मुहावरे और लोकोक्तियाँ के प्रयोग से आपकी भाषा काफ़ी प्रभावशाली बन जाती है। ऐसी कई कहावतें हैं जो आप अपने बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुनते हैं, और उनमें से एक काफ़ी लोकप्रिय है; अधजल गगरी छलकत जाय का अर्थ क्या है? आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं।
अधजल गगरी छलकत जाय का अर्थ
पानी से भरी हुई लबालब गागर से एक बूंद पानी बाहर नहीं छलकता, जबकि आधी भरी हुई गागर का जल समूचे रास्ते में छलकता जाता है। इस मामूली उदाहरण के माध्यम से घमंड और विनम्रता के अंतर को चिंतकों ने समझाया है।
प्राचीन धर्मग्रंथों में घमंड को हार का द्वार कहा गया है। विशेषतः उन लोगों का घमंड तो नितांत हास्यास्पद बन जाता है, जो आधी भरी हुई गागर की तरह छलकते जाते हैं। सच्चा ज्ञानी अपने पांडित्य का प्रचार नहीं करता, करोड़पति अपने धन की घोषणा नहीं करता, महाबली को अपने बल का गर्व नहीं होता और सागर अपनी विशालता पर इतराता नहीं।
इसके विपरीत कम धनवान, कम बलशाली और कम विद्यावाले लोग बार-बार अपनी विशेषता ज्ञापित करते हैं। जिस तरह वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, उसी तरह मनुष्य को अपनी विद्या और शक्ति, धन और सौंदर्य के कारण विनम्रता का व्यवहार करना चाहिए। जो लोग थोड़ी समृद्धि पाकर इतने इतराने लगते हैं, उनकी स्थिति आधी भरी छलकती गागर से भिन्न नहीं होती।
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