बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी की समस्या का कारण: Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना सामान्य बात हो गई है. जब रोजगार की तलाश में भटकते हुए, युवक को अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती, तो युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने, जलाने के लिए विवश हो जाते हैं. उस समय घर एवं समाज के लोग उसे निकम्मा समझते हैं. बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Berojgari ki Samasya par Nibandh के बारे में.

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना 

आज देश में बेरोजगारी एक वायरस की तरह फैल चुका है, जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया, तो हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगा. देश की तरक्की के रास्ते में कई सारे कारक पाव पसारे खड़े हैं, लेकिन बेरोजगारी उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक है. महात्मा गाँधी जी ने बेरोजगारी को “समस्याओं का समस्या” कहा है.

युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिससे तनाव भी बढ़ता जा रहा है. हमारा देश युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा युवा हैं, जो की अच्छी बात है. लेकिन जब युवा जनसंख्या ही बेरोजगार हो, तो देश के लिए कोई लाभ नहीं है. क्योंकि बेरोजगार युवा आखिर देश के विकास में क्या योगदान दे सकती है.

बेरोजगारी का अर्थ

बेरोजगारी का अर्थ है, योग्यता होने के बावजूद कोई काम न मिलना.आज देश में कई ऐसे युवक हैं जो ग्रेजुएशन, बीएड की डिग्री प्राप्त करके रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण स्नातक, परास्नातक, शिक्षा-स्नातक की पढाई करके गाँव के गलियों में भटक रहे हैं. बेरोजगार होने के कारण अक्सर युवाएं तनाव में रहते हैं, जिससे कई तरह के रोग उनके शरीर में घर बना लेते हैं.

एक बेरोजगार इंसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि, देश के भी किसी काम नहीं आ सकता. बेरोजगार लोगों को उनके परिवार वाले एक बोझ की तरह देखते हैं, और बेरोजगार लोग भी समाज के तानों से तंग आकर गलत रास्ते चुन लेते हैं. ताकि उनके माथे पर निकम्मे होने का कलंक ना रहे.  बेरोजगारी बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इसके अर्थ और परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.

बेरोजगारी के प्रकार 

अल्प बेरोजगारी

अल्प बेरोजगारी का अर्थ है, क्षमता के अनुसार रोजगार न मिलना. यानि कुछ समय या घंटे का काम मिलना. उदहारण के लिए, एक व्यक्ति 8 घंटों तक कार्य करने में सक्षम होते हुए भी उसे सिर्फ 2-4 घंटे तक का हीं रोजगार मिल पा रहा है, तो इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है. ये स्थिति मजदूरों में देखा जा सकता है. जैसे मान लीजिए उन्हें एक दीवार बनाना है जिसके लिए उन्हें लगभग 5 घंटे का समय लगेगा. इस हिसाब से उस मजदूर को मात्र 5 घंटे तक के लिए रोजगार उपलब्ध हुआ, बाकी समय वह बेरोजगार हीं कहलाएगा.

खुली बेरोजगारी 

खुली बेरोजगारी वह स्थिति है, जब एक व्यक्ति के पास पूरा समय कोई काम नहीं होता. इसमें व्यक्ति के पास किसी प्रकार का कोई भी रोजगार नहीं होता. ऐसे लोग अपने परिवार के किसी सदस्य के पर निर्भर होते हैं, खुली बेरोजगारी गाँव और शहर दोनों में हीं देखी जा सकती है. खुली बेरोजगारी की समस्या से अधिकतर युवा जूझ रहे हैं, जिन्हें कोई अच्छा काम उपलब्ध नहीं होता. और छोटी-मोटी काम को करने में ये लोग अपना अपमान समझते हैं.

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी का मतलब होता है, एक मौसम के लिए काम का मिलना. इसमें एक इंसान के पास कोई निर्धारित काम नहीं होता, मौसम के आने पर काम का मिलना और मौसम के खत्म होते ही बेरोजगार हो जाए. जैसे अगर कोई व्यक्ति दीया बनाने का काम करता है, तो वह केवल दिपावली के समय तक हीं रोजी-रोटी कमा पा रहा है. बाकी समय वह बेरोजगार हीं रहेगा.

उसी तरह एक किसान को भी मौसमी बेरोजगारी का शिकार होना पड़ता है. जब मॉनसून आता है, तब किसान खेती का कार्य करते हैं, उसके बाद बाकी का समय उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है. भारत जैसी कृषि प्रधान देश में मौसमी बेरोजगारी विद्यमान है. क्योंकि यहाँ की अधिकांश जनसँख्या कृषि कार्य पर निर्भर रहते हैं.

Berojgari ke Karan: बेरोजगारी की का कारण

दूषित शिक्षा प्रणाली 

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि    वर्त्तमान  समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है.  बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के उपाय 

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • देश की जनसँख्या में कमी होगी, तो सभी को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा.
  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • लघु, कुटीर उद्योग, हस्तकरघा उद्योगों का विकास किया जाए, औधोगीकरण से सभी को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

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