पंद्रह अगस्त 1947 को भारत देश आज़ाद हुआ था, इसलिए हम सभी भारतवासी इस दिन एक राष्ट्रीय पर्व के तौर पर स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस मौक़े पर स्कूल, कॉलेज, सरकारी एवं कई ग़ैर-सरकारी कार्यालयों में झंडोत्तोलन किया जाता है, और स्वतंत्रता दिवस पर भाषण भी दिया जाता है। इसी को देखते हुए हम यहाँ पर एक भाषण का प्रारूप प्रस्तुत कर रहे हैं।
Independence Day Speech in Hindi 2023
स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ मौके पर मैं यहाँ मौजूद आदरणीय शिक्षक-गण, मुख्य अतिथि, अभिभावक-गण और मेरे प्यारे दोस्तों को स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ देता हूँ।
आज हम अपने देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। और मुझे खुशी है कि मुझे अपने देश के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में बोलने का मौका मिला है। हमारे देश की आज़ादी बहुत मूल्यवान है। लाखों लोगों ने अपनी जान गँवाकर आज़ादी की कीमत तय की है। स्वतंत्रता सेनानियों के लगातार संघर्ष और बलिदान का नतीजा है कि हम आज चैन की सांस ले पा रहे हैं।
आज से करीब दो सौ साल पहले अंग्रेजों ने भारत पर अपने कदम रखे थे। हमारे देश की जलवायु , मिट्टी और मौसम उनके व्यापार के लिए अनुकूल सिद्ध हुआ और उन्होंने व्यापार के बहाने हमारे देश की मिट्टी पर कब्जा कर लिया। यही नहीं, उन्होंने हमारे देश की बागडोर भी अपने हाथ कर लिया। मासूम भारतीयों को अपना गुलाम बना लिया और हमारे ही जमीन पर हमसे ही मज़दूरी करा कर लगान वसूलने लगे। उन्होंने हर वो संभव प्रयास किये जिससे हमारा अस्तित्व खोखला होता गया और हम हिन्दुस्तानी मात्र उनके हाथों की कठपुतली बन गए।
न जाने कितने अत्याचारों को सहने के बाद हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाए। हालांकि वो बार-बार अंग्रेजों के अत्याचार का शिकार हुए मगर उन्होंने हार कभी नहीं मानी और एकजुट होकर लगातार गोरे लोगों के खिलाफ लड़ते रहे। 1857 के विद्रोह में देश की आम जनता, किसान समूह और नागरिक सेना भी शामिल हुए।
हालांकि इस विद्रोह में हमने बहुत कुछ खोया मगर, जो पाया वो अमूल्य था। इस विद्रोह को हमारे देश का सबसे पहला स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है। असहयोग आंदोलन, जलियाँवाला बाग हत्याकांड सहित और भी बहुत से नरसंहार हुए। कई देशवासी अपनी जान खो दिए। तब कहीं जाकर आज के दिन यानि 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद घोषित कर दिया गया। और हर साल हम 15 अगस्त को स्वतंत्र भारत का जश्न मनाते हैं। अब हमारा अपना संविधान है जिसमें हर एक नागरिक को बराबरी का हक दिया गया है। आज़ादी से पहले भी हमारा देश कृषि प्रधान देश था, मगर आज़ादी के बाद कृषि क्षेत्रों में तकनीकी विकास हुए।
15 अगस्त आनंद और त्याग का मंगल-पर्व तो है ही, साथ ही हमारी वेदना और कचोट, हमारे आत्म-दर्शन एवं आत्म-परीक्षण का स्मारक-दिवस भी है। यदि हम अपने इस कर्दममय वर्तमान से सचेत नहीं हुए, तो हमारी आज़ादी की नैया इसी में फँस जाएगी, जिससे उबर पाना बहुत ही मुश्किल है। यदि हमने समय रहते समस्याओं की अंध घाटियों को पार नहीं किया, तो हमारी स्वतंत्रता का सूरज डूब जाएगा और तब पता नहीं, कितनी लंबी रातों के बाद पुनः नया सवेरा दमकेगा।
हमें स्मरण रखना चाहिए कि शताब्दियों की साधना का या पौधा अक्षयवट तभी बन सकता है, जब हम अपने स्वार्थों के कुत्सित घेरे मिटा दें, राष्ट्रप्रेम का दिव्य उत्स हमारे रोम-रोम से फूटे, इसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए हम त्याग और तपस्या के अग्निपथ की यात्रा निरंतर जारी रखें।
इन्हीं शब्दों के साथ अपनी वाणी को मैं यहीं विराम देता हूँ। जय हिन्द! जय भारत!