हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, लिंग, पर्यायवाची शब्द, विपरीतार्थक शब्द, आदि कई विषयों का अध्ययन कराया जाता है. जिनमें समास भी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है. स्कूल से लेकर कॉलेज तक हिंदी में समास विषय की पढाई होती है. इसके साथ ही नौकरी से सम्बंधित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी समास के प्रश्न पूछे जाते हैं. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि समास किसे कहते हैं? समास के कितने भेद होते हैं और कौन-कौन उदहारण सहित.
समास किसे कहते हैं? उदहारण
दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया यौगिक शब्द बनाने को समास कहते हैं. समास का अर्थ ‘संक्षिप्तीकरण’ होता है, जिसका शाब्दिक अर्थ छोटा रूप होता है. समास में दो सम्बद्ध शब्दों को आस-पास लाया जाता है. समास में ध्वनियों का नहीं, शब्दों का मेल होता है.
समास के उदहारण
- प्रति+दिन = प्रतिदिन
- दिन और रात = दिन-रात
- नव+ग्रह = नवग्रह
- राजपुत्र= राजा का पुत्र
- कमल जैसा है, पैर = चरणकमल
- लम्बोदर (गणेश)
समास के कितने भेद होते हैं? और कौन-कौन उदहारण सहित
समास के छह (6) भेद होते हैं,
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद समास
- बहुब्रीहि समास
अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव का अर्थ ‘अव्यय हो जाना’ होता है. इस समास में पहला पद प्रधान होता है, पहला पद अव्यय तथा दूसरा पद संज्ञा होता है. शब्द के आगे ‘उपसर्ग‘ लगा होता है. इसके अलावे शब्द की पुनरावृत्ति भी होती है.
अव्ययीभाव समास के उदहारण
उपसर्ग लगे शब्द- आजन्म, आमरण, प्रतिदिन, प्रतिक्रिया, प्रतिकूल
पुनरावृत्ति शब्द- ऐसा शब्द जिसका अर्थ समान होता है. जैसे, धीरे-धीरे, जल्दी-जल्दी, रातों-रात,
तत्पुरुष समास
इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है. इसमें दो पदों के बीच कारक चिन्हों (को, से, के लिए, का/के/की, में, पर) का लोप होता है. लेकिन कर्ता और संबोधन कारक का चिन्ह नहीं होता है. तत्पुरुष समास में दूसरा पद (शब्द) छोटा होता है. पहला पद विशेषण का कार्य करता है, इसलिए दूसरा पद प्रधान होता है.
तत्पुरुष समास के उदहारण
राजकुमार = राजा का कुमार
राजपुत्र = राजा का पुत्र
यशप्राप्त = यश को प्राप्त
यज्ञशाला = यज्ञ का शाला
गुणयुक्त= गुण से युक्त
आरामकुर्सी = आराम के लिए कुर्सी
शरणागत= शरण में आया हुआ
पाठशाला = पाठ का शाला
वनवास= वन में वास
कर्मधारय समास
कर्मधारय समास में पहला पद ‘विशेषण’ प्रधान होता है और दूसरा पद विशेष्य होता है. विशेषण पद किसी की विशेषता बतलाता है.
कर्मधारय समास के उदहारण
चरणकमल= कमल जैसा है, पैर
चन्द्रमुख= चाँद जैसा, मुख
महात्मा= महान आत्मा
महाराजा= राजा महान है
नीलकमल= कमल नीला है
द्विगु समास
इस समास में पूर्वपद (यानि पहला पद) संख्यावाचक होता है. अर्थात् संख्यावाचक शब्द प्रधान होता है. द्विगु समास समूह का बोध कराता है.
द्विगु समास के 10 उदहारण
नवग्रह, दोपहर, पंचवटी, तिरंगा, त्रिलोक, चौराहा, चौगुनी, पंचतंत्र, दोराहा, पंचमुख आदि.
द्वंद समास
इस समास में दोनों पदों के बीच और शब्द का लोप होता है, दोनों शब्दों के बीच में योजक चिन्ह (-) लगा होता है. इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं. दोनों शब्द एक-दुसरे के विपरीतार्थक शब्द होते हैं, दोनों शब्दों का अर्थ अलग-अलग होता है.
उदहारण- दिन-रात, नर-नारी, गुण-दोष, राधा-कृष्णा, राम-सीता, बेटा-बेटी, आज-कल, माँ-बाप, दुःख-सुख, अच्छा-बुरा आदि.
बहुब्रीहि समास
इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है. बहुब्रीहि समास में दो पद मिलकर किसी तीसरे पद को बनाते हैं. और वही तीसरा पद प्रधान होता है.
बहुब्रीहि समास के उदहारण
पीताम्बर (पीला है, अम्बर जिसका)= विष्णु
दशानन (दश है, आनन जिसके)= रावण
लम्बोदर (लम्बा है, उदर जिसका)= गणेश
चतुर्भुज (चार भुजा है, जिसका)= विष्णु
नीलकंठ (नीला है, कंठ जिसका)= शिव
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