पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती है. जैसे, धर्म, राजनीति, दर्शन, साहित्य, रचनाएँ, उपन्यास, कहानी और लेखकों, कवियों के आत्मकथा और जीवन परिचय आदि की पुस्तकें. पुस्तकालय का मतलब ही ‘पुस्तक का घर’ होता है. यानि पुस्तकालय पुस्तकों का भंडार होता है. यहाँ ज्ञान की देवी माता सरस्वती निवास करती है. यह वह स्थान है जहाँ विविध प्रकार के ज्ञान का भंडार रहता है. हम सभी अपने खाली समय का सदुपयोग पुस्तकालय में करते हैं. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे Pustakalya par Nibandh, पुस्तकालय के बारे में निबंध कैसे लिखे?
पुस्तकालय क्या है?
पुस्तकालय अंग्रेजी के Library शब्द का हिंदी अनुवाद है. लाइब्रेरी को ही हिंदी में पुस्तकालय कहा जाता है. यहाँ विभिन्न प्रकार के पुस्तकों का भंडार होता है. कह सकते हैं कि पुस्तकालय ज्ञान का एक भंडार है, जहाँ से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. पुस्तकालय वह मंदिर है, जिसमें देवी सरस्वती का अधिवास है, वह तीर्थराज है, जहाँ संसार का सर्वोत्तम ज्ञान और विचारों का सम्मिलन होता है. ऐसा पुण्यसरोवर है, जिसमें हर क्षण ज्ञान के कमल खिलते हैं.
बड़े-बड़े अमीरों के बच्चे भी हर प्रकार की पुस्तकें नहीं खरीद पाते हैं. अत: सबके लिए एक मात्र विकल्प पुस्तकालय है. विद्यालय हमें तैरना सिखलाते हैं, ज्ञान के पानी में उतरने का तरीका बताया जाता है. पुस्तकालय वह विशाल महासागर है, जहाँ हम गोते लगाकर ज्ञान के दुर्लभ मूल्यवान मोती को प्राप्त कर सकते हैं. इसलिए विद्यार्थी जीवन में इसका महत्त्व काफी अधिक है.
पुस्तकालय का अर्थ
पुस्तकालय दो शब्दों ‘पुस्तक+आलय‘ से मिलकर बना है. इसका अर्थ होता है, ‘पुस्तक का घर’. ऐसा स्थान जहाँ विभिन्न प्रकार के ज्ञान, विज्ञान से सम्बंधित पुस्तक होता है. किन्तु यह इसका साधारण अर्थ है. इससे इसकी विशिष्टता और महत्ता का पता नहीं चलता है. कुछ ऋषिमुनियों ने कहा है ‘स्वाध्यायान्मा प्रमद’ अर्थात स्वाध्याय में प्रमाद न करो. देववाणी कहती है, ब्राह्मण वह है, जिसका सारा जीवन अध्ययन में रमा रहे. पुस्तकधारिणी सरस्वती की सतत समर्चना के लिए पुस्तक से बढ़कर और कोई साधन नहीं है. पुस्तक पूर्णिमा की वह रात्रि है, जिसके द्वारा अज्ञान का अंधकार दूर होता है.
पुस्तकालय के लाभ : Library Essay in Hindi
- आप पुस्तकालय में जाकर किसी भी लेखक, महाकवि या कवि की रचनाओं, उपन्यासों, ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं.
- चाहे तो आप गोस्वामी तुलसीदास के ‘रामचरित्रमानस’, मुंशी प्रेमचंद के सेवासदन, गोदान, विष्णु शर्मा के ‘पंचतंत्र की कहानी’ का अध्ययन कर सकते हैं.
- या अंग्रेजी साहित्य के लेखक शेक्सपियर की रचनाओं का अध्ययन कर सकते हैं.
- किसी महापुरुष, लेखक या कवि का जीवन परिचय एवं आत्मकथा का भी अध्ययन कर सकते हैं.
- हम जितना किसी महापुरुष पुस्तकों के द्वारा जान सकते हैं, उतना उनको मित्र क्या उनके पुत्र तक भी उसे नहीं जान सकते.
- पुस्तकों द्वारा धर्म, दर्शन, इतिहास, विज्ञान, व्याकरण, निबन्ध, भूगोल, कविता और कहानी आदि का ज्ञान प्राप्त होता है. और इन सभी ज्ञान को हम पुस्तकालय से प्राप्त कर सकते हैं.
- राजनीति, दर्शन, विज्ञान, साहित्य जिस विषय के बारे में आप अध्ययन करना चाहते हैं उस विषय की पुस्तक को प्राप्त करके अध्ययन कर सकते हैं.
- संसार के किसी भी देश की संस्कृति एवं सभ्यता का ज्ञान पुस्तकालय में बैठकर अर्जित कर सकते हैं, तथा उनके साहित्य एवं संस्कृति के विकास के बारे में जान सकते हैं.
- लाइब्रेरी वैयक्तिक उन्नयन का पथ प्रशस्त करता है, साथ ही साथ सामाजिक जीवन के विकास का भी रहस्य खोलता है.
- पुस्तकालय में सम्पूर्ण विज्ञान और संस्कृति के ज्ञान का भंडार है. यही कारण है कि बाबर से कार्ल मार्क्स तक पुस्तकालय प्रेमी रहे.
