परिवार क्या है? परिवार की विशेषताएँ और कार्य (परिवार पर लघु निबंध)

हममें से प्रत्येक एक परिवार में पैदा होता है, जिसमें माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची व भाई-बहन आदि होते हैं। परिवार में हमारी देखभाल होती है व हम आर्थिक व भावनात्मक रूप से सुरक्षित रहते हैं। और आज हम सामाजिक महत्त्व से जानेंगे कि परिवार क्या है? परिवार की विशेषताएँ और कार्य क्या-क्या हैं?

परिवार में हमें दूसरों से संबंध बनाना, दूसरों से व्यवहार करना, अपने बुजुर्गों का आज्ञा पालन करना व उनका सम्मान करना सिखाया जाता है। परिवार हमें अपने रीति-रिवाजों व संस्कृति को सिखने में मदद करता है जो हमें पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलते चले आ रहे हैं।

परिवार की विशेषताएँ

परिवार सार्वभौमिक होते हैं और इसमें विवाहित पुरुष, महिला व उनके बच्चे शामिल होते हैं। परिवार का अर्थ है कुछ संबंधित लोगों का समूह हो एक ही घर में रहते हैं। परिवार के सदस्य, परिवार से जन्म, विवाह व गोद लिए जाने से संबंधित होते हैं। इससे परिवार की तीन विशेषताएँ पता चलती हैं।

पहला, दम्पति को विवाह करके पति-पत्नी का नैतिक दर्जा प्राप्त होता है और वे शारीरिक संबंध भी स्थापित करते हैं। दूसरा, परिवार का अर्थ है इसके सभी सदस्यों के लिए एक ही आवासीय स्थान होना। निसंदेह, ऐसी भी देखा गया है कि कभी-कभी परिवार के एक या अधिक सदस्यों को अस्थाई रूप से काम के लिए घर से दूर भी रहना पद सकता है। उसी प्रकार वृद्ध माँ-बाप, चाचा-ताऊ, और उनके बच्चे भी परिवार का हिस्सा होते हैं।

तीसरा, परिवार में न केवल विवाहित दम्पति होते हैं बल्कि बच्चे भी होते हैं। स्वयं के या दत्तक (गोद लिए गए)। अपने बच्चों को दम्पति जन्म देते हैं और दत्तक बच्चे दम्पति द्वारा कानूनन गोद लिए जाते हैं। स्पष्टतया, परिवार समाज की पहली संगठित इकाई है। 

परिवार के कार्य क्या-क्या हैं?

  • यह सुरक्षा प्रदान करता है। निश्चित रूप से परिवार नवजात शिशुओं व बच्चों, किशोरों, बीमारों और बुजुर्गों की सबसे अच्छी देखभाल करता है।
  • यह अपने सदस्यों को एक ऐसा भावनात्मक आधार देता है जो अन्यथा सम्भव नहीं। इस प्रकार की भावना बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए अपरिहार्य है। दरअसल, परिवार एक प्राथमिक समूह है जो सदस्यों के बीच एक अंतरंगता व स्नेह का स्वतंत्र प्रदर्शन की आज्ञा देता है।
  • यह अपने सदस्यों को शिक्षित करता है जो पारिवारिक परिवेश में जीवन जीना सीखते हैं। बच्चों को समाज के नियम सिखाए जाते हैं, और यह भी कि अन्य लोगों के साथ किस प्रकार मेल-जोल रखना है व बुजुर्गों के प्रति आदर व उनकी आज्ञा का पालन किस तरह से करना है आदि।
  • यह आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। परिवार के प्रत्येक सदस्य की आधारभूत ज़रूरतें जैसे भोजन, आवास व कपड़ा उपलब्ध कराया जाता है। वे घर के कार्य व ज़िम्मेदारियों में हाथ बँटाते हैं।
  • यह मनोरंजन का स्रोत भी है। परिवार प्रसन्नता का स्रोत हो सकता है जहाँ सभी सदस्य एक दूसरे से बातचीत कर सकते हैं, खेल सकते हैं व भिन्न-भिन्न गतिविधियाँ कर सकते हैं। ये गतिविधियाँ घरेलू कार्य से लेकर त्योहार या फिर जन्म, सगाई व विवाह आदि की हो सकती हैं।
  • परिवार बच्चों के समाजीकरण का कार्य भी करता है। माता-पिता बच्चों को लोगों के साथ मिल-जुलकर रहने, प्रेम करने, हिस्सेदारी, ज़रूरत के समय मदद व ज़िम्मेदारी निर्वहन का पाठ भी पढ़ाते हैं। परिवार बच्चों में मनोवृत्तियों व मूल्यों का पोषण करता है और उनकी आदतों को प्रभावित करता है। परिवारों में ही परम्परागत कौशल सिखाए जाते हैं। परिवार ही अपने नन्हे सदस्यों को स्कूल में औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार करता है।
  • परिवार यौन संबंधी कार्य भी करता है जो प्रत्येक की जैविक आवश्यकता है। आप जानते ही हैं परिवार का अर्थ विवाह है और सभी समाज विवाह के बाद स्त्री-पुरुष के बीच यौन संबंधों को स्वीकृति देते हैं।
  • विवाहित पुरुष व महिला के शारीरिक संबंधों के फलस्वरूप परिवार में प्रजनन का कार्य भी पूर्ण होता है। जन्म लेने वाले बच्चे समाज के भविष्य के सदस्य होते हैं।

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