जीवन में खेल कूद का महत्व पर निबंध: Importance of Sports in Life Essay in Hindi

पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होगे खराब। इस तरह की बातें आपने भी अपने बचपन में सुनी होगी, जहाँ पर हमारे माता-पिता खेलकूद को कम महत्व देते हैं और पढ़ाई तो मानो सबकुछ है। लेकिन आज के समय में खेलकूद के भी आप दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। आइए जानते हैं जीवन में खेलकूद का महत्व पर निबंध के माध्यम से Importance of Sports in Life.

जीवन में खेलकूद का महत्व पर निबंध

जो व्यक्ति बचपन से ही खेलकूद का अभ्यास नहीं करते, उनका शरीर भरी जीवन में ही जर्जर हो जाता है, उनका शरीर बीमारियों का घर बन जाता है और वे जीवन में नरक का दुखः भोगते रहते हैं। यदि पत्थर-सी मांसपेशियाँ और फौलाद-सी भुजाएँ चाहिए, तो पलंग पर लेटे-लेटे किताबी कीड़ा होने से काम नहीं चलेगा।

यदि विद्या के क्षेत्र में उन्नति करना चाहते है, तो इसके लिए स्वस्थ एवं पुष्ट शरीर अनिवार्य है। कहा गया है- A sound mind in a sound body, अर्थात् सशक्त शरीर में ही सशक्त मन का निवास है। स्वामी विवेकानंद ने ठीक ही कहा है, “ऐ मेरे मीत ! यदि तुम ठिकाने से फुटबॉल नहीं खेल सकते, तो तुम गीता के मर्म को भी नहीं समझोगे।”

अतः सबल, पुष्ट एवं स्फूर्तियुक्त शरीर के लिए जीवन में खेलकूद का महत्व निर्विवाद है। खेलकूद का दूसरा महत्व है- जीवन में प्रतियोगिता का साक्षारता। खेलकूद से प्रतियोगीयों का पछाड़ने का भाव मन में जगता रहता है। हम जी-जान से खेल में रुचि लेते हैं, तो इसका परिणाम होता है कि विजय का सेहरा हमारे सर बँधता है।

विजयी दल को विजयचिह्न से विभूषित किया जाता है, सर्वोतम खिलाड़ी को भी पदक प्रदान किये जाते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें खेल में पराजित भी होना पड़ता है, किन्तु उस क्षण बिलकुल निराशा की चादर ओढ़कर बैठना नहीं चाहिए।

Importance of Sports Essay in Hindi

लगन रही तो फिर विजय होंगे ही। अतः पराजित दल के खिलाड़ी हँसते-हँसते विजय दल के खिलाड़ियों से हाथ मिलाते है, गले मिलते है। न तो विजयगर्व से मदमत्त हो जाने चाहिए और न पराजय से शीशे की तरह चकनाचूर होकर बिखर ही जाना चाहिए- इसका प्रशिक्षण क्रीड़ाक्षेत्र में हमेशा होता रहता है।

मानव-जीवन भी तो एक क्रीड़ाक्षेत्र ही है न; जीवन में जीत-हार के फल-शूल तो हमें मिलते रहते हैं। हार के शूलों से छिद-बिंधकर विजय-अभियान न छोड़ दे, इसकी सीख हमें खेलकूद से ही मिलती रहती है।

खेलकूद का एक बड़ा ही मोहक पक्ष है- सामाजिक अभियोजन (Social Adjustment)। एक टीम के अनेक सदस्यों को साथ बाहर जाना पड़ता है। किस ढंग से रहे कि हमारे मित्रों को कोई कष्ट न हो, इसपर ध्यान देना पड़ता है। दूसरे के हित-अहित, भलाई-बुराई का भी खयाल रखना पड़ता है।

टीम की ओर से भोजन-नाश्ते का भी प्रबंध किया जाता है। हो सकता है कि उसमें थोड़ी कमी रह गई हो। मिल-जुलकर किस प्रकार आपस में निबटारा करना चाहिए, इसका तभी अनुभव होता है।

फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबाल, टेनिस आदि खेलों में विजय सामूहिक प्रयास पर निर्भर है। किसी टीम के सभी खिलाड़ी समान रूप से सक्षम हों, ऐसा नहीं होता। एक खिलाड़ी यदि थोड़ा दुर्बल है, तो दूसरे को उसकी क्षतिपूर्ति करनी पड़ती है। मानव-समाज की भी यही स्थिति है। सभी व्यक्तियों के समान क्षमता, समान शक्ति, समान स्फूर्ति और समान लगन नहीं होती। समाज की सर्वाधिक समुन्नति के लिए आवश्यक है कि हम स्वार्थ की जड़ अपने में नहीं जमने दें और उन्मुक्त भाव से सबके सहयोगी होकर काम करने की आदत डालें।

शिक्षा में खेल-कूद का महत्व

आज उच्चविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में शारीरिक-शिक्षा के प्रशिक्षित व्यक्ति नियुक्त किए जाते हैं , ताकि वे छात्रों को शारीरिक प्रशिक्षण दे सकें। खेलकूद में उनकी रुचि उत्पन्न कर सके, उनकी वृद्धि कर सके। छात्रों के प्रोत्साहन के लिए वर्ष में एक बार क्रीडा-प्रतियोगिता आयोजित की जाती है और उस रंगीन आयोजन में खिलाड़ियों के कार्यकलाप देखकर ईर्ष्या होने लगती है। आज खेलकूद पढ़ाई का एक अनिवार्य अंग बन गई है। जो खेलकूद में विशेषता प्राप्त करते हैं, उनके लिए नियुक्तियों
और सेवाओं के अनेक मार्ग खुल गए है।

