संसद के दो सदन हैं, लोक सभा और राज्य सभा. लोक सभा संसद का प्रथम या निम्न सदन है, जिसका सभापतित्व करने के लिए एक अध्यक्ष होता है. अपनी पहली बैठक के पश्चात् अपने दो सदस्यों का चुनाव अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए करती है. आपमें से काफी लोगों के मन में सवाल होगा कि लोक सभा सदस्य की योग्यता क्या होनी चाहिए? Lok Sabha Adhyaksha ke Kary क्या होते हैं?
तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि लोकसभा की सदस्यता के लिए योग्यताएं क्या होनी चाहिए? लोक सभा अध्यक्ष के कार्य क्या है? संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोक सभा के अध्यक्ष के द्वारा की जाती है. अध्यक्ष सभा का मुख्य सदस्य होता है, वह सभा का सभापतित्व करता है.
लोक सभा किसे कहते हैं?
भारतीय संसद में दो सदन होते हैं, निम्न सदन और उच्च सदन है. निम्न या प्रथम सदन लोक सभा और उच्च सदन राज्य सभा है. भारतीय संसद के निम्न या प्रथम सदन को लोक सभा कहते हैं. लोक सभा का गठन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से होती है.अपनी पहली बैठक के पश्चात् लोक सभा अपने सदस्यों में से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है.
लोक सभा का गठन कब हुआ है?
प्रथम लोक सभा का गठन 6 मई, 1952 को हुआ. उस समय लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में श्री जी.वी. मावलंकर तथा उपाध्यक्ष के पद पर श्री अनंतशयनम को चुना गया था. भारतीय लोक सभा के प्रथम अध्यक्ष मावलंकर थे.
लोक सभा में कितने सदस्य होते हैं?
मूल संविधान में लोक सभा की सदस्य संख्या 500 निश्चित की गयी है. वर्त्तमान में इसके सदस्यों की अधिकतम सदस्य संख्या 552 है. इनमें से अधिकतम 530सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से व अधिकतम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों से निर्वाचित किये जाते हैं. 2 सदस्य एंग्लो-इण्डियन समुदाय से राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं. वर्तमान में सदन की कुल सदस्यों की संख्या 545 है.
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लोक सभा सदस्य का चुनाव कैसे होता है?
गुप्त मतदान के द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर लोक सभा के सदस्यों का चुनाव होता है. अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए लोक सभा में सीट आरक्षित होता है. 61वें संवैधानिक संशोधन के अनुसार 18 आयु वर्ष प्राप्त व्यक्ति को वयस्क माना जाता है.
Lok Sabha Sadasya ki Yogyata
- उम्मीदवार भारत का नागरिक हो.
- उसकी न्यूनतम उम्र 25 वर्ष या इससे अधिक हो.
- भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अंतर्गत उम्मीदवार किसी लाभ के पद पर नहीं हो.
- व्यक्ति पागल या दिवालिया न हो.
लोक सभा का कार्यकाल कितना होता है?
अधिकतम 5 वर्ष लोक सभा का कार्यकाल होता है. मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है. प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोक सभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है. अब तक समय से पूर्व राष्ट्रपति के द्वारा आठ बार लोक सभा को भंग किया गया है.
आपातकाल की घोषण लागु होने पर विधि द्वारा संसद लोक सभा के कार्यकाल में वृद्धि कर सकती है, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी. लोक सभा का अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाए और स्थगित किए जाते हैं. लोक सभा के दो बैठकों में छः माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए.
लोक सभा अध्यक्ष के कार्य
- इनका मुख्य कार्य सदन के सदस्यों के प्रश्नों को स्वीकार करना, और उन्हें नियमित करना व नियम के विरुद्ध घोषित करना होता है.
- किसी विषय को लेकर प्रस्तुत किया जाने वाला ‘कार्य स्थगन प्रस्ताव’ अध्यक्ष की अनुमति से पेश किया जाता है.
- वह विचाराधीन विधेयक को रोक सकता है.
- संसद के सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देता है और भाषणों का क्रम व समय निर्धारित करता है.
- विभिन्न विधेयक व प्रस्तावों पर मतदान करवाना व परिणाम घोषित करना तथा मतों की समानता की स्थिति में निर्णायक मत देने का अधिकार होता है.
- राष्ट्रपति व संसद के मध्य होने वाले पत्र व्यवहार करना.और कोई विधेयक, धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय करना.
- अध्यक्ष द्वारा धन विधेयक के रूप में प्रमाणित विधेयक की प्रकृति के विषय पर न्यायालय में या किसी सदन में या राष्ट्रपति द्वारा विचार नहीं किया जायेगा.
लोक सभा अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोक सभा स्वयं अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है. लोक सभा के अध्यक्ष, अध्यक्ष के रूप में शपथ नहीं लेता, एक सामान्य सदस्य के रूप में ही अध्यक्ष शपथ लेता है. लोक सभा में अध्यक्ष की अनुपथिति में उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए वरिष्ठ सदस्यों में से कोई व्यक्ति कार्यभार संभालता है.
चौदह दिन के पूर्व सूचना देकर लोक सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष को पद से हटाया जा सकता है. लोक सभा के भंग होने की स्थिति में अध्यक्ष अपना पद अगले लोक सभा की पहली बैठक होने तक नहीं छोड़ सकता है. अध्यक्ष उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अध्यक्ष को त्याग-पत्र देता है.
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