नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या है? कहावत का मतलब एवं वाक्य-प्रयोग

अपने घर और आसपास आपने कई बार बड़े-बुजुर्गों को ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा‘ कहावत बोलते हुए सुना होगा। इस मुहावरे का प्रयोग उस समय किया जाता है जब आप कोई काम करने में असफल हो जाते हैं और कारण पूछने पर किसी दूसरी चीज़ पर आरोप लगा देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या है?

नाच न जाने आँगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ

जिसे अच्छी तरह नाचना नहीं आता, वह आँगन पर टेढ़ेपन का दोष आरोपित करता है। इस प्रवृत्ति का संकेत हमारे दैनिक व्यवहार में लगातार मिलता है। आज के व्यस्त जीवन में कोई काम सीखना नहीं चाहता, लेकिन अपनी कर्मठता का डंका बजाना सभी चाहते हैं। यह बात किसी पर लागू नहीं होती, बल्कि सबसे जुड़ी हुई है।

बच्चे, बूढ़े सभी अपना दोष छिपाते हैं और दूसरे के सिर पर दोष मढ़ देते हैं। जब कोई दूसरा दोषी ठहराने लायक नहीं मिलता, तो कार्य की साधन-सामग्री को ही दोषी ठहरा दिया जाता है किसी से चित्र अच्छा नहीं बनता, तो वह कहता है कि कागज और रंग में खराबी है। कोई अच्छा गा नहीं पाता, तो इसका सारा दोष वाद्ययंत्रों पर थोप देता है।

अपना दोष औरों पर आरोपित करने की इसी प्रवृत्ति को ‘नाच न जाने आँगन टेढ़‘ लोकोक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। इस घातक प्रवृत्ति से हमें बचना चाहिए और अपनी गलतियों को स्वीकार कर लेने में हिचक का अनुभव नहीं करना चाहिए।

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