निर्वाचन आयोग (Election Commission) की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 324-329 में किया गया है. निर्वाचन आयोग, जिसे ‘चुनाव आयोग‘ भी कहा जाता है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जहाँ की सरकार लोगों द्वारा चुनावी प्रक्रिया से चुने जाते हैं और इन चुनावों को सफलता पूर्वक पूरा करवाने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होती है. तो आज हम जानेंगे कि निर्वाचन आयोग क्या है? निर्वाचन आयोग के कार्य, शक्तियां क्या है?
निर्वाचन आयोग क्या है?
चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र और स्वायत संवैधानिक संस्था है, जो भारत में संघ एवं राज्य निर्वाचन प्रक्रियाओं का संचालन करने के लिए उत्तरदायी है. चुनाव आयोग, चुनाव से सम्बंधित सभी नियम, कानून आयोग खुद हीं बनाता है. और यह किसी और संस्था के अधीन कार्य नहीं करता.
यह आयोग भारत में लोक सभा, राज्य सभा, राज्य विधान सभाओं, देश में राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है.
चुनाव/निर्वाचन आयोग के कार्य
- निर्वाचन आयोग को पूरे देश में चुनाव करवाने का अधिकार प्राप्त होता है.
- देश में होने वाले सभी प्रकार के चुनावों को निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न करवाना हीं चुनाव आयोग का मुख्य कार्य है.
- इसके अलावा लोक सभा, राज्य सभ , राज्य विधान सभा, देश के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनावों को भी सम्पन्न करना चुनाव आयोग के हीं अधिकार में आता है.
- चुनावी प्रक्रिया को बिना किसी प्रकार का पक्षपात किए सम्पूर्ण करवाना.
- सभी राजनैतिक पार्टियों का पंजीकरण करवाना तथा उन्हें मान्यता प्रदान करना.
- निर्वाचन आयोग सभी राजनैतिक दलों को राष्ट्रीय या राज्य के स्तर पर वर्गीकृत करता है.
- यह आयोग राष्ट्रपति और राज्यपाल के समक्ष सांसद या विधायक की अयोग्यता के ऊपर अपनी राय प्रस्तुत करता है
निर्वाचन आयोग की स्थापना कब हुई?
चुनाव, निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को हुई थी. लेकिन चुनाव आयोग ने अपना कार्यभार 1952 से संभाला और राष्ट्र स्तर के साथ राज्य स्तर के चुनावों को सम्पन्न करवाने में मुख्य भूमिका निभाई. चुनाव आयोग की यह जिम्मेदारी है कि वह चुनाव प्रक्रिया को समानता, निष्पक्षता, और स्वतंत्रता पूर्ण कराए ताकि देश की आम जनता को चुनाव आयोग के कार्यों में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ें.
चुनाव आयोग में कितने सदस्य होते हैं?
निर्वाचन आयोग में 2 निर्वाचन आयुक्त और 1 मुख्य निर्वाचन आयुक्त होते है. 16 अक्टूबर 1989 से पहले चुनाव आयोग एक सदस्यीय संस्था थी. जिसमें सिर्फ एक चुनाव आयुक्त होते थे. लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को भारत के तात्कालिक राष्ट्रपति श्री R वेंकेटरमण ने एक अधिसूचना के माध्यम से इसे तीन सदस्यीय बना दिया. तब से दो चुनाव आयुक्त और एक मुख्य चुनाव आयुक्त होते हैं.
निर्वाचन आयोग के अधिकार
- चुनाव आयोग पूरे देश में चुनाव प्रक्रिया से संबंधित नियम कानून तैयार करती है.
- कोई व्यक्ति अगर किसी खास राजनैतिक दल के प्रचार के लिए बल्क एसएमएस करने पर चुनाव आयोग कार्यवाही कर सकता है.
- कोई पार्टी अगर निर्वाचन प्रचार के लिए गलत उपायों का प्रयोग करे, तो उसे चुनाव आयोग अयोग्य घोषित कर सकता है.
- सांसदों और विधायकों की अयोग्यताओं के बारे में राष्ट्रपति और राज्यपाल को राय देना.
निर्वाचन आयोग की शक्तियां
- इनकी शक्तियां भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के बराबर होती है.
- साथ हीं इन्हे SC के न्यायधीश के समान हीं वेतन एवं भत्ता प्राप्त होता है.
- चुनाव आयोग का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है.
- तथा चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 65 वर्ष की उम्र तक निर्धारित है या फिर 6 वर्ष का कार्यकाल होता है.
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