पुस्तकालय पर निबंध, महत्त्व
विभिन्न क्षेत्रों में पुस्तकालय होता है. पुस्तकालय विद्यालय, विश्वविद्यालय में होता है. इसके अलावे वैयक्तिक, सामूहिक या राजकीय तथा अराजकीय होता है. सभी क्षेत्र की पुस्तकालयों में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती है. हम पुस्तकालय से नयी-नयी ज्ञान ग्रहण करते हैं. इसलिए पुस्तकालय का महत्त्व विद्यार्थी जीवन में अत्यंत है.
- पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की ज्ञान से जुडी पुस्तकें होती है. गरीब-अमीर सभी बच्चे पुस्तकालय में जाकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.
- विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय बहुत उपयोगी है. पुस्तकालय में जाकर छात्र ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.
- यह विद्यार्थियों की रुचि, योग्यता, कार्यक्षमता और कार्यकुशलता में वृद्धि करने का अवसर प्रदान करता है।
- छात्र पुस्तकालय में धर्म, दर्शन, इतिहास, विज्ञान, व्याकरण, निबन्ध, भूगोल, कविता और कहानी, उपन्यास, ग्रन्थ और विभिन्न लेखकों, कवियों की आत्मकथा एवं जीवन परिचय का अध्ययन करते हैं.
- इससे स्वाध्याय की आदतों का विकास होता है. पुस्तकालय में जाकर विद्यार्थी स्वयं पुस्तके बढ़ते हैं, इससे स्वयं अध्ययन करने की आदत का विकास होता है.
- लाइब्रेरी में एक साथ कई विद्यार्थी पुस्तकों का अध्ययन करते हैं. इस कारण मौन स्थिति में छात्र पुस्तकें पढ़ते हैं. इससे मौन-वाचन की आदत विकसित होती है.
- छात्र अपनी रूचि की पुस्तकें बढ़ सकते हैं. इससे विद्यार्थियों को सामान्य ज्ञान भी प्राप्त होता है.
- शिक्षकों के जीवन में भी पुस्तकालय का काफी महत्व है. शिक्षक हमेशा अधिगमकर्ता होता है. यानि नयी-नयी ज्ञान प्राप्त करते रहता है.
- यह शिक्षकों के लिए बौद्धिक और साहित्यिक पुस्तकें प्रदान करता है.
- अध्यापक के लिए एक शैक्षिक प्रयोगशाला भी है, पुस्तकालय.
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए सभी तरह की पुस्तकें खरीद पाना आसान नहीं होता है. पुस्तकालय में जाकर सभी बच्चे अपनी रूचि और जरुरत की पुस्तकें लेकर अधययन कर सकते हैं.
विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय सोवियत संघ में है, कीव का राष्ट्रीय पुस्तकालय. यहाँ पुस्तकों की संख्या 70,97,000 है. जबकि भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय में केवल दस लाख की पुस्तकें हैं, जो कोलकाता में. हमारे देश के पिछड़ेपन का यही कारण है कि यहाँ कि पुस्तकालय अन्य विकसित देशों के मुकाबलें पिछड़े हैं. भारत में पुस्तकालय प्रेमी सबसे कम है.
पुस्तकालय पर 10 लाइन
- पुस्तकालय का मतलब ‘पुस्तक का घर’ होता है. यानि पुस्तकालय पुस्तकों का भंडार होता है.
- यहाँ विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का भंडार होता है. जैसे,राजनीति, दर्शन, विज्ञान, साहित्य, रचनाएँ, उपन्यास, कहानी और लेखकों, कवियों के आत्मकथा और जीवन परिचय आदि की पुस्तकें होती है.
- ज्ञान की देवी माता सरस्वती पुस्तकालय में अधिवास करती है. यह वह स्थान है जहाँ विविध प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, स्रोतों, सेवाओं आदि का संग्रह रहता है।
- खाली समय या व्यर्थ समय का सदुपयोग के लिए पुस्तकालय काफी महत्वपूर्ण है. पुस्तकालय में जाकर पुस्तकों का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं.
- किसी भी लेखक, महाकवि या कवि की रचनाओं, उपन्यासों, ग्रंथों का अध्ययन पुस्तकालय में कर सकते हैं.
- आप चाहे तो गोस्वामी तुलसीदास के ‘रामचरित्रमानस‘, मुंशी प्रेमचंद के सेवासदन, गोदान, विष्णु शर्मा के ‘पंचतंत्र की कहानी’ का अध्ययन कर सकते हैं.
- या अंग्रेजी साहित्य के लेखक शेक्सपियर की रचनाओं का अध्ययन कर सकते हैं.
- संसार के किसी भी देश की संस्कृति एवं सभ्यता का ज्ञान पुस्तकालय में बैठकर अर्जित कर सकते हैं, तथा उनके साहित्य एवं संस्कृति के विकास के बारे में जान सकते हैं.
- पुस्तकालय विश्व का स्नायु-केंद्र है. यह वह गंगोत्री है, जहाँ ज्ञान की गंगा बहती रहती है. और वह तपोवन है, जहाँ बुद्धि के बंद नेत्र खुलते रहते हैं.
- अत: हम अपनी सतत निष्टा एवं सतर्कता से अपने देश में जितना जल्दी समृद्ध पुस्तकालयों का निर्माण कर सकेंगे उतना ही जल्दी हम विद्या और बुद्धि को प्राप्त कर सकेंगे और देश का विकास हो सकेगा.
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