- रामचरितमानस हिंदू धर्म के लिए सर्वोत्तम ग्रंथ है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।
- रामचरितमानस न केवल तुलसीदास के बारह प्रामाणिक ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ है, वरन् समग्र हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ गौरव ग्रंथ है, इसे भारतीय संस्कृति का विश्वकोश कहा जाता है।
- इस ग्रंथ का साहित्य, दर्शन, आचारशास्त्र, शिक्षा, समाज-सुधार, साहित्यिक, मनोरंजन आदि कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
- रामचरितमानस की लोकप्रियता तो ऐसी है कि विगत चार सौर वर्षों से यह उत्तर भारत जी जनता का कंठहार बना आ रहा है। इसकी लोकप्रियता की तुलना में कोई भी दूसरा ग्रंथ उपस्थित नहीं किया जा सकता।
- इसकी लोकप्रियता के अनेक कारणों में एक प्रमुख कारण यह भी है कि रामचरितमानस से केवल तत्कालीन अंधकार-ग्रस्त समाज को मार्गदर्शन मिला बल्कि समाज में प्रत्येक स्तर का व्यक्ति इस ग्रंथ में अपने लिए कर्त्तव्य एवं करणीय का संदेश एवं निर्देश प्राप्त कर सकता है।
- यही कारण है कि यह ग्रंथ सामान्य जनता और बुद्धिजीवी वर्ग दोनों धरातलों पर सामान्य रूप से आदृत है।
- यही एक महाकाव्य है जो सृजन साहित्य और जन-साहित्य के मध्य समान प्रतिष्ठा रखता है। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी आचार शास्त्रीयता है।
श्रीरामचरितमानस का महत्व
रामचरितमानस की रचना मुगल प्रशासन के काल में हुई थी। उस समय की जनता के सामने कोई ऐसा प्रकाश-स्तम्भ नहीं था जिससे पराधीन हिंदू समाज को पथ-प्रदर्शन मिल पाता। रामचरितमानस ने जनता का नेतृत्व किया। राम-कथा पर पहले से वाल्मीकि रामायण, भवभूतिकृत उत्तर रामचरितमानस का अधिक प्रचार एवं प्रसार हुआ, सत्यासत्य निर्धारण, करणीय-अकरणीय, निवेदन, औचित्य-अनौचित्य इत्यादि की व्यवस्था के कारण ही रामचरितमानस में पांडित्य प्रदर्शन नहीं करती।
पति का पत्नी के प्रति जो संदेश इसमें है, वह आदर्श और अनुकरणीय है। रामचरितमानस में भ्रातृ-स्नेह का भी आदर्श कम महत्वपूर्ण नहीं है। राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न इन चारों भाइयों का परस्पर स्नेह महान और उत्तम है। माता का भी आदर्श रामचरितमानस में उपस्थित किया है।
पिता-पुत्र का सम्बंध भी रामचरितमानस में आदर्श है। चौदह वर्ष वनवास की बात को लघु बात समझते हैं। रामचरितमानस में गुरु-शिष्य सम्बंध का आदर्श भी उत्तम है। स्वामी-सेवक सम्बन्धों की मर्यादा का पालन कई स्थलों पर हुआ है।
हनुमान का सेना-भाव तो जगत प्रसिद्ध है। रामचरितमानस राम-सुग्रीव का मैत्री भाव आदर्श उपस्थित करता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रामचरितमानस में विभिन्न प्रकार के आदर्श सम्बंध उपस्थित किए गए हैं।
इस प्रकार रामचरितमानस तुलसीदास का बेजोड़ कृति है। यही एक ऐसा भारतीय ग्रंथ है जिसका नाम पंडित से मूर्ख तक सभी जानते हैं। रामचरितमानस में तुलसीदास ने भगवान श्रीराम जी के चरित्र पर पूर्णतया प्रकाश डाला है जो अपने-आप में अनूठा है।