मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी में उस समय मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यह त्योहार किसी-न-किसी रूप में पूरे देश में मनाया जाता है, जैसे कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण एवं उत्तराखंड में उत्तरायनी के नाम से मकर संक्रांति का यह त्यौहार मशहूर है। आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?

हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तब संक्रांति होती है। इसी के साथ संक्रांति का नाम उस अनुसार होता है जिस राशि में सूर्य का प्रवेश हो रहा होता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने के कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बिच का समय सौर मास होता है। वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं: मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति। मकर संक्रांति के बारे में आपने यह भी गौर किया होगा कि यह हमेशा 14 जनवरी को ही मनाया जाता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि हिन्दू धर्म में पर्व व त्यौहार का निर्धारण चन्द्र पंचांग यानि चन्द्र की गति के अनुसार होता है., लेकिन Makar Sanranti हमेशा से अपवाद रहा है। इसका निर्धारण चन्द्र की गति के अनुसार नहीं होता है।

मकर संक्रांति का निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है। इस कारण यह हर साल 14 January को ही मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का महत्त्व

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ जाता है और इसी समय खरमास का अंत होता है। खरमास को अशुभ काल माना जाता है, इसके आते ही शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

Makar Sankranti के दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में आना शुरू हो जाता है। इसी के बाद से ही मौसम में भी बदलाव होने लगता है। मकर संक्रांति के समय जब सूर्य गोचर करता है, तो वो पृथ्वी के नजदीक आने लगता है। इसी के कारण दिन बड़ी और रातें छोटी होनी शुरू हो जाती है।

मकर संक्रांति को हुए सूर्य के राशि परिवर्तन को अन्धकार से प्रकाश की तरफ अग्रसर होना भी माना जाता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि प्रकाश लोगों के जीवन में खुशियाँ लाता है।

मकर संक्रांति के अलग-अलग नाम

मकर संक्रांति का पर्व हर राज्य और शहर में अलग-अलग तरीके और नाम से मनाया जाता है। इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है। कुम्भ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है।

अपने देश के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति के त्यौहार को विभिन्न नामों से पहचाना जाता है। कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण एवं उत्तराखंड में उत्तरायनी के नाम से मकर संक्रांति का यह त्यौहार मशहूर है।

उत्तर प्रदेश में खिचड़ी

मकर संक्रांति का त्यौहार उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन घरों में खिचड़ी बनाकर खाना शुभ माना जाता है। इसके आलावा लोग इस दिन तिल के लड्डू, तिल की गजक और मूंगफली के स्वाद का भी लुत्फ उठाते नजर आते हैं। यहाँ भी गंगा स्नान के बाद गरीबों को दान देने की परंपरा है।

तमिलनाडु में पोंगल

मकर संक्रांति का त्यौहार तमिलनाडु में पोंगल नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग घर में साफ-सफाई करने के बाद आँगन में आते और चावल के आते से रंगोली बनाते हैं। इसके बाद मिटटी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसका भोग सबसे पहले सूर्य देव को लगाया जाता है। तमिलनाडु में यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है।

पंजाब में लोहड़ी

लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड खाने और बांटने का महत्व है।पंजाब के कई इलाकों में इसे लोही या लोई भी कहा जाता है। इस दिन तिल खाने का विशेष रिवाज है।

महाराष्ट्र में पूरण पोली

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति का त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान महाराष्ट्र की पारंपरिक पूरण पोली खायी जाती है। साथ ही तिल से बने व्यंजनों को लोगों के बिच बाँट पुराणी कड़वाहट को भुलाने की भी पहल की जाती है।

बंगाल में गंगासागर मेला

पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर गंगासागर पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। यहाँ इस पर्व के दिन स्नान करने के बाद तिल दान करने की प्रथा है। हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में भरी भीड़ होती है।

गुजरात में पतंग महोत्सव

मकर संक्रांति पर राजस्थान और गुजरात में पतंग उड़ाने की परंपरा है। इसकी वजह से गुजरात में पतंग महोत्सव को भी बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। पतंग उड़ाने के अलावा इस दिन घरों में सूर्य पूजा करने के लिए घेवर, फैनी, तिल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। इस खास दिन यहाँ के लोग जरूरतमंद को दान करना भी शुभ मानते हैं।

Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति खेती से जुड़ा त्योहार है। इस समय तक धन, तिल, ज्वार, बाजरा, उड़द, गन्ने की फसल कट चुकी होती है। नया अन्न घर में आ जाता है। इसलिए हर घर में ख़ुशी का माहौल रहता है। इस दिन चावल और तिल से बनी चीजें खाई जाती हैं।

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