता है कि कौन सी शैक्षणिक संस्थाएँ हमें निपुणता प्रदान करती है, जिससे हमें नौकरी मिल सके और उस निपुणता को प्राप्त करने में हमें कितना लाभ करना पड़ेगा। अतः श्रम बाजार तथा अन्य बाजार के बारे में सूचना लेने के लिए किये गए खर्च मानव पूँजी निर्माण के स्रोत है।

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