जब आप भारत का इतिहास पढ़ते हैं, तो दुसरे देशों के बीच हुई कई संधियों का नाम आता है. और प्रतियोगी परीक्षाओं में इनसे सम्बंधित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं. और आज हम जानने वाले हैं कि Shimla Samjhouta Kya Hai?
शिमला समझौता क्या है?
सबसे पहले अगर हम यह जानने की कोशिश करें कि Shimla Samjhouta Kab Hua? तो हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 2 जुलाई, 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते को ‘शिमला समझौता’ कहा जाता है.
यह समझौता सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के जन्म की पृष्ठभूमि में हुआ था. इसके लिए पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी पुत्री बेनजीर भुट्टो के साथ 28 जून, 1972 को शिमला आये थे.
हालाँकि, समझौते पर 2-3 जुलाई की रात के 12:40 बजे हस्ताक्षर हुए, पर उसपर तारीख 2 जुलाई, 1972 की है. इसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर की युद्धविराम रेखा के स्थान पर 17 दिसम्बर, 1971 की स्थिति को नियंत्रण रेखा का नाम दिया गया. दोनों देशों की सांसदों ने उसी साल इस समझौते की पुष्टि कर दी थी.
कहा जाता है कि दोनों नेताओं की एक-दुसरे के सामने हुई बातचीत में यह भी तय हुआ कि इस रेखा को ही बाद में दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा बना दिया जाएगा.
- अलबत्ता पाकिस्तानी अधिकारी इस बात से इनकार करते हैं.
- इसी समझौते के आधार पर भारत मानता है कि युद्ध विराम रेखा की निगरानी के लिए नियुक्त संरा सैनिक पर्यवेक्षक ग्रुप (UNMOGIP) की अब कोई जरुरत नहीं है.
- पाकिस्तान अब भी इस ग्रुप को मान्यता देता है. इस ग्रुप की स्थापना सन 1949 के कराची समझौते के बाद हुई थी. इ
- सका काम यह देखने का था कि यह विराम रेखा का उल्लंघन तो नहीं हुआ है.
शिमला समझौता की शर्तें
समझौते में कहा गया कि दोनों देश संघर्ष और विवाद समाप्त करने का प्रयास करेंगे. यह वचन दिया गया कि स्थायी मित्रता के लिए कार्य किया जाएगा.
- दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे और किसी भी स्थिति में एकतरफा कार्रवाई करके कोई परिवर्तन नहीं करेंगे.
- वे एक दूसरे के विरुद्ध न तो बल प्रयोग करेंगे, न प्रादेशिक अखंडता की अवहेलना करेंगे और न ही एक दूसरे की राजनितिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप करेंगे.
शिमला समझौते की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि दोनों देशों ने अपने विवादों को आपसी बातचीत से निपटने का निर्णय किया. यानि कि कश्मीर विवाद को अंतर्राष्ट्रीय रूप न देकर, अन्य विवादों की तरह आपसी बातचीत से सुलझाया जायेगा.
शिमला समझौता का महत्व
भारत में आलोचकों ने कहा कि यह समझौता पाकिस्तान के सामने झुकना था क्योंकि भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान के जिन प्रदेशों पर अधिकार किया था उन्हें छोड़ना पडा.
इस समझौते के बाद सन 1984 में भारत ने Siachen Glacier पर कब्ज़ा किया. चूँकि शिमला समझौते के तहत स्वीकृत नक्शों में सियाचिन ग्लेशियर की स्थिति स्पष्ट नहीं है, इसलिए भारत के कदम को शिमला समझौते का उल्लंघन नहीं माना जा सकता. पाकिस्तान ने सन 1999 में कारगिल की पहाड़ियों पर कब्ज़ा किया, पर उसे कारगिल से पीछे हटना पडा, क्योंकि वह नियंत्रण रेखा का उल्लंघन था.