हम सभी अपनी मन की बातों, विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए मौखिक और लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. अधिकांशत अपनी मन की बातों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए हम सभी मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं. लेकिन कुछके स्थितियों में विचारों, भावों को व्यक्त करने के लिए लिखित भाषा का भी प्रयोग करते हैं. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि मौखिक भाषा और लिखित भाषा में अंतर क्या है?
मौखिक भाषा किसे कहते हैं?
जब मनुष्य अपनी मन की बातों, विचारों, भावों को मुहं की सहायता से बोलकर व्यक्त करता है, तो वह मौखिक भाषा कहलाती है. इस भाषा में दो या दो से अधिक व्यक्ति आमने-सामने बैठकर बात करते हैं. वक्ता अपनी बात मुख की सहायता से बोलता है और श्रोता उनके द्वारा बोली जा रही बातों को सुनकर समझता है.
जो कुछ भी बात मुँह के द्वारा बोला जाता है, उसे मौखिक भाषा कहते हैं. मौखिक भाषा का उदहारण- वार्तालाप (बातचीत), टेलीफोन पर बातचीत, भाषण, रेडियो पर बोली जानी वाली बात आदि.
मौखिक भाषा की परिभाषा देते हुए प्रो.रमण बिहारीलाल कहते हैं, “मानव अपने ह्रदय के भावों को प्रकट करने के लिए जिस ध्वन्यात्मक संकेत साधन का प्रयोग करता है, उसे उसकी मौखिक भाषा कहते हैं.”ये ध्वनि संकेत समाज द्वारा स्वीकृत होते हैं. लिखित ध्वनियों का जन्म मौखिक भाषा के पश्चात् ही होता है. प्रारंभ में मनुष्य मौखिक भाषा का ही प्रयोग करता है.
लिखित भाषा किसे कहते हैं?
जब हम अपनी मन की बातों, विचारों और भावों को लिखकर प्रकट करते हैं, तो वह लिखित भाषा कहलाती हैं. लिखित भाषा में लिखकर और पढ़कर मन की बातों, विचारों और भावों को समझा जाता है. इसमें वक्ता मन की बात को लिखता है और श्रोता लिखी हुई बातों पढ़ता है.
जो कुछ भी बात लिखकर व्यक्त किया जाता है, उसे लिखित भाषा कहते हैं. लिखित भाषा का उदहारण- पत्र, अखबार, पुस्तक आदि.
मौखिक भाषा और लिखित भाषा में अंतर
मौखिक भाषा | लिखित भाषा |
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मौखिक भाषा और लिखित भाषा का उदहारण
मौखिक भाषा का उदहारण-
- वार्तालाप
- भाषण
- टेलीफोन पर बातचीत
- रेडियो
लिखित भाषा का उदहारण-
- पत्र, समाचार-पत्र, पुस्तक
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