आप सुने होंगे कि मौर्य साम्राज्य एक विशाल साम्राज्य था, जिसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य किये थे. जो मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (जो आज का बिहार और बंगाल) से शुरु हुआ था, जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी. लेकिन सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद इस विशाल मौर्य साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया. तो आज आप जानेंगे कि मौर्य साम्राज्य का पतन कैसे हुआ? मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण
मौर्य साम्राज्य का इतिहास
मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य थे. चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने मंत्री चाणक्य के साथ मौर्य राजवंश की स्थापना की थी. मौर्य राजवंश प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था. इस राजवंश ने 137 वर्षों (321-185 ईसा पूर्व) तक भारत में राज किया था.
यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों, जो आज का बिहार और बंगाल से शुरु हुआ था. 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी-पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था.अशोक के शासनकाल में मौर्य वंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ था. सम्राट अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली साम्राज्य बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ. लेकिन अशोक की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया.
मौर्य साम्राज्य का पतन कैसे हुआ?
सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया. लगभग 50 वर्षों के अन्दर ही मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक वृहद्रथ मौर्य को मारकर पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की नींव डाली. इस तरह से मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ. क्योंकि सम्राट अशोक के बाद जितने भी उत्तराधिकारी शासक बने, सभी अयोग्य एवं निर्बल थे.
मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण
- अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी
- अशोक की अहिंसा नीति
- आर्थिक संकट
- प्रान्तों का अत्याचारी शासन
- करों की अधिकता
- अशोक की धम्म नीति
- नौकरशाही और राष्ट्रीय भावना की कमी
- पश्चिमोत्तर सीमा की उपेक्षा
- ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया
- बहिर्वर्ती प्रदेशों में नए भौतिक ज्ञान का प्रसार
अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी
मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी का होना था. सम्राट अशोक के बाद जितने भी शासक हुए सभी अयोग्य एक निर्बल थे. एक बड़े साम्राज्य के लिए योग्य और शक्तिशाली शासक होना चाहिए. सम्राट अशोक अपने भाईयो को पहले ही मार दिए थे. इसीलिए उन्हें ऐसे लोगो को अपने राज्यों में सामन्त बनाना पड़ा, जो लोग मौर्य वंश के नहीं थे. अशोक की मृत्यु के बाद गैर-मौर्यवंशी सामंत विद्रोह करके, स्वतंत्र हो गए. सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद के सभी शासक अयोग्य एवं निर्बल निकले, जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ.
अशोक की अहिंसा नीति
सम्राट अशोक की अहिंसा की नीति को मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण माना जाता है. अशोक की अहिंसा की नीति के वजह से सैनिकों में सामरिक भावना तथा लड़ाई की क्षमता कम हो गयी. जिसके परिणामस्वरूप सैनिक, ग्रीक आक्रमणकारियों को रोकने तथा प्रांतीय विद्रोहों को दबाने में अक्षम रहे. जिसके कारण विशाल साम्राज्य पतन हुआ.
आर्थिक संकट
साम्राज्य को बनाये रखने और इसके शासन-व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन करने लिए एक बड़ी सेना और नौकरशाही मौजूद थे. सेना और नौकरशाही के ऊपर काफी खर्च होता था. आम जनता पर विभिन्न प्रकार के करों को लगाने के बावजूद इस विशाल सेना और नौकरशाही को बनाये रखना कठिन था. इसके अलावे अशोक ने बौद्ध भिक्षु को दान देकर अपना खजाना खाली कर दिया था, जिसके कारण देश में आर्थिक समस्या उपन्न हो गयी थी.
प्रान्तों का अत्याचारी शासन
मौर्य साम्राज्य के पतन का एक अन्य कारण प्रान्तों में अत्याचारी शासन का होना था. बिन्दुसार के कार्यकाल में तक्षशिला के नागरिकों ने विद्रोह किया था. जब अशोक राजा बना तो, पुन: यही बात दुहरायी गयी. अशोक ने नगर के अफसरों को आम नागरिकों को बिना वजह कष्ट नहीं देने की हिदायत दी थी.
इसी समस्या को दूर करने के लिए अशोक ने वैशाली, उज्जैन तथा तक्षशिला में अफसरों की तबादला की. लेकिन उनके कई प्रयासों के बावजूद प्रान्तों में अत्याचार होते रहे. इसलिए प्रान्तों के अत्याचारी शासन को मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना गया है.
करों की अधिकता
मौर्य साम्राज्य में आम-जनता से बहुत अधिक कर वसूली होता था. करों की अधिकता की वजह से लोग कर जमा नहीं कर पाते थे, और कर जमा नहीं होने के कारण देश की सेना और नौकरशाह को बनाये रखना कठिन हो गया था. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि करों की अधिकता के कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ.
अशोक की धम्म नीति
सम्राट अशोक की धम्म नीति को भी साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदाए माना गया है. अशोक बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अपने दिग-विजय नीति को धम्म-विजय नीति में परिवर्तित कर दिया था. जिसके कारण मौर्य वंश के शासकों ने कभी भी अपने राज्य का विस्तार करने की प्रयास नहीं की. अत: साम्राज्य के पतन के लिए अशोक की धम्म नीति को भी जिमेदार माना गया है.
नौकरशाही और राष्ट्रीय भावना की कमी
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि राष्ट्र की आदर्श की कमी एवं नौकरशाही के कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ. उनका कहना है कि मौर्यों की सफलता नौकर शाही की योग्यता और भक्ति पर निर्भर करती है. लेकिन मौर्य साम्राज्य के व्यक्ति योग्य नौकरीशाही एवं भक्ति कायम रखने का कोई उपाय नहीं कर सकें. इसलिए नौकरशाही और राष्ट्रीय भावना की कमी को साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेदार माना गया है.
पश्चिमोत्तर सीमा की उपेक्षा
देश-विदेशों में प्रचार में इतना व्यस्त रहा कि अशोक पश्चिमोत्तर सीमा की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे सका. चीन के शासक ने चीन की महान दीवार का निर्माण कर अपने साम्राज्य की सुरक्षा कर ली. लेकिन सम्राट अशोक ने अपने राज्य के लिए ऐसा कोई उपाय नहीं किया. अत: पश्चिमोत्तर सीमा की उपेक्षा करना भी मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण रहा है.
ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया
अशोक के द्वारा बौद्ध धर्म को संरक्षण देने, संस्कारों एवं बलि प्रथा का विरोध तथा शुद्र मौर्यों के द्वारा ब्राह्मणों के विरोधी कानूनों के निर्माण के फलस्वरूप ब्राह्मणों में प्रतिक्रिया हुई. पुष्यमित्र के विद्रोह के रूप में, इसका प्रकाशन हुआ. जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ.
बहिर्वर्ती प्रदेशों में नए भौतिक ज्ञान का प्रसार
मौर्य साम्राज्य के पतन का एक मुख्य कारण मगध के बहिर्वर्ती प्रदेशों में भौतिक ज्ञान का प्रसार था. लोहा मगध साम्राज्य के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन था, जब तब लोहे का ज्ञान केवल मगध तक सीमित रहा, तब तक मगध में सब ठीक रहा.
लेकिन जब मगध साम्राज्य का विस्तार अन्य क्षेत्रों में हुआ, तब दक्कन और कलिंग के लोगों को भी लोहे जैसी भौतिक तत्वों की जानकारी हुई. अन्य क्षेत्रों में लोहे की औजारों की जानकारी होते ही, विशाल मगध साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया.
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