भारत के प्रसिद्ध लोक गीत: Indian Folk Songs in Hindi

गाने सुनना सभी को पसंद होता है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता ने लोक संगीत के विविध रूपों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के लगभग सभी क्षेत्रों का अपना लोक संगीत है जो कि उस क्षेत्र के लोक जीवन को प्रतिबिम्बित करता है। और आज हम Famous Folk Songs of India यानी भारत के प्रसिद्ध लोक गीत के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 

Indian Folk Songs/लोकगीत

भारतीय लोक संगीत का सबसे प्राचीन उल्लेख वैदिक साहित्यों में मिलता है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व के हैं। कुछ विद्वान और विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतीय लोक संगीत इस राष्ट्र जितना ही पुराना हो सकता है। उदाहरण के लिए सम्पूर्ण भारत में प्रचलित और प्रसिद्ध लोक संगीत ‘पंडवानी’ हिंदू महाकाव्य ‘महाभारत’ जितना ही पुराना माना जाता है।

लोक गीतों की उत्पत्ति का कारण तथा इनका प्रयोग अधिकांशतः पूरे भारत में एक जैसे होते हैं। इन गीतों को गाने का तरीक़ा अलग-अलग प्रदेशों में वहाँ की संस्कृति के अनुसार भिन्न हो सकता है।

भारत के प्रसिद्ध लोक गीत

भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ प्रमुख लोक संगीत कुछ इस प्रकार हैं।

बिहू गीत: यह लोक संगीत असम के प्रसिद्ध बिहू उत्सव के समय गाया जाता है। यह संगीत मुख्यतः नृत्य के साथ ही प्रदर्शित किया जाता है जो वर्ष में तीन बार होता है। बिहू गीत के माध्यम से जुड़ी कहानियाँ कही जाती है और उनका गीतों का विषय मुख्यतः प्रकृति, प्रेम, संबंध, विशेष संदेश और हास्यप्रद कहानियाँ होते हैं।

उत्तराखंडी संगीत: यह संगीत उत्तराखंड के मुख्याह त्योहारों और धार्मिक कार्यक्रमों के अवसर पर गाया जाता है। ये गीत प्रकृति का महत्व, ऐतिहासिक चरित्रों की वीरता और शौर्य, कहानियाँ और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक क्रियाकलापों को अपना विषय बनाते हैं।

लावणी: लावणी महाराष्ट्र का एक प्रसिद्ध लोक संगीत है जो प्रारम्भिक रूप में सैनिकों के मनोरंजन के लिए गाया जाता था। यह सामान्यतया महिला लोक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह लोक संगीत समाज और राजनीति जैसे विषयों को संप्रेषित करता है।

पंडवानी: पंडवानी एक लोक संगीत है जो महाभारत के विभिन्न चरित्रों की शौर्य गाथाओं का चित्रण करता है। यह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में प्रसिद्ध है। यह एक बहुत ही पुराना लोक संगीत है जो तीजन बाई, झाड़ू राम देवगन, रितु वर्मा, उषा बार्ले, शांतिबाई चेलर और कई अन्य कलाकारों के प्रयासों से आज भी संरक्षित है।

रबीन्द्र संगीत: रबीन्द्र संगीत या टैगोर संगीत, प्रसिद्ध कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखे और संगीतबद्ध किए गए लोक गीतों का संग्रह है। इन गीतों में प्रमुख रूप से आधुनिकवाद/मानवीयता, प्रतिबिम्ब, प्रेम, मनोविज्ञान आदि जैसे विषय सम्मिलित हैं।

बाउल्स: 18वीं और 19वीं सदी के दौरान बंगाल के संगीतकारों का एक समूह बाउल्स के नाम से जाना गया। इनके द्वारा बनाया गया संगीत मुख्यतः धार्मिक होता है। बाउल्स लोग अलौकिक सत्य की खोज में पूरे भारत का भ्रमण किए। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कई गीत गाए जो बाद में बाउल्स संगीत के रूप में जाने गए।

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भारतीय लोक संगीत

भवगीत: भवगीत कर्नाटक का सबसे महत्वपूर्ण लोक संगीत है। भवगीत का शाब्दिक अर्थ- अभिव्यक्ति का संगीत है। इसीलिए गायक की अभिव्यक्ति इस संगीत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है। इस संगीत में प्रकृति, प्रेम, दर्शन आदि जैसे विविध विषय सम्मिलित है।

नातुपुरा पादलगल: नातुपुरा पादलगल तमिलनाडु का एक प्राचीन लोक संगीत है। भारत के अन्य लोक संगीतों की भाँति इस लोक संगीत का प्रयोग भी जनजातियों द्वारा खेती, फसलों की कटाई आदि के समय किया जाता है।

कुम्मी पातू: कुम्मी पातू भी तमिलनाडु का एक अन्य लोक संगीत है। यह संगीत मुख्यतः कुम्मी या कुम्मी अट्टम कहे जाने वाले लोक नृत्य के साथ गाया जाता है। त्योहारों और रीति-रिवाजों के दौरान यह पूरे तमिलनाडु में गाया जाता है।

जेलियांग: यह संगीत का बहुत ही प्राथमिक रूप है जो कि नागालैंड के इतिहास के साथ-साथ जेलियांग आदिवासी समूह के जीवन में प्रेम आदि विषयों की बात करता है। इनके गीतों में प्रेम, उनके पूर्वजों की कहानियों से लेकर खेती के जगाने तक सम्मिलित हैं। संगीत मुख्यतः समूह में नृत्य के साथ तथा बातचीत के रूप में होता है।

कोली: यह महाराष्ट्र के मछुआरों का गीत है। ये गीत समुद्र में उनके जीवन, मछली पकड़ने आदि के बारे में है। कोली संगीत उनके नृत्य पर आधारित है जो इस समुदाय का एक विशिष्ट नृत्य प्रकार है। यह गीत-नृत्य तीव्र स्वर, जीवंत और तीव्र गति वाला होता है।

भटियाली: जिस प्रकार महाराष्ट्र के मछुआरों का संगीत कोली है, वैसे ही बंगाल के नाविकों का गीत भटियाली कहलाता है। हालाँकि गीतों के शब्द और संगीत का तरीक़ा अलग है, और यह भिन्नता इन गीतों के दर्शन में भी है। इस संगीत के विषय क्षेत्र में प्रकृति-तत्व या प्रकृति के पदार्थ सुरों के प्रवाह के साथ सम्मिलित होते हैं।

मांड: यह राजस्थान का एक पारम्परिक लोक संगीत है। मांड अपने शास्त्रीय रागों के लिए भी पहचाना जाता है। अपने अर्थपूर्ण रागों के साथ यह एक हृदय स्पर्शी संगीत है। इसके गीतों में राजस्थान के जीवन की बहुत-सी बारीक झलक देखने को मिलती है।

कजरी: शास्त्रीय प्रभाव वाले लोक संगीत का एक अन्य प्रकार कजरी है, जिसका उद्गम उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में माना जाता है। इसका संगीत मानसून की ऋतु में पति के लम्बे समय तक बाहर रहने के विरह में डूबी नायिका के उदास भावों के रूप में जाना जाता है।

दुलपद: गोवा के बहुत सारे लोक गीतों के बीच दुलपद एक ऐसा लोक संगीत है जो गोवा की वास्तविक अनुभूति देता है। यह एक लयबद्ध संगीत है जो भर्तेय और पश्चिमी संगीत का एक सम्पूर्ण उचित मिश्रण है। यह गीत गोवा के दैनिक जैन-जीवन को अपने में समेटे है।

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