NATO का फूल फॉर्म है North Atlantic Treaty Organization (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन). इसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को अमेरिका के वाशिंगटन में किया गया था. जिसमें 12 संस्थापक सदस्य देश शामिल थे. यह एक प्रकार का अंतर-सरकारी सैन्य संगठन है. वर्तमान में NATO में 30 सदस्य देश शामिल है. तो आज हम बात करेंगे कि NATO Kya Hai ? NATO के कार्य एवं उद्देश्य क्या है ?
NATO Kya Hai?
NATO यानि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन, यूरोप और उत्तरी अमेरिकन देशों के मध्य की एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संगठन है, जो अपने सदस्य देशों को उनके व्यक्तिगत सुरक्षा एवं स्वतंत्रता को बनाए रखने का आश्वासन देता है. साथ हीं संकट के काल में एक-दूसरे की मदद करने का सुविचार को बढ़ावा देता है. NATO में अमेरिका और यूरोप के कई देश शामिल है, जो सामूहिक रूप से आतंकवाद को मिटाने पर जोर देते हैं.
नाटो (NATO) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी, वर्त्तमान में नाटो में कुल 30 देश शामिल है. NATO का मुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स शहर में है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का राजदूत होता है. जो अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं.
नाटो का मूल सिद्धांत यह है कि उनके सदस्य देशों में से किसी पर भी कोई हमला हुआ, तो यह हमला सभी देशों के ऊपर हुआ है, माना जाएगा. इसलिए इस संगठन मे शामिल सभी सदस्य देश खुद को सुरक्षित मानते है.
NATO के कार्य एवं उद्देश्य
- नाटो का मुख्य उद्देश्य है लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूरे विश्व में शांति स्थापित करना.
- NATO मे शामिल सभी सदस्य देशों में गृह युद्ध एवं आंतरिक असुरक्षा की भावना का समाधान करना.
- इसका एक और मुख्य उद्देश्य है पश्चिम यूरोप के देशों को एक सूत्र में संगठित करना
- सोवियत संघ का पश्चिम यूरोप की और विस्तार को रोकना.
- इस संगठन में शामिल सभी सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करना एवं एक-दूसरे की मदद करना.
नाटो की संरचना, NATO का गठन कैसे हुई?
नाटो (NATO) की संरचना 4 अंगों से मिलकर हुआ है. परिषद् , उप परिषद , प्रतिरक्षा समिति एवं सैनिक समिति.
परिषद्
यह नाटो का सर्वोच्च अंग है, जो संगठन में सभी प्रकार के धाराओं को लगाता है. परिषद् का निर्माण राज्य के मंत्रियों से होता है. इस मंत्रि परिषद् की बैठक प्रतिवर्ष एक बार होता है.
उप परिषद्
उप परिषद् NATO में शामिल सदस्यों की एक कूटनीतिक परिषद् है. इसका मुख्य कार्य है सामान्य हितों से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करना.
प्रतिरक्षा समिति
नाटो का प्रतिरक्षा मंत्री इस समिति में शामिल होते हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य है प्रतिरक्षा विषयों पर विचार विमर्श करना और नाटो का अंतिम अंग है.
सैनिक समिति
NATO के इस अंग का मुख्य कार्य है, परिषद और प्रतिरक्षा समिति को सलाह देन. सैनिक समिति का निर्माण नाटो के सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष से मिलकर होती है.
नाटो का इतिहास/ नाटो का गठन क्यों हुआ?
नाटो के बनने के पीछे भी एक इतिहास है और वो ये है कि द्वित्तीय विश्व युद्ध के समय रूस की जीत होती है. और अब रूस एवं उनके साथियों का खतरा यूरोपीय देशों में बढ़ने लगा. इसलिए इस खतरे को रोकने और यूरोपियन देशों को एकजुट करने के लिए अमेरिका के वाशिंगटन में एक मीटिंग होती है. जहाँ 12 सदस्य देश मिलकर नाटो की स्थापना करते हैं.
और अपना मुख्य उद्देश्य ये रखते हैं कि संगठन में मौजूद हर देश को आपातकालीन समय या युद्ध के समय एक दूसरे की मदद करेंगे.
नाटो से जुड़े कुछ तथ्य
- नाटो के स्थापना के समय मात्र 12 सदस्य देश थे. लेकिन आज इस संगठन में कुल 30 सदस्य देश शामिल हैं।
- भारत नाटो का सदस्य नहीं है क्योंकि नाटो एक युरोपियन देशों का संघ है और हमार प्यारा भारत एशिया में आता है.
- फ्रांस एक बार नाटो को छोड़ दिया था मागर बाद में फिर से उसका सदस्य बन गया.
- नाटो के दो अधिकारिक भाषाएं है जो नाटो में होने वाली मीटिंग में बोली जाती है. इंग्लिश और फ्रांसिस भाषा नाटो की भाषाएँ है.
नाटो में कितने देश शामिल हैं? नाटो के सदस्य देश
- USA ( अमेरिका )
- यूनाइटेड किंगडम
- तुर्की
- स्पेन
- स्लोवेनिया
- स्लोवाकिया
- रोमानिया
- पुर्तगाल
- पोलैंड
- नार्वे
- उत्तर मैसेडोनिया
- निदरलंद
- मोंटेनेग्रो
- लक्ज़मबर्ग
- लिथुआनिया
- लातविया
- इटली
- आइसलैंड
- हंगरी
- ग्रीस
- जर्मनी
- फ्रांस
- एस्टोनिया
- डेनमार्क
- चेक गणराज्य
- क्रोएशिया
- कनाडा
- बुल्गारिया
- बेल्जियम
- अल्बानिया
इसे भी पढ़ें :- यूनेस्को (UNESCO) क्या है ? यूनेस्को के कार्य एवं उद्देश्य
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