रक्षा बंधन का इतिहास क्या है? 10 Lines Essay on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है, जिसे न सिर्फ भारत बल्कि और भी बहुत से देशों में धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व किसी एक धर्म का नहीं बल्कि ये भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है, इसलिए रक्षा बंधन को भाई-बहन का त्योहार कहा जाता है।

भाई-बहन चाहे जितना भी दूर हों, इस दिन सारे काम छोड़-छाड़ के इस त्योहार को मनाते हैं। रक्षाबंधन, सावन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन को बहनें सुबह-सुबह नहा-धोकर पूजा अर्चना करती हैं, और अपने भाइयों के कलाई पर रेशम का धागा बांधकर उनके लंबे उम्र की कामना करती हैं। साथ ही भाई भी अपने बहन की हमेशा रक्षा करने का वादा करते हैं।

रक्षा बंधन का महत्त्व

श्रावणी की रसवंती झड़ी में जिस प्रकार कृषकों के नयनों में उल्लास छाया रहता है, उसी प्रकार श्रावणी पूर्णिमा के दिन उन बहनों के आनंद का कुल-किनारा नहीं दीखता, जिनके भाई रक्षासूत्र बँधवाने के लिए उपस्थित हो। किन्तु सूखे के मौसम में जिस तरह कृषकों के भोले चेहरे पर उदासी की पूरी वर्णमाला अंकित हो जाती है। उसी तरह उन बहनों की मायूसी को कौन माप सकता है, जिनके भाई नहीं हों या उस दिन कहीं चले गए हो।

वस्तुत: रक्षाबंधन भाई-बहन के परम पवित्र प्रेम का स्मारक पर्व है। वे दो नाजुक धागे त्याग और प्रेम के प्रतीक है। इन रेशमी धागों में इतनी शक्ति है, जितनी लोहे की जंजीरों में नहीं। लौहश्रंखला को झटक देना आसान है, किन्तु जो भी बहन के इस प्रेमबंधन में बँध गया, उसके लिए इसे तोड़कर निकल जाना असंभव है। भाई बहन के इस दिव्य प्रेम की अनेकानेक विस्मयकारिणी कहानियाँ सुनी जाती है।

लुटेरे हत्यारे तक ने अपने गिरोह के सरदार के आदेश की अवज्ञा कर उस रमणी की रक्षा की, जिसने कभी उसकी कलाई में राखी बाँधी थी। इस प्रकार, ना मालूम कितने भाइयों ने अपनी बहनों की राखियों की लाज रखने के लिए अपने को तलवार की धार से भिड़ा दिया, विपत्तियों के व्यूह का भेदन बड़ी ही विरता के साथ किया। इसका बड़ा ही रोमांचकारी वर्णन स्वर्गीय वृंदावनलाल वर्मा ने अपने ‘राखी की लाज’ नामक नाटक में किया है।

इसे भी पढ़ें: करमा पूजा कब मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?

पुराणों  में रक्षाबंधन की कथा मिलती है। एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति का उपाय श्रीकृष्ण से पूछा। श्रीकृष्ण ने कहा कि वही उपाय बताता हूँ, जो उपाय इन्द्र की रक्षा के लिए इंद्राणी ने किया था। प्राचीन काल में एक बार बड़ा भीषण देवासुर-संग्राम छिड़ा। देवता पराजित तथा असुर विजयी हो रहे थें। स्थिति यहाँ तक बिगड़ी की देवेन्द्र भी पराजित हो गए। वे अब अपनी राजधानी छोड़कर भागने को उद्यत हो गए।

इंद्राणी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक तैयार किए रक्षाकवच को इंद्र के दाहिने हाथ में बाँधा। इसका बड़ा ही अद्भुत परिणाम हुआ। देवेन्द्र का मस्तक विजय तिलक से विभूषित हुआ और देवेन्द्र राज बलि बाँध लिए गए। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि उपयुक्त पद्धति से जो मनुष्य रक्षाबंधन पाते हैं, उनके पास सालभर न तो रोग आता है और न कोई अशुभ व्यापात है।

इस प्रकार, यह त्योहार भाई-बहन के दिव्य प्रेम एवं पुरोहित-यजमान के सदभाव की याद दिलाने के लिए उपस्थित होता हैंं। रक्षाकवच द्वारा राष्ट्र की भगिनीशक्ति यदि एक ओर अपने भ्राताओं पर शुभकामनाओं एवं आशीर्वादों की अमृतवर्षा करती है, तो दूसरी ओर सबल भ्रातृगण अपने राष्ट्र के अबला-समुदाय के अभयदान के लिए कृतसंकल्प हो जाते हैं। इसी दिन ब्रह्मणवर्ग, अर्थात ज्ञान का आराधकवर्ग अवशिष्ट जनता पर अपनी मंगलकामनाओं का मंदाकिनी-वारि छिड़कता है।

आएँ, हम सभी कुंकुम, मिष्टान्न एवं राखियों में सजी थालियाँ लिए बहनों तथा आशीर्वादों की झोली लिए पूज्य गुरुओं के समक्ष अपने कर्म के प्रतीक दाहिने हाथ को राखियों से सुसज्जित होने के लिए बढ़ा दें- हमारी कर्मशक्ति इतनी अनंतगुणित हो जाएगी कि हमारी वैयक्तिक एवं राष्ट्रीय विजय निश्चित है।

10 Lines Essay on Raksha Bandhan in Hindi

  1. रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।
  2. रक्षाबंधन को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है।
  3. यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है।
  4. यह त्यौहार सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  5. इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं।
  6. रक्षा बंधन के दिन सभी भाई अपने बहनों को उपहार देते हैं।
  7. रक्षा बंधन के इस त्यौहार से भाई-बहन के रिश्ते और भी मजबूत हो जाते हैं।
  8. महीने भर पहले ही बाजारो में रंग बिरंगी सुंदर राखी बिकने लगती है।
  9. रक्षा बंधन का इतिहास महाभारत युग से चलता आ रहा है।
  10. इस त्यौहार को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाते हैं।

Leave a Comment