समाज में कई तरह के बच्चे होते हैं, जैसे, मंदबुद्धि, तीव्र बुद्धि, शारीरिक रूप से असक्षम बच्चे यानि विकलांग बच्चे एवं सामान्य बच्चे. शारीरिक और मानसिक रूप से असमर्थ बच्चे सामान्य बच्चों से भिन्न होते हैं. असमर्थ बच्चों और सामान्य बच्चों को समानता का अधिकार यानि सभी को समान अवसर प्राप्त हो, इसलिए एकीकृत शिक्षा को अपनाया गया. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि एकीकृत शिक्षा क्या है Integrated Education Kya Hai? इसकी विशेषताएँ और महत्त्व क्या है?
एकीकृत शिक्षा क्या है?
एकीकृत शिक्षा, वह शिक्षा है जिसके अंतर्गत शारीरिक रूप से बाधित या असक्षम बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ सामान्य कक्षा में एक साथ शिक्षा दिया जाता है. एकीकृत शिक्षा विशिष्ट शिक्षा का विकल्प न होकर विशिष्ट शिक्षा का पूरक है. यह शिक्षा असमर्थ बालकों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाती है तथा नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करती है. क्रूकशंक के अनुसार, ” विशिष्ट बालकों की शिक्षा सम्पूर्ण शिक्षा का हिस्सा है.” यह एक आयाम है. जो असमर्थ बालकों को शिक्षा की समानता व अवसर प्राप्त करता है, जो अब तक उन्हें नहीं दिए गए. यानि एकीकृत शिक्षा असक्षम बालकों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करता है.
एकीकृत शिक्षा की विशेषताएँ
- एकीकृत शिक्षा असक्षम बच्चों के लिए प्रभावी वातावरण उपलब्ध कराती है, जिससे वे सामान्य बालकों की तरह शिक्षा ग्रहण करें और उनके समान जीवनयापन कर सके.
- जो सुविधाएँ सामान्य बालकों को प्रदान की जाती है, वही सुविधाएँ असक्षम बालकों को भी दी जाती है.
- यह शिक्षा असमर्थ बालकों को उनके व्यक्तित्त्व की पहचान के आधार पर व्यवहार करती है, उनकी बाधिता के अनुसार नहीं.
- इस शिक्षा में सामान्य मानसिक विकास संभव है.
- विशिष्ट शिक्षा की अपेक्षा एकीकृत शिक्षा कम खर्चीली है एवं यह सामाजिक एकीकरण को सुनिश्चित करती है.
- यह अपंग बालकों को समान शिक्षा के अवसर प्रदान करती है. ताकि वे अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त कर सके और आत्मनिर्भर बन सकें.
- इंटीग्रेटेड एजुकेशन माता-पिता, अध्यापकों व शिक्षाविदों के सामूहिक प्रयास पर आधारित है.
एकीकृत शिक्षा का महत्त्व
असमर्थ बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ एक ही विद्यलय में शिक्षा प्रदान करना, एकीकृत शिक्षा है. असक्षम बच्चे सामान्य बच्चों से अलग होते हैं. इसलिए पहले असमर्थ बालकों को सामान्य बालकों से अलग विशिष्ट शिक्षा यानि special education दिया जाता था. इनके लिए विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था की गयी. लेकिन इससे बालकों में हीन भावना का विकास होता है. इसलिए असमर्थ व सामान्य बालकों के लिए एक शिक्षा यानि एकीकृत शिक्षा को अपनाया गया. इससे सामान्य बच्चों और विशिष्ट बच्चों को शिक्षा का समान अवसर प्राप्त होगा. एकीकृत शिक्षा का कुछ महत्त्व इस प्रकार है,
- सामाजिक मूल्यों का विकास
- मानसिक विकास
- प्राकृतिक वातावरण
- कम खर्चीली
- समानता का सिद्धांत
सामाजिक मूल्यों का विकास
इस शिक्षा से सामाजिक मूल्यों का का विकास होगा. समाज में अनेक तरह के समर्थ, असमर्थ, अक्षम, मंदबुद्धि एवं तीव्र बुद्धि के बच्चे होते हैं. इन सभी तरह के बच्चों को एकीकृत शिक्षा प्रणाली के द्वारा समन्वित शिक्षा दिया जाता है. जिससे समर्थ और असमर्थ सभी बच्चे आपस में मिलते हैं. अत: एकीकृत शिक्षा के द्वारा बच्चों में समाजीकरण की भावना का विकास होता है. बच्चों में सहयोग, भाईचारा, जैसी विभिन्न सामाजिक मूल्यों का विकास होता है.
मानसिक विकास
विशिष्ट बच्चों यानि असक्षम बच्चों को विशेष विद्यालय व विशेष शिक्षकों के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है. जिससे असमर्थ बच्चों में हीन भावना उत्पन्न होती है. असमर्थ बच्चे सोचते हैं कि हमें सामान्य बच्चों के साथ सामान्य कक्षा में क्यों नहीं पढाया जाता है. जिससे उनके मन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. लेकिन एकीकृत शिक्षा में सामान्य बालकों और विशिष्ट बालकों को एक साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा दी जाती है. इससे बालकों का मानसिक विकास होता है.
प्राकृतिक वातावरण
समर्थ और असमर्थ दोनों अरह के बच्चे आपस में मिलते हैं, दोनों एक साथ रहते-रहते दोस्त बन जाते हैं. जिससे एक दुसरे में प्रेम, भाईचारा की भावना विकसित होती है. यानि सामान्य विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्राकृतिक वातावरण मिलता है.
एकीकृत शिक्षा कम खर्चीली है
विशिष्ट शिक्षा में बहुत अधिक धन व्यय होता है. इसके लिए विशेष अध्यापक, विशेष शिक्षण विधियाँ, विशेष पाठ्यक्रम व विशेष शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है. वहीँ एकीकृत शिक्षा समान्य बालकों और विशिष्ट बालकों को एक साथ सामान्य विद्यालय में प्रदान की जाती है. जिसमें विशेष शिक्षण विधियाँ, विशेष अध्यापक या विशेष पाठ्यक्रम की आवश्यकता नहीं होती. अत: एकीकृत शिक्षा कम खर्चीली होती है.
समानता का सिद्धांत
भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार में समानता का सिद्धांत का उल्लेख है. समानता का मतलब होता है, बिना किसी भेदभाव के सभी को समान अवसर प्राप्त हो. यानि संविधान में प्रत्येक बच्चे को बिना किसी भेदभाव के समान शिक्षा उपलब्ध हो, इसका प्रावधान है. सभी के लिए समान शिक्षा उपलब्ध हो, इस उद्देश्य की पूर्ति एकीकृत शिक्षा पूरी करती है.