आंकड़े किसे कहते है? आंकड़े कितने प्रकार के होते हैं? प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़े में अंतर (Data in Hindi)

आप सभी आँकड़ा शब्द सुने होंगे. जैसे जनगणना के आंकड़े, देश की जनसँख्या के आंकड़े, गरीबी का आंकड़ा आदि अन्य. आँकड़े अपने आप में ‘सूचना’ नहीं होते, उनका प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) करके उनसे सूचना निकाली जाती है. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि आंकड़े किसे कहते हैं? आंकड़े कितने प्रकार के होते हैं?

आंकड़े किसे कहते हैं? 

एक निश्चित उद्देश्य से एकत्रित किए गए तथ्यों व अंकों को, जो संख्यात्मक या अन्य रूप में हो सकते हैं, वे आंकड़े कहलाते हैं. आंकड़े को अंग्रेजी भाषा में डाटा (Data) कहते है. आँकड़े मापे जाते हैं, एकत्र किये जाते हैं और रिपोर्ट किये जाते हैं. और आंकड़ों का विशेषण भी किया जा सकता है. विश्लेषण के पश्चात आंकड़ों को ग्राफ या छवि  (इमेज) के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है. आँकड़े अपने आप में ‘सूचना’ नहीं होते, उनका प्रसंस्करण करके, उनसे सूचना निकाली जाती है.

आंकड़े कितने प्रकार के होते हैं?

आंकड़े दो प्रकार के होते हैं,

  1. प्राथमिक आंकड़े (Primary Data)
  2. द्वितीयक आंकड़े/ गौण आंकड़े (Secondary Data)

प्राथमिक आंकड़े किसे कहते हैं? 

प्राथमिक आंकड़े वे आंकड़े होते हैं, जिन्हें अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्र करते हैं या अनुसंधानकर्ता द्वारा नियुक्त प्रगणक स्वयं एकत्र करते हैं. यह आंकड़े किसी व्यक्ति से प्राप्त पहली जानकारी होती है, जो किसी प्रकार का संशोधित नहीं होता है. ये आंकड़े मौलिक (Original) होते हैं, किसी की कॉपी की नहीं. टेलीफोन साक्षात्कार, वैयक्तिक साक्षात्कार, स्थानीय संवाददाताओं से प्राप्त सूचना के द्वारा प्राथमिक आंकड़े प्राप्त किये जा सकते हैं.

द्वितीयक/ गौण आंकड़े किसे कहते हैं? 

जो आंकड़े अनुसंधानकर्ता द्वारा स्वयं एकत्र न करके, किसी संस्था या व्यक्ति की सहायता या अन्य स्रोत्र से एकत्र किये जाते हैं, उन आंकड़ों को द्वितीय या गौण आंकड़े कहते हैं. जैसे, सरकारी विभाग से प्राप्त आंकड़े, समाचार पत्र से प्राप्त आंकड़े, अनुसन्धान संस्थान से प्राप्त आंकड़े, आयोग एवं कार्यालय की फाइल से प्राप्त आंकड़े, सोशल मीडिया से प्राप्त आंकड़े आदि. ये आंकड़े मौलिक नहीं होते हैं.

प्राथमिक और द्वितीयक आंकड़े में अंतर 

प्राथमिक आंकड़े द्वितीयक आंकड़े
  • प्राथमिक आंकड़े मौलिक होते हैं.
  • ये आंकड़े अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्रित करते हैं.
  • इन आंकड़ों को एकत्र करने में अधिक समय, परिश्रम और धन खर्च होता है.
  • प्राथमिक आंकड़े विशेष उद्देश्य के अनुकूल होते हैं.
  • ये आंकड़े टेलीफोन साक्षात्कार, वैयक्तिक साक्षात्कार, स्थानीय संवाददाताओं से प्राप्त सूचना से प्राप्त किये जाते हैं.
  • द्वितीयक आंकड़े मौलिक नहीं होते हैं.
  • ये आंकड़े अनुसंधानकर्ता स्वयं एकत्रित न करके किसी अन्य स्रोत्र से प्राप्त करते हैं.
  • द्वितीयक आंकड़ों को एकत्र करने में कम समय, परिश्रम और धन लगता है.
  • ये आंकड़े विशेष उद्देश्य के अनुकूल नहीं होते हैं.
  • सरकारी प्रकाशन, समाचार पत्र, अनुसन्धान संस्थान, आयोग एवं कार्यालय की फाइल एवं सोशल मीडिया से द्वितीयक आंकड़े प्राप्त किये जाते हैं.

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