लोक संगीत की परिभाषा, विशेषताएँ और महत्त्व पर निबंध (Folk Music Essay in Hindi)

सभी क्षेत्र विशेष का अपना एक अलग लोक संगीत होता है, और वो कहीं-न-कहीं उस क्षेत्र की महत्ता और विशेषता को दर्शाता है। लेकिन आज के इस आधुनिक युग में जहाँ लोग पॉप-कल्चर के साथ घुल-मिल गए हैं, वहीं दूसरी तरफ संस्कृति के रखवाले अपनी लोक संगीत को संजोने में लगे हुए हैं। और आज हम इसी लोक संगीत क्या है? इसके बारे में तो बात करेंगे ही साथ ही लोक संगीत की विशेषताएँ और महत्त्व पर भी बात करेंगे।

लोक संगीत की परिभाषा

लोक संगीत एक प्रकार का गीत है जो किसी क्षेत्र विशेष में लोगों द्वारा पारम्परिक रूप से गाया जाता है, और वह उनकी संस्कृति का एक हिस्सा भी होता है। भारत की वृहद् सांस्कृतिक विविधता के कारण भारतीय लोक संगीत विविधतापूर्ण है। इसके कई रूप हैं।

लोक संगीत शब्द का उद्गम तो 19वीं शताब्दी में हुआ लेकिन यह अक्सर उससे भी पुराने गीतों के लिए किया जाता है। गाँवों के इन लोग संगीतों में हम ग्रामीण जीवन की झांकी देख सकते हैं। ये न केवल ग्रामीणों के लिए मनोरंजन का एक साधन है बल्कि ग्रामीण समाज का एक प्रतिबिंब भी है।

लोक संगीत का महत्त्व (निबंध)

भारतीय लोगों के जीवन में संगीत हमेशा से एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता ने लोक संगीत के विभिन्न रूपों में अपना भरपूर योगदान दिया है। भारत के लगभग प्रत्येक क्षेत्र का अपना लोक संगीत है जो वहाँ की सटहनिक संस्कृति तथा जीवन के तौर-तरीक़ों को प्रतिबिम्बित करती है।

लोक संगीत, संगीत की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये उस संगीत से जुड़े लोगों का संक्षिप्त इतिहास भी प्रस्तुत करता है। लोक संगीत अक्सर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक महत्वपूर्ण सूचनाएँ भी पहुँचाते है। ये जीवन की वो कहानियाँ बताते हैं जो कि या तो भूली-बिसरी हो चुकी होती हैं या फिर समाप्त होने की कगार पर होती हैं। लगभग सभी लोग स्वयं को इन लोकगीतों से जोड़ सकते हैं।

लोक संगीत स्टूडियो में रीकॉर्ड या मंच पर प्रदर्शित न होकर लोगों द्वारा गाया जाता है। लोग इन गीतों को दूसरों के साथ गाकर सीखते हैं। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किए जाते हैं। इसलिए हर क्षेत्र का अपना लोक संगीत है।

लोक संगीत की विशेषताएँ 

  • लोक संगीत का कोई निश्चित लिखित नियम नहीं होता है। हालाँकि एक विशिष्ट प्रतिरूप लोक संगीत में आवश्यक होता है।
  • लोक संगीत के गीतों में पुनरावृत्ति होती है। गीत की पहली पंक्ति महत्वपूर्ण होती है और सामान्यतः अन्य पंक्तियों का निर्धारण इसकी लय पर ही होता है।
  • कुछ लोक संगीतों के गीत प्रश्नावली के प्रारूप में होते हैं। गीत के प्रथम पद में प्रश्न होता है और उसी गीत के अगले पद में उत्तर भी होता है।
  • लोक संगीत मुख्यतः बहुत सारे देवी-देवताओं के पौराणिक चरित्रों जैसे राम, कृष्ण, सीता, पार्वती आदि को वास्तविक जीवन के साथ जोड़ता है।
  • ये गीत सबसे पिछड़े हुए लोगों को भी खड़े होने और मुक़ाबला करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  • लोक संगीत के गीत प्राकृतिक और प्रवाही होते हैं।
  • लोक संगीत के प्रसिद्ध विषय हैं- कृषि गीत, जातियों के गीत, क्षेत्र के गीत, बच्चों के गीत, देवी-देवताओं के गीत, आदि।

Folk Music Essay in Hindi

लोक संगीत के उदाहरण की बात करें, तो बिहू गीत, उत्तराखंडी संगीत, लावणी, पंडवानी, रबीन्द्र संगीत, बाउल्स, भवगीत, नातुपुरा पादलगल, कुम्मी गीत, जेलियांग, कोली, भटिययाली, मांड, कजरी, दुलपद आदि हैं जो भारत के अलग-अलग राज्य में अपने क्षेत्र में गाए जाते हैं। 

लोक संगीत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें अपने पूर्वजों द्वारा दी गई संस्कृति को जानने का अवसर देते हैं। नृत्य, लोक संगीत और अन्य कलाएँ आदिम समाजों में भी उपलब्ध थे। नृत्य और लोक संगीत भारत के आदिम समाजों के जीवन के अक्षुण्य अंग थे। संगीत और नृत्य के बिना कोई भी सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम अधूरे थे। आदिम लोग सामान्यतः समूह में संगीत के साथ नृत्य करते थे।

भिन्न-भिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र जैसे- ढोल, बांसुरी आदि इसमें प्रयोग किए जाते थे। विभिन्न मौक़ों पर अवसर के अनुसार लोक गीतों को गाया जाता है। उदाहरण के लिए शादी के अवसर पर देवी-देवताओं से जुड़े गीत गाए जाते हैं। महिलाएँ घरों में काम करते समय लोक गीत गाती हैं। पुरुष खेतों में काम करते समय ये लोक गीत गाते हैं।

आदिम लोगों के विचार और भावनाएँ पूरी तरह से इन्हीं लोक गीतों के माध्यम से व्यक्त होती थी। यह युवक और युवतियों के लोक संगीत के अभ्यास में भी सहायता करती है। लोगों का जीवन उनके निवास क्षेत्र की मिट्टी और प्रकृति से बंधा हुआ है। इन सभी का प्रभाव लोक संगीत पर पड़ता है। यह लोक संगीत उन आदिम समाज की संस्कृति को भी जानने में सहायक होते हैं।

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