विधेयक क्या होता है? विधेयक का अर्थ, प्रकार, विधेयक पारित कैसे होता है?

विधेयक या बिल को संसद में पेश किया जाता है और इसके पारित होने के बाद विधेयक एक कानून में परिवर्तित हो जाता है. अक्सर समाचार में हमें सुनने को मिलता है कि संसद में फलाने बिल को पारित किया गया है या किसी बिल को संसद में पेश किया गया है. तो आज हम जानेंगे कि Vidheyak Kya Hota Hai? विधेयक का अर्थ क्या होता है? विधेयक पारित कैसे होता है?

विधेयक का अर्थ

‘विधेयक’ अंग्रेजी के बिल (Bill) शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है. विधेयक या बिल एक प्रस्ताव होता है, इसका मतलब विधि का स्वरूप देना होता है. बिल या विधेयक को एक कानून बनने के लिए बहुत सी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. जैसे कि संसद मे विधेयक का प्रस्ताव रखने के बाद उसके ऊपर पक्ष-विपक्ष अपने मत देते हैं, फिर विधेयक का प्रस्ताव राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया जाता है.

विधेयक क्या होता है?

विधेयक या बिल एक प्रस्ताव होता है, जिसे विधि (कानून) का स्वरूप देना होता है. विधेयक किसी भी देश में नया कानून बनाने या पुराने कानून में संशोधन करने के उद्देश्य से बनाया जाता है और उसे संसद मे पेश किया जाता है. जिसके ऊपर पक्ष-विपक्ष में बहस होने के बाद पारित किया जाता है. विधेयक को अधिनियम या प्रस्ताव भी कहा जाता है. उदाहरण के लिए,  तीन तलाक बिल. इसमें तीन तलाक नियम को ख़त्म करने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश किया गया था.

बिल (विधेयक) को बनाने के लिए सरकर बहुत से अनुभवी IAS अधिकारियों, मंत्रियों एवं बड़े-बड़े विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की भी सहायता लेती है. किसी भी विधेयक को बड़े ध्यान से बनाना पड़ता है. क्योंकि एक विधेयक को कई चरणों से गुजरने के बाद हीं पारित किया जाता है.

विधेयक के प्रकार (types of Bill)

मुख्यतः विधेयक दो प्रकार के होते हैं, एक सरकारी विधेयक और दूसरा गैर-सरकारी विधेयक.

सरकारी विधेयक

यह विधेयक सरकार द्वारा या किसी मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तावित किया जाता है. सरकारी विधेयक पूरे देश के लिए होता है.

गैर-सरकारी विधेयक

गैर सरकारी विधेयक या निजी विधेयक, संसद के कोई भी सदस्य के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. गैर-सरकारी विधेयक किसी खास सदस्य या सदस्यों के समूह के लिए पारित किया जाता है.

सरकारी विधेयक और गैर-सरकारी विधेयक में अंतर

         सरकारी विधेयक

  • इस विधेयक को संसद में सिर्फ एक मंत्री हीं पेश करते हैं.
  • यह सत्ताधारी सरकार के नीतियों को दर्शाता है.

 

  • इस विधेयक को संसद में पेश करने के लिए सात दिन पहले हीं नोटिस देनी होती है.

 

  • इस विधेयक के अस्वीकृत होने पर सरकार को इस्तीफा भी देना पड सकता है.

 

  • इस विधेयक के पारित होने की उम्मीद ज्यादा होती है.

 

  • इस विधेयक को तैविधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है

             गैर-सरकारी विधेयक

  • इसे संसद में कोई भी सदस्य पेश कर सकता है.
  • यह विपक्ष के नीतियों को दर्शाता है और सार्वजनिक विषयों पर विचार करता है.

 

  • इसे संसद में पेश करने के लिए एक महीने पहले नोटिस देना होता है

 

  • लेकिन इस विधेयक के अस्वीकृत होने पर सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.

 

  • इसके पारित होने की कम हीं उम्मीद होती है.

 

  • जबकि इस विधेयक को बनाने की पूरी जिम्मेदारी इसे पेश करने वाले व्यक्ति विशेष की होती है.

विधेयक कैसे पारित होता है?

  • एक विधेयक को पारित करने के लिए सबसे पहले विधेयक तैयार किया जाता है.
  • उसके बाद उस विधेयक या बिल को मंत्रिमंडल मे पेश किया जाता है.
  • जहाँ सभी मंत्रीगण अपने-अपने विचार रखते है तथा बिल की प्रतियाँ प्रत्येक मंत्री को दिया जाता है.
  • अब इस बिल को संसद में रखा जाता है,  जहाँ पर पक्ष और विपक्ष के बीच बहस के बाद इस पर वोटिंग होती है.
  • और संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) मे पारित होने के बाद अंतिम अनुमति राष्ट्रपति से लिया जाता है.
  • अगर विधेयक या बिल को राष्ट्रपति की भी अनुमति मिल जाए, तो विधेयक एक कानून बन जाती है.

धन विधेयक क्या है?

धन विधेयक उस विधेयक को कहते हैं, जिसमें किसी भी प्रकार की कर (टैक्स) की व्याख्या की गई हो. जैसे कर उन्मूलन या कर अधिरोपण के बारे में बात किया गया हो, तो वह विधेयक, धन विधेयक कहलाता है.

धन विधेयक को हमेशा लोक सभा में हीं पेश किया जा सकता है जबकि एक साधारण विधेयक को किसी भी सदन से पारित किया जा सकता है. साथ हीं धन विधेयक को राष्ट्रपति के पूर्वानुमती से लाया जाता है.

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