बुलेटप्रूफ जैकेट क्या होता है? Bulletproof Jacket Meaning in Hindi

क्या आपको पता है कि Bulletproof Jacket Kya Hota Hai? बुलेटप्रूफ जैकेट के बारे में आपने जरुर सुना होगा. यह जैकेट गोलियों से बचने के लिए पहनी जाती है.

सेफ्टी की कई लेयर्स वाली यह जैकेट तेज स्पीड गोलियों के असर को ख़त्म कर देती है. युद्ध व किसी ऑपरेशन के दौरान पुलिस और आर्मी के लिए यह सुरक्षा कवच का काम करती है.

बुलेटप्रूफ जैकेट का आईडिया 15वीं सदी में आया, जब इटली में धातुओं की कई परतों का इस्तेमाल करने कवच बनाया गया था. आइए जानते हैं कि बुलेटप्रूफ जैकेट क्या होता है? और इसे कैसे बनाया जाता है?

बुलेटप्रूफ जैकेट क्या होता है?

बुलेटप्रूफ जैकेट एक ऐसा जैकेट होता है जो बुलेट यानी गोलियों को भी रोक सकती है. बुलेटप्रूफ जैकेट के निर्माण के लिए सबसे पहले जरुरी कपड़ों का निर्माण किया जाता है.

इसके लिए फाइबर या फिलामेंट का उत्पादन किया जाता है, जो कि वजन में हल्का लेकिन मजबूत होता है. इसमें सबसे प्रसिद्ध मटेरियल ‘केवलर’ है, जो कि एक para-aramid synthetic fiber होता है.

बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे बनाया जाता है?

Kevler के मिश्रण से कताई द्वारा एक ठोस धागा उत्पादित किया जाता है. यह बहुत मजबूत होने के साथ-साथ बहुत हल्का भी होता है. जैकेट में बैलिस्टिक पैनलों को फिट करने के लिए जेबें होती हैं.

बुलेटप्रूफ जैकेट को तैयार करते समय दो लेयर पर ध्यान दिया जाता है. पहला ceramic layer और दूसरा ballistic layer, जिसे मिला कर बुलेटप्रूफ बनाने की प्रक्रिया में फाइबर या फिलामेंट को बड़ी रील के रूप में बना लिया जाता है.

इसके बाद इस रील और पॉलिथीन बेस की सहायता से मजबूत चादर (ballistic sheet) का निर्माण किया जाता है. अंतिम रूप से नितमित बलिस्टिक शीट के ऊपर तैयार धागे को लगभग 130-200 मीटर (320-660 फूट) की लम्बाई में रोल किया जाता है, जो कि किसी अन्य कपड़ों के रोल की तरह दीखता है.

बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे काम करता है?

जब कोई बुलेट इन प्लेटों से टकराती है, तो उसकी रफ़्तार कम हो जाती है और वह छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाती है. फिर गोलियों की भेदने की क्षमता कम हो जाती है और उसे पहने हुए इन्सान के शरीर के संपर्क में नहीं आ पाती है.

जब गोली टुकड़ों में बिखर जाती है तो उससे बड़ी मात्रा में निकलने वाली ऊर्जा को बलिस्टिक प्लेट की दूसरी परत सोख लेती है. इससे बुलेटप्रूफ जैकेट पहले हुए इंसान को कम नुकसान पहुंचता है.

शुरू में कवच का प्रयोग इसलिए किया गया, ताकि गोलियां इंसान के शरीर से न टकराए. लेकिन इससे निकलने वाली ऊर्जा के लिए कोई उपाय नहीं किया गया. ऐसे में इंसान गोली से तो बच जाता था, लेकिन उसकी ऊर्जा शरीर के अंग के लिए घातक साबित होती थी. इसके बाद जैकेट को improve किया गया.

History of Bulletproof Jacket in Hindi

पहले लड़ाई के दौरान दुश्मनों के हमलों से बचने के लिए कवच के रूप में चमड़े का इस्तेमाल किया जाता था. उसके बाद लकड़ी और धातु से बने कवच भी बनने लगे.

फिर 15वीं सदी में बुलेटप्रूफ जैकेट का आईडिया आया. वर्ष 1538 में फ्रांसेस्को मारिया डेला रोवर ने बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने के लिए फिलिपो नेग्रोली को कमीशन दिया था.

पहले विश्व युद्ध में किसी कवच के ही युद्ध शुरू हुआ था. उस दौरान विभिन्न निजी कंपनियों ने बॉडी प्रोटेक्शन जैकेट के लिए विज्ञापन दिए थे, लेकिन यस दौरान ये सैनिक के लिए बहुत महंगे थे.

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