विधान सभा या वैधानिक सभा को भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन या सोल हाउस भी कहा जाता है. दो केद्र शासित राज्यों दिल्ली व पुडुचेरी में भी इसी नाम का प्रयोग निचले सदन के लिए किया जाता है. विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं. क्योंकि उनका चुनाव किसी एक राज्य के वयस्क नागरिकों (18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग) के द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Vidhan Sabha ke kary aur Adhikar के बारे में.
विधान सभा क्या है?
इस सभा को वैधानिक सभा के नाम से भी जाना जाता है. विधान सभा या वैधानिक सभा को भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन या सोल हाउस के नाम से भी जाना जाता है. विधान सभा के सदस्य राज्य के जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं. क्योंकि उनका निर्वाचन राज्य के वयस्क नागरिकों के द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के द्वारा होता है.
विधान सभा सदस्यों की संख्या कितनी है?
प्रत्येक राज्य के विधान सभा में कम से कम 60 तथा अधिकतम 500 सदस्य होते है. लेकिन कुछ राज्यों में विधान सभा सदस्यों की संख्या अपवाद में है. अरुणाचल प्रदेश- 40, गोवा – 40, मिजोरम- 40, सिक्किम- 32. विधान सभा की अध्यक्षता करने के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार सदन को प्राप्त है, जो विधान सभा के बैठकों का संचालन करता है.
साधारणतया विधान सभा अध्यक्ष सदन में मतदान नहीं करता. परन्तु यदि सदन में मत बराबरी में बंट जाए, तो वह निर्णायक मत देता है. जब कभी अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन हो, उस समय वह सदन की बैठकों की अध्यक्षता नहीं करता है. किसी विधेयक को धन विधेयक माना जाए अथवा नहीं, इसका निर्णय विधान सभा अध्यक्ष ही करता है. सदन के बैठकों के लिए सदन के कुल सदस्यों के दसमांश सदस्यों की उपस्थिति गणपूर्ति हेतु आवश्यक है.
विधान सभा का कार्यकाल कितना होता है?
विधान सभा का कार्यकाल 5 वर्ष है. किन्तु विशेष परिस्थिति में राज्यपाल को यह अधिकार है कि, वह इससे पूर्व भी विधान सभा को विघटित कर सकता है. विधान सभा के सत्रावसना के आदेश राज्यपाल के द्वारा दिए होते हैं.आपातकाल के दौरान विधान सभा सत्र को बढ़ाया जा सकता है या इसे भंग किया जा सकता है.
सभा का सत्र आपातकाल के दौरान बढ़ाया जा सकता है, लेकिन एक समय में केवल छः महीनों के लिए. विधान सभा को बहुमत प्राप्त या गठबंधन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने पर भी भंग किया जा सकता है. राज्य विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी केन्द्रीय चुनाव आयोग की होती है.
विधान सभा सदस्य बनने के लिए योग्यता
- उम्मीदवार भारत देश के नागरिक हो.
- विधान सभा में निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम आयु-सीमा 25 वर्ष निर्धारित है.
- व्यक्ति दिवालिया या पागल न हो.
- कोई अपराधिक मुकदमा न होने का प्रमाण होना चाहिए.
विधान सभा के कार्य और अधिकार
विधि निर्माण
- विधान सभा को राज्य सूची से सम्बंधित विषयों पर विधि निर्माण करने का अधिकार प्राप्त है.
- समवर्ती सूची से सम्बंधित विषयों पर संसद की तरह राज्य विधान मंडल भी विधि निर्माण कर सकता है, किन्तु यदि दोनों द्वारा निर्मित विधियों में परस्पर विरोध की सीमा तक संसदीय विधि वरणीय है.
वित्तीय विषयों से सम्बंधित कार्य
- राज्य विधानमंडल द्वारा राज्य सरकार की वित्तीय अवस्था को पूर्णतया नियंत्रित करता है.
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में विधान मंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण अथवा बजट प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें शासन की आय और व्यय का विवरण रहता है.
- बजट वित्त मंत्री द्वारा रखा जाता है.
- कोई धन विधेयक प्रारंभ में विधान परिषद् में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है. जब विधान सभा किसी धन विधेयक को पारित कर देती है, तब वह विधान परिषद् के पास भेज दिया जाता है.
- विधान परिषद को 14 दिनों के अंतराल में विधान सभा को लौटाना पड़ता है. विधान परिषद् उस विधेयक के सम्बन्ध में संस्तुतियां तो दे सकती है.
- किन्तु वह न तो उसे अस्वीकार कर सकती है और न ही उसमें संशोधन ही कर सकती है.
- विधान सभा द्वारा पारित किये जाने के 14 दिनों के बाद विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित समझ लिया जाता है. तथा राज्यपाल को उस पर अपनी सहमति देनी पड़ती है.
कार्यपालिका पर नियंत्रण सम्बन्धी कार्य
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है.
- जब कभी भी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ता है.
संवैधानिक संशोधन सम्बन्धी कार्य
- संघीय स्वरुप को प्रभावित करने वाला कोई संवैधानिक संशोधन विधेयक यदि संसद के दोनों सदनों के द्वारा पारित हो जाता है.
- तो आधे से अधिक राज्यों के विधान मंडलों द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है.
निर्वाचन सम्बन्धी अधिकार
- राष्ट्रपति के निर्वाचन में जितना मताधिकार संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को प्राप्त है.
- उतना ही मत देने का अधिकार राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को प्राप्त है.
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