हम आये दिन खबरों में सुनते है कि किसी राज्य की किसी विशिष्ट फसल या उत्पाद को उसकी विशिष्टता के लिए GI टैग दिया गया. जैसे- बनारस की बनारसी साड़ी, बासमती चावल और हाल ही में मुजफ्फरपुर के शाही लीची को जीआई टैग प्रदान किया गया है. अब आप सोच रहे होंगे कि GI Tag Kya Hai? तो मैं आपको बता दूँ कि जीआई टैग या भौगोलिक संकेतक किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र की विशिष्ट गुणवत्ता वाले उत्पाद या फसल का प्रतीक चिन्ह होता है. तो आज आप जानेंगे GI Tag Kya Hota Hai? GI Tag किन क्षेत्रों में मिलता है?
GI Tag ka Full Form Kya Hai?
GI टैग का फुल फॉर्म Geographical Indication होता है जिसे हिंदी में ‘भौगोलिक संकेतक’ कहा जाता है.
GI Tag Kya Hota Hai?
जीआई टैग (GI Tag) या भौगोलिक संकेतक किसी भी उत्पाद (प्रोडक्ट) के लिए एक प्रतीक चिन्ह के समान होता है. यह टैग किसी उत्पाद का विशिष्ट पहचान होता है, जो उस उत्पाद की उत्पत्ति क्षेत्र को संकेत करती है. भौगोलिक संकेतक या GI टैग किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र की विशिष्ट उत्पाद (unique product) को दिया जाता है.
साधारण भाषा में कहे तो, किसी शहर या भौगोलिक क्षेत्र की मशहूर वस्तु को उसकी विशेष गुणवत्ता के लिए जीआई टैग दिया जाता है. यह टैग उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के आधार पर दिया जाता है. यह टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता और विशेषता को व्यक्त करती है. भौगोलिक संकेतक से उस उत्पाद की गुणवत्ता की पहचान होती है.
GI टैग का मतलब क्या होता है?
जीआई टैग का मतलब भौगोलिक संकेतक होता है. यह टैग किसी भौगोलिक क्षेत्र की विशिष्ट उत्पाद (unique product) को उसकी विशिष्टता, गुणवत्ता के लिए दिया जाता है. जैसे- दार्जालिंग की चाय, बासमती चावल, बनारस की बनारसी साडी, ओडिशा की रसोगुल्ला और मुजफ्फरपुर की शाही लीची को उसकी विशिष्टता के लिए जीआई टैग मिला है. यह टैग उस उत्पाद के लिए एक प्रतीक के समान होता है.
GI Tag कौन देता है?
WTO यानि वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन के द्वारा जीआई टैग दिया जाता है. इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जर्लेंड) में है. जीआई टैग 10 वर्षों के दिया जाता है. दस के पूरा होने के बाद पुन: नवीकृत (Renew) करवाना होता है. रिन्यू करने पर फिर से दस साल के लिए जीआई टैग मिल जाता है.
भारत में GI Tag की शुरुआत कब हुई?
भारत में जीआई टैग सबसे पहले वर्ष 2004 में पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय को प्रदान किया गया था. भारत में भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) का ऑफिस चेन्नई (तमिलनाडु) में है. दार्जिलिंग की चाय को जीआई टैग मिलने के बाद कई राज्यों में पाई जाने वाली फसलों या उत्पादों को प्रदान किया गया है. जैसे- पंजाब की बासमती चावल, बनारसी साडी, तिरुपति के लड्डू, नागपुर का संतरा, काँगड़ा की पेंटिंग, ओडिशा का रसोगुल्ला, हिमाचल प्रदेश का काला जीरा, मुजफ्फरपुर की शाही लीची आदि.
जीआई टैग किन क्षेत्रों में मिलता है?
विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में निर्मित कृषि उत्पादों, हस्तशिप, प्राकृतिक उत्पादों और औद्योगिक उत्पादों को जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) दिया जाता है. जैसे- कृषि उत्पाद के क्षेत्र में पंजाब का बासमती चावल, दार्जिलिंग की चाय, हिमाचल प्रदेश का काला जीरा को और काँगड़ा की पेंटिंग, मधुबनी पेंटिंग को हस्तशिप एवं बनारसी साड़ी को औद्योगिक उत्पाद के क्षेत्र में जीआई टैग मिला है.
GI Tag Kaise Milta Hai?
किसी भौगोलिक क्षेत्र की विशेष उत्पाद (product) को उसकी विशिष्टता के लिए भौगोलिक संकेत दिया जाता है. इस टैग को प्राप्त करने के लिए ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई टैग) के ऑफिस में आवेदन करना होता है. आवेदन करते समय प्रोडक्ट की विशेषता को दर्शाना होता है. उत्पाद की विशिष्टता का प्रमाण प्रस्तुत करना होता है. अगर प्रोडक्ट जीआई टैग प्राप्त करने के योग्य होता है, तो डब्लूटीओ (वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन) उस उत्पाद की अच्छे से जाँच करके, जीआई टैग देता है.
GI टैग प्राप्त उत्पाद की सूची/ GI Tag ka List
- दार्जालिंग की चाय
- बनारस की बनारसी साड़ी
- बासमती चावल (पंजाब/ हरियाण/ दिल्ली/ हिमाचल प्रदेश/ दिल्ली)
- तिरुपति के लड्डू
- मध्यप्रदेश, झाबुआ का कडकनाथ मुर्गा
- ओडिशा का रसोगुल्ला, कंधमाल हल्दी
- नागपुर का संतरा
- हिमाचल प्रदेश का काला जीरा
- काँगड़ा की पेंटिंग
- मुजफ्फरपुर की शाही लीची
- बिहार का सिलाव खाजा
- छत्तीसगढ़ का जीराफुल चावल
- उत्तरप्रदेश का चुनार, बलुआ पत्थर
- महाराष्ट्र का सांगली हल्दी, अल्फांसो आम, कोल्हापुरी चप्पल
- कर्नाटक का गुलबर्गा तुर दाल, सिरसी सुपारी, अरेबिका कॉफी
- केरल का तिरुर पान का तार, मयूर गुड़
- गोवा का खोला मिर्च
- तमिलनाडु का पलानी पंचमी थर्म, कटंगी साड़ी, त्रिमुवनम सिल्क साड़ी
- कश्मीरी केसर
- झारखण्ड के सोहराय पर्व का पेंटिंग
- तेलंगाना के तेलिया रुमाल
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