संयुक्त परिवार कुछ एकल परिवारों से मिलकर बनता है और परिणामस्वरूप यह काफ़ी बड़ा होता है। यह पति-पत्नी, उनकी अविवाहित लड़कियों, विवाहित लड़कों, उनकी पत्नियों व बच्चों से मिलकर बनता है। यह एक या दो पीढ़ियों के लोगों का समूह है, जो साथ रहते हैं। आइए जानते हैं संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषताएँ क्या-क्या हैं?
संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषताएँ
संयुक्त परिवार की विशेषताओं को दो शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है, संरचनात्मक विशेषताएँ एवं प्रकार्यात्मक विशेषताएँ। संयुक्त परिवार में एक-से अधिक एकल परिवार एक साथ रहते हैं।
संयुक्त परिवार की संरचनात्मक विशेषताएँ
- सामान्य निवास स्थान एवं रसोई: परिवार के सभी सदस्य एक ही छत के नीचे निवास करते हैं। साथ रहने के कारण परिवार के सभी सदस्यों के बीच सामूहिक भावना विकसित होती है। पूरे घर के लिए रसोई घर भी एक ही होती है जिसकी व्यवस्थापिका कर्ता की पत्नी या अन्य बुजुर्ग महिला होती है।
- बड़ा आकार: परिवार का आकार बहुत बड़ा होता है। इसमें तीन या तीन से अधिक पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं। इसमें दादा, दादी, चाचा, चाची, पोता, पोती, चचेरे भाई बहन आदि एक साथ रहते हैं।
- सामूहिक संपत्ति: परिवार की संपूर्ण चल एवं अचल सम्पत्ति पर परिवार के सभी सदस्यों का समान अधिकार होता है। सभी लोग अपनी क्षमता के अनुरूप काम करते हैं। पारिवारिक आमदनी को एक सामूहिक कोष में जमा किया जाता है जिसका व्यवस्थापक परिवार का मुखिया होता है।
संयुक्त परिवार की प्रकार्यात्मक विशेषताएँ
- सामूहिक धार्मिक विधियाँ तथा उत्सव: प्रत्येक संयुक्त परिवार की अपनी धार्मिक विधियाँ एवं उत्सव होते हैं जो जाति मूल्यों एवं धार्मिक कर्तव्यों के आधार पर निर्धारित होते हैं। यह पूजा-पद्धति पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है। इससे परिवार में एकता एवं आत्मीयता बढ़ती है। प्रत्येक परिवार का एक कुल देवता होता है जिसकी सभी सदस्य पूजा करते हैं।
- कर्ता की भूमिका: घर में निर्णय लेने तथा शांति, अनुशासन कायम रखने की जिम्मेदारी घर के मुखिया यानी कर्ता की होती है। परिवार के सभी सदस्य अपनी आमदनी कर्ता के पास ही जमा करते हैं। संपूर्ण संपत्ति पर नियंत्रण कर्ता का होता है। पारिवारिक उत्सव एवं धर्मानुष्ठान वर्ता के मार्गदर्शन में संपन्न होता है।
- आपसी कर्तव्य: परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति पारस्परिक कर्तव्य से बँधे होते हैं। कोई एक-दूसरे के खिलाफ काम नहीं करता है। सभी सदस्य प्रेम, आपसी समझ एवं सहयोगात्मक भाव से जुड़े रहते हैं।
- समाजवादी व्यवस्था: परिवार के सभी सदस्य परिवार की भलाई के लिए काम करते हैं। सभी सदस्यों के बीच अधिकारों एवं सुविधाओं का समान बँटवारा होता है। सभी सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देते हैं तथा अपनी आवश्यकतानुसार परिवार से प्राप्त करता है। अतः यह समाजवादी मूल्यों पर आधारित प्रकार्यात्मक इकाई है।