6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं? मौलिक अधिकार का अर्थ: समानता और स्वतंत्रता का अधिकार

नागरिकों के सम्पूर्ण विकास के लिए भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का प्रावधान किया है. जो संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है. जिसका वर्णन भारत के संविधान के भाग -3 में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 32 में है. मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संवैधानिक संशोधन (1979ई०) के द्वारा सम्पति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया है. अब भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए केवल छः मौलिक अधिकार का प्रावधान है. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से है?

मौलिक अधिकार का अर्थ क्या है?

मौलिक अधिकार का मतलब, उन अधिकारों से हैं जिनके बिना मनुष्य का सम्पूर्ण विकास नहीं हो सकता, व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए मौलिक अधिकार आवश्यक है. व्यक्ति के व्यक्तित्त्व की सम्पूर्ण विकास के लिए संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार को वर्णित किया गया है. जिन मौलिक अधिकारों के द्वारा नागरिक अपनी व्यक्तित्व का विकास कर सकता है. ये अधिकार समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते हैं.

6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं?

छः मौलिक अधिकार इस प्रकार है,

  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 तक )
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22 तक)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24 तक)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28 तक)
  5. संस्कृति तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30 तक)
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार  (अनुच्छेद 32)

समानता का अधिकार क्या है? 

समानता का अधिकार कानून के समक्ष सभी व्यक्तियों को समान अधिकार प्रदान करता है. संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समानता के अधिकार का वर्णन है. समता या समानता के अधिकार के तहत सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समान अधिकार प्राप्त होगा. चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या लिंग का हो, सभी व्यक्ति कानून के समाने बराबर है. जाति, धर्म या लिंग से संबधित किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होगा.

समानता के अधिकार की सूची

  • अनुच्छेद 14- कानून के समक्ष समानता- इसका मतलब यह है कि राज्य सभी व्यक्तियों के लिए एक समान कानून लागू करेगा.
  • अनुच्छेद 15- धर्म, जाति, लिंग, नस्ल व जन्म-स्थान के आधार पर किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जायेगा.
  • अनुच्छेद 16- लोक नियोजन में अवसर की समानता- इसका मतलब यह है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति में सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त होगा.
  • अनुच्छेद 17- अस्पृश्यता या छुआछुत का का उन्मूलन.
  • अनुच्छेद 18- इसके तहत उपाधियों का अंत किया गया है. भारतीय नागरिक राष्ट्रपति की आज्ञा के बिना किसी अन्य देश से उपाधि नहीं प्राप्त कर सकता है.

स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?

स्वतंत्रता का अधिकार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है. बिना किसी भय, डर के नागरिक अपनी मन की बातों को बोल सकता है और देश के किसी भी कोने में आवाजाही कर सकता हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 में स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन है. इस अधिकार के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को भारत के किसी भी कोने में भ्रमण, रहने या बसने की स्वतंत्रता है.

स्वतंत्रता के अधिकार की सूची 

  • अनुच्छेद 19- इस अधिकार के तहत भारतीय नागरिको को बोलने की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक बिना हथियार के एकत्रित होकर सभा करने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की आजादी और भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास या रहने की पूर्ण आजादी है.
  • अनुच्छेद 20- अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण- इसके अंतर्गत तीन प्रकार की स्वतंत्रता आती है,
  • किसी भी व्यक्ति को अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी.
  • अपराध करने के समय जो कानून है, उसी के तहत सजा दी जाएगी न कि पहले या बाद में बनने वाली कानून के तहत.
  • किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
  • अनुच्छेद(21)- प्रण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण- इसके तहत किसी भी नागरिक को जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जायेगा.
  •  अनुच्छेद 21 (क) के तहत राज्य 6 से 14 आयु वर्ष के सभी बच्चों हेतु नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा.
  • अनुच्छेद 22 के तहत अगर किसी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जाता हो या हिरासत में ले लिया गया हो, तो उसे ऐसी स्थिति में कुछ स्वतंत्रताएँ प्रदान की जाती है.

शोषण के विरुद्ध अधिकार क्या है?

शोषण के विरुद्ध अधिकार व्यक्ति की खरीद-बिक्री, बेगारी तथा बाल श्रम के विरुद्ध है. 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बाल मजदूरी जैसे कारखानों, खानों आदि अन्य जोखिम भरे कार्य करवाना दंडनीय अपराध है. शोषण के विरुद्ध अधिकार का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 23-24 में है. यह  अधिकार व्यक्ति की खरीद-बिक्री, जबरदस्ती श्रम लेना और बाल श्रम को अपराध मानती है. यदि कोई नागरिक बाल मजदूरी या जबरन बंधकर बनाकर व्यक्ति का श्रम लेता है, तो उसे अपराध माना समझा जाता है.

  • अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार एवं बाल श्रम की मनाही करती है.
  • अनुच्छेद 24 बाल श्रम (14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जोखिम वालों कार्य में शामिल करना अपराध) का मनाही करती है.

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नागरिक को किसी भी धर्म को मानने, अपनाने एवं प्रचार-प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है. संविधान के अनुच्छेद 25 से 28  में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है. इस मौलिक अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है व अपना सकता है तथा किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है.

  • अनुच्छेद 25 अंत: करण और धर्म को अबाध रूप से मनाने, अपनाने और प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है.
  • अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यों की प्रबंध की स्वतंत्रता प्रदान करती है. नागरिक को धार्मिक संस्थाओं की स्थपाना व पोषण करने की अधिकार है.
  • अनुच्छेद 27 के तहत राज्य किसी भी नागरिक को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है, जिसकी आय किसी विशेष धार्मिक संप्रदाय की उन्नति के लिए निश्चित कर दी गयी हो.
  • अनुच्छेद 28 के तहत शैक्षणिक संस्थान में किसी धार्मिक शिक्षा या धर्म विशेष की शिक्षा नहीं दी जाएगी. और शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं.

संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार क्या है?

संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार अल्पसंख्यक वर्गों की हितों का संरक्षण करती है. संविधान के अनुच्छेद 29, 30 में संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार का वर्णन है. इस अधिकार के तहत कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है.

जाति, धर्म संस्कृति के आधार पर अल्पसंख्यक वर्गों को शैक्षिक संस्थान में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता. वह अपनी पसंद की शैक्षिक संस्थान में दाखिला ले सकता है, और शैक्षणिक संस्था चला भी सकता है.

  • अनुच्छेद 29-कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है.
  • जाति, धर्म संस्कृति के आधार पर अल्पसंख्यक वर्गों को शैक्षिक संस्थान में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता.
  • अनुच्छेद 30- अल्पसंख्यक वर्ग अपनी रूचि व पसंद का शैक्षणिक संस्था खोलकर चला सकता है, अनुदान देने में सरकार किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी.

संवैधानिक उपचारों का अधिकार क्या है? 

संवैधानिक उपचारों के अधिकार को डॉ. भीम राव आंबेडकर ने ‘संविधान की आत्मा‘ कहा है. संविधान के अनुच्छेद 32 में संवैधानिक उपचारों के अधिकार वर्णन है. नागरिकों के अन्य मौलिक अधिकार की रक्षा संवैधानिक उपचारों का अधिकार करती है. इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय को पांच प्रकार की रिट जारी करने का अधिकार दिया गया है, बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध-लेख, उत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा-लेख.

  • अनुच्छेद 32 – अगर किसी नागरिक को लगता है कि उनके मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है, तो नागरिक अपनी मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ले सकता है.

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