Physical Education Kya Hota Hai? शारीरिक शिक्षा का महत्व, विशेषता और आवश्यकता

शारीरिक शिक्षा यानी physical education शिक्षा प्रक्रिया का एक अनिवार्य भाग है। शारीरिक शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी अपने दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधि को सम्मिलित करना सीखते हैं। आइए जानते हैं कि शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता क्यों है?

Physical Education Kya Hota Hai?

Physical Education का मतलब है शारीरिक शिक्षा, जिसमें अलग-अलग गतिविधियों से बच्चों के शारीरिक विकास पर ध्यान दिया जाता है। हम सभी अपने मानसिक विकास के लिए स्कूल जाते हैं और पढ़ाई करते हैं, लेकिन जितना ज़रूरी मानसिक विकास है उतना ही ज़रूरी शारीरिक विकास भी। इस वजह से आज के समय में लगभग सभी विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के प्रावधान लाए गए हैं।

शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन का सर्वांगीण विकास करना है। यह ऐसी शिक्षा है जो व्यक्ति के शारीरिक विकास के साथ-साथ उसके मानसिक, सामाजिक तथा भावात्मक विकास में भी सहयोग करती है। शारीरिक शिक्षा का माध्यम शारीरिक क्रियाएँ हैं।

शारीरिक शिक्षा का महत्व

शारीरिक शिक्षा से बच्चों का सम्पूर्ण विकास तो होता ही है, साथ ही वे ये भी सीखते हैं कि एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन-शैली व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है। इसके अलावा नियमित शारीरिक शिक्षा स्वयं एवं दूसरों के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करता है।

शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास या व्यक्ति के व्यक्तित्व के पौष्टिक विकास पर लक्ष्य करता है। यह एक व्यक्ति को एक अच्छा नागरिक बनाने में व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेदनात्मक और नैतिक पहलुओं को शामिल करता है जो राष्ट्र के विकास प्रक्रिया में योगदान देने में सक्षम है। इस प्रकार से शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य बच्चों को शारीरिक रूप से स्वस्थ मानसिक रूप से सावधान और संवेदनात्मक रूप से उन्नत बनाना है।

शारीरिक शिक्षा के फ़ायदे

शारीरिक शिक्षा से बच्चे सबसे पहले तो शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। इसी के साथ वे शारीरिक रूप से स्वस्थ, सामाजिक रूप से सक्षम, संवेदनात्मक रूप से संतुलित, मानसिक रूप से शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध बनते हैं।

इस प्रकार शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन का सर्वांगीण विकास करना है। यह ऐसी शिक्षा है जो व्यक्ति के शारीरिक विकास के साथ-साथ उसके मानसिक, सामाजिक तथा भावात्मक विकास में भी सहयोग करती है।

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