अपने आसपास आपने कुछ ऐसे अद्भुत बच्चों को शायद से ज़रूर देखा होगा जो बड़ों जैसी बातें करते हैं, लगता है मानो अब वो बच्चे है ही नहीं। और जब भी कोई बच्चा इस तरह का बड़प्पन वाला व्यवहार दर्शाता है, तो बड़े-बुजुर्ग एक मुहावरे का अक्सर प्रयोग करते हैं कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात। आज आप इसी के बारे में जानने वाले हैं कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात का अर्थ क्या होता है?
होनहार बिरवान के होत चिकने पात का अर्थ
होनहार बिरवान के होत चिकने पात का मतलब है कि होनहार के लक्षण पहले से ही दिखायी पड़ने लगते हैं। प्रतिभा अभ्यास से नहीं उत्पन्न होती और वह धनराशि से खरीदी भी नहीं जा सकती। जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी मौलिक प्रतिभा का परिचय देनेवाले महापुरुषों का जीवनवृत्त साक्षी है कि उन्होंने बचपन से ही अपनी विलक्षणता की ओर संकेत किया है। पूत के पाँव पालने में ही सूचित कर देते हैं कि यह होनहार बिरवान आनेवाले दिनों में कितने विशाल वटवृक्ष के रूप में परिणत होगा।
राष्ट्र और समाज के प्रति अपनी प्रतिभा चेतना से विलक्षण योगदान देनेवाले लोगों ने बचपन से ही अपनी मनोवृत्ति और क्रियाशीलता का संकेत दिया है। पत्थर पर लगातार रस्सी के घिसने से निशान अवश्य पड़ जाते हैं, लेकिन प्रतिभा का दीप प्रौढ़ावस्था में नहीं प्रज्वलित होता। बचपन की गतिविधियों में किसी भी व्यक्ति की भावी जीवनयात्रा का पूर्वाभास परिलक्षित होता है।
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