जब भी आप वेटलिफ्टर के बारे में सुनते होंगे, तो आपके मन में कर्णम मल्लेश्वरी का नाम आता होगा. कर्णम मल्लेश्वरी भारत की प्रथम महिला भारोत्तोलक यानि वेटलिफ्टर (Weightlifter) है. मल्लेश्वरी ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं. इन्होनें 12 वर्ष की आयु में ही वेटलिफ्टिंग के क्षेत्र में अपनी करियर की शुरुआत की थी. तो आज आप जानेंगे भारत की प्रथम महिला वेटलिफ्टर, कर्णम मल्लेश्वरी का जीवन परिचय के बारे में. Karnam Malleswari Biography in Hindi
कर्णम मल्लेश्वरी कौन है?
कर्णम मल्लेश्वरी, भारत की प्रथम महिला भारत्तोलक (वेटलिफ्टर) है. जो भारत के आंध्रप्रदेश/ तेलंगाना राज्य की रहने वाली है. इन्होनें छोटी उम्र में ही, केवल 12 वर्ष की आयु में ही वेटलिफ्टिंग शुरू कर दी थी. इन्होनें अपनी करियर की शुरुआत जूनियर चैम्पियनशिप से की थी, जहाँ उन्होंने प्रथम स्थान पर कब्ज़ा किया. वर्त्तमान में कर्णम मल्लेश्वरी वेटलिफ्टिंग से सेवानिवृत हो गयी है.
कर्णम मल्लेश्वरी का जीवन परिचय
कर्णम मल्लेश्वरी का जन्म 1 जून, 1975 को आंध्र प्रदेश राज्य के ‘श्रीकाकुलम‘ में हुआ था. जो आज तेलंगाना राज्य के अंतर्गत आता है. इनकी माता का नाम श्यामला और पिता जी का नाम कर्णम मनोहर है. इनके पिता जी पुलिस कांस्टेबल हैं. कर्णम मल्लेशरी केवल 12 वर्ष की आयु में ही वेटलिफ्टिंग में अपनी करियर की शुरुआत की. इनकी ओर चार बहनें है. इनकी सभी बहनें वेटलिफ्टिंग की तैयारी कर रही है.
उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप से थी, जहां उन्होंने प्रथम स्थान में कब्ज़ा किया. कर्णम मल्लेश्वरी 130 किलोग्राम (Kg) वजन उठा लेती हैं. इन्होनें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 29 मैडल (पदक) जीते हैं.
कर्णम मल्लेश्वरी ने 1997 में भारतीय वेटलिफ्टर राजेश त्यागी से शादी की. और उसके बाद प्रतिस्पर्धी वजन उठाने से अल्प विराम हेतु यमुनानगर, हरियाणा चली गयी. उसके बाद 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए लौटी और उसमें कांस्य पदक पर कब्ज़ा की. 1999 के एथेंस विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में कर्णम मल्लेश्वरी पदक प्राप्त करने में असफल रही. परन्तु 2000 की ओलंपिक खेल में उन्होंने कांस्य पदक पर कब्ज़ा किया, इस पदक को हासिल करने के साथ कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक में पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी.
Karnam Malleswari Biography in Hindi
भारत की प्रथम महिला भारत्तोलक (वेटलिफ्टर), कर्णम मल्लेश्वरी ने 12 वर्ष की अल्पायु में ही वेटलिफ्टिंग की शुरुआत की. उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत जूनियर चैंपियनशिप से की, जिसमें प्रथम स्थान हासिल की. 1992 के एशियन चैंपियनशिप में मल्लेश्वरी ने 3 रजत पदक जीते. वैसे तो कर्णम मल्लेश्वरी ने विश्व चैंपियनशिप में 3 कांस्य पदक पर कब्जा की, किन्तु उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2000 के सिडनी ओलंपिक में मिली. सिडनी के ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पद पर कब्जा किया, इसी पदक को प्राप्त करने के साथ कर्णम मल्लेश्वरी भारत की प्रथम महिला वेटलिफ्टर (भारत्तोलक) बनी.
कर्णम मल्लेश्वरी की प्रतिभा की पहचान ‘अर्जुन पुरस्कार’ विजेता मुख्य राष्ट्रीय कोच श्यामलाल सालवान ने की. जब कर्णम मल्लेश्वरी अपनी बड़ी बहन के साथ बंगलौर कैम्प 1990 में गई थी. राष्ट्रीय कोच/ प्रशिक्षक ने कर्णम मल्लेश्वरी को भारोत्तोलन खेल (Weightlifting) खेलने की सलाह दी. उन्हीं की सलाह से उन्होंने वेटलिफ्टिंग करना शुरू की और एक वर्ष में भारतीय टीम में शामिल हो गयी.
1992 के चैंपियनशिप वह भारतीय टीम से खेली और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक पर कब्ज़ा की. कांस्य पदक पाने की उत्साह से 1994 और 1995 में भी विश्व चैंपियन रही. इसी प्रकार कर्णम मल्लेश्वरी पदक हासिल करती रही और आगे बढती रही. लेकिन 2000 में सिडनी ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों का चयन हो रहा था, उस समय उनका मनोबल कम हो गया.
क्योंकि सिडनी ओलंपिक के लिए खिलाडियों के नाम के लिस्ट में उनका नाम शामिल किये जाने पर आलोचना हो रही थी. आलोचलना की जा रही थी कि कर्णम मल्लेश्वरी भारतीय सरकार के खर्चे पर टूरिस्ट बनकर जा रही है. आलोचनाओं के बाबजूद अंतत: कुंजारानी का नाम हटाकर कर्णम मल्लेश्वरी को भारतीय टीम में शामिल किया गया. उन्होंने सिडनी के ओलंपिक खेल के लिए काफी मेहनत की और 2000 की ओलंपिक खेल में कांस्य पदक पर कब्ज़ा करके, कर्णम मल्लेश्वरी भारत की प्रथम महिला वेटलिफ्टर बनी.
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