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राष्ट्र विकास में खेल का महत्व

आज के युग में जीवन के प्रत्येक अंग के समांतर खेलकूद हो गई है। यदि साहित्य, विज्ञान, संगीत और समाजसेवा के सर्वोत्तम व्यक्तियों को पद्मश्री उपाधि से विभूषित किया जाता है, तो खेलकूद में अच्छा खेलनेवालों को भी पद्मश्री से विभूषित किया जा रहा हैं। टेलीविजन पर विश्व के कोने-कोने में होनेवाले विभिन्न खेलों को दिखाया जाता है। विश्व के  प्रमुख रेडियो केंद्रों से खेलकूद का समाचार प्रसारित किए जाते हैं। दैनिक समाचारपत्रों का लगभग आठवाँ हिस्सा तो केवल खेलकूद के समाचारों से ही भरा रहता है

आजकल विभिन्न भाषाओं में केवल खेलकूद से संबद्ध सचित्र पर-पत्रिकाएँ छपती है। खेलकूद के लिए बड़े-बड़े शहरों में सरकार ने क्रीड़ागार (stadium) बनवाए है। वहाँ खेल देखने के लिए मार पड़ती है, टिकट ब्लैक होता है तथा क्रीड़ाप्रेमी खिलाड़ियों के हस्ताक्षर लेने, उनके चित्र खिंचने के लिए दीवाने बने रहते हैं। यह खेल के प्रति जनरुची का अच्छा प्रमाण है।

सुप्रसिद्ध खिलाड़ियों को पैसे की कमी नहीं है। उन्हें खेल के लिए बहुत अधिक रुपये मिलते हैं। वे विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते है तथा अंतर्राष्ट्रीय खेलों में अपने देश की प्रतिष्ठा में चार-चाँद लगाते है। ओलंपिक खेलों में अमेरिका, चिन और रूस की जो स्थिति है, वह हमारे देश की नहीं, क्योंकि हमारे यहाँ खेलकूद पिछले दिनों कुछ हेय मानी जाती रही है। किन्तु, अब इस स्थिति को सुधारने के भरसक प्रयत्न हो रहे हैं।

खेलकूद के कारण रोजगार के और भी अनेक वातायन खुले हैं। देश-विदेश में खेलकूद के सामान बनानेवाले कितने ही कारखाने खुल गए है। हर बड़े शहर में सिर्फ खेलकूद – सामग्री की कितनी ही दुकाने खुल गई, पत्र-पत्रिकाओं में क्रीड़ा-संवाद के लिए खेलकूद के जानकार लोगों को ढूँढा जाता है तथा उन्हे अर्थोपार्जन का अवसर मिलता है। खेलकूद के नियमों पर अनेकानेक पुस्तकें लिखी जा रही है, किन्तु हिंदी में यह सारा क्षेत्र बचा ही है। आकाशवाणी और टेलीविजन के बहुत-सारे कमेंट्री करने वाले लोगों की जरूरत है।

इस तरह हम देखते हैं कि खेलकूद किसी भी प्रकार उपेक्षणीय नहीं है। चाहे प्रतियोगिता या सामाजिक अभियोजन की दृष्टि से देखा जाए, चाहे व्यवसाय की दृष्टि से, चाहे खेल की दृष्टि से देखा जाय या वैयक्तिक प्रतिष्ठा की दृष्टि से अथवा विश्व में किसी देश के ख्यातिलाभ की दृष्टि से देखा जाए, आज संसार में खेलकूद का महत्व निःसंदिग्ध है।

हमारी राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों को खेलकूद को प्रोत्साहन देना चाहिए। जैसे स्कूलों में शारीरिक-शिक्षा में प्रशिक्षित व्यक्ति को शिक्षक नियुक्त किया जाता है। वैसे ही महाविद्यालयों में व्याख्याता के स्तर पर रखा जाए। खेलकूद के प्रशिक्षण की संस्थाएँ खोली जाएँ, प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने की व्यवस्था की जाए तथा सुंदर संगठित शरीरवालों के लिए साक्षात्कार में विशेष अंक देने की व्यवस्था की जाए, तो हमारे देश के युवावर्ग में खेलकूद के प्रति विशेष आकर्षण होगा।

खेलकूद के लाभ

  • खेलकूद से हमारा शरीर शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत होता है।
  • खेल हमारे सामाजिक जीवन में अनुशासन लाते हैं। यह हमें निश्चित रूप से समर्पण, नियमित होना और धैर्य जैसे मूल्यों को सिखाता है।
  • खुले मैदान में खेलने से भूख ज्यादा लगती है और उनके शरीर का विकास अच्छा होता है।
  • खेलकूद के द्वारा आप अपने देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
  • अगर आप खेलने में अच्छे है तो आप इस क्षेत्रों में नौकरी भी प्राप्त कर सकते हैं।

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