वसुधैव कुटुम्बकम् का मतलब क्या है? महत्त्व, अर्थ और निबंध Vasudhaiva Kutumbakam

हम अक्सर बातों-बातों में अपने अपने परिवार, समाज और देश की बात करते हैं कि यह मेरा परिवार है, यह मेरा शहर है, यह मेरा देश है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक विचारधारा ऐसी भी है जिसके अंतर्गत पूरी दुनिया एक ही परिवार है और हम सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं कि वसुधैव कुटुम्बकम् का मतलब क्या है?

वसुधैव कुटुम्बकम् का अर्थ 

वसुधैव कुटुम्बकम् सनातन धर्म की विचारधारा है जिसका अर्थ यह है कि पूरी दुनिया एक परिवार है; वसुधा यानी धरती एक कुटुम्ब है। यह सारी सृष्टि उस विधाता की निर्मिति है, जिसने हमें विविध भूखंडों पर अनेक रंगों और भाषाओं में विचरने के लिए स्वतंत्र छोड़ रखा है। धर्म और जाति, भाषा और लिपि, रंग और रूप के नाम पर पार्थक्य की दीवारें मनुष्य ने उठा रखी हैं।

पारस्परिक मैत्रीपूर्ण संबंधों को तिलांजलि देकर मनुष्य ने उसी समय से इन दीवारों को बनाने की सक्रियता दिखाई, जब उसे सभ्यता की पहचान हुई। जिसे हम आधुनिक सभ्यता के रूप में जानते हैं, उसने संसार में लोगों के बीच अनेकानेक दरारें उत्पन्न की हैं।

जब कोई देश पड़ोसी देश को हड़पने के लिए आक्रमण करता है, जब कोई आदमी दूसरे आदमी को देखकर घृणा से नाक सिकोड़ लेता है, जब किसी जाति-धर्म के लोग दूसरे जाति-धर्म के लोगों का खून बहाते हैं, तब ईश्वर की यह धरती अपने निर्माण की मूलभूत संकल्पना से बहुत दूर हट जाती है।

यह समस्त शस्यश्यामला वसुंधरा एक ही है और इसपर रहनेवाले लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं, इस अवधारणा का पल्लवन ही युद्ध और वैमनस्य की विभीषिका को दूर करने में सहायक हो सकता है। जिस दिन पृथ्वी के सभी लोग धर्म और संप्रदायों, रंग और भाषा के विभेद भूलकर एक परिवार की तरह आचरण करने लगेंगे उसी दिन सच्ची मानवता) का उदय होगा।

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