आप सभी ने ईसा मसीह का नाम तो सुना ही होगा। ईसा मसीह (यीशु मसीह) इसाई धर्म के संस्थापक हैं। Jesus Christ भी एक आम इंसान ही थे, लेकिन फिर भी उन्होंने लोगों के लिए सेवा की और संसार के कष्टों को दूर किया। इस कारण इनके जन्मदिन को इसाई धर्म के लोग Christmas Day त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
यीशु इसाई धर्म के प्रचारक और संस्थापक थे, उसके साथ ही ये लोगों के कष्टों को दूर करने वाले थे। बचपन से ही इनकी रूचि धार्मिक कार्यों में रहता था और वे अपनी 30 वर्ष की उम्र में ही धर्म प्रचारक और समाज सेवा जैसे कार्य करना शुरू कर दिए थे। इसी कारण यीशु को लोगों के मसीहा के रूप में जाना जाता है।
ईसा मसीह का जीवन परिचय
माना जाता है कि यीशु मसीह का जन्म 4 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य के बेथलेहम में 25 दिसम्बर को हुआ था। इसी कारण 25 दिसम्बर को Christmas Day के रूप में मनाया जाता है।
ईसा मसीह के पिता का नाम जोसफ और माता का नाम मरियम था। यीशु के जन्म के समय इनके माता-पिता युहुदी प्रान्त के बेथलेहम गाँव में थे। उसी समय एक रात अस्तबल में भेड़ों के बीच इनका जन्म हुआ। ईसा मसीह के जन्म के बारे में सबसे पहले गड़ेरियों को पता चला, उस रात उनकी माता भेड़ों के साथ उनके घर में थी।
Jesus Christ Biography in Hindi
ईसा मसीह के जीवन की कहानी और सभी के जीवन से काफी अलग है क्योंकि यीशु का जन्म एक रहस्यमय तरीके से हुआ था। उनके जन्म के समय उनकी माता मरियम कुँवारी थी, उस समय केवल उनके माता-पिता की सगाई हुई थी और जोसफ बढ़ई का काम करते थें।
जब माता मरियम को देवता ने आकर बोले कि आपका एक संतान होने वाला है, तभी माता मरियम यीशु के जन्म को लेकर डर गयी कि ऐसा कैसा हो सकता है अभी हम तो कुंवारी है।
आगे चलकर यीशु मसीह ने रोमन साम्राज्य के राजाओं की बात नहीं मानी थी, इस कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.और उन्हें रोमन के कट्टरपंथी शासक पिलातुस को सौंप दिया। पिलातुस के सहयोगियों ने यीशु को हथोडा से बहुत मारा और अंत में उन्हें क्रूस पर लटकाया गया। जिस दिन क्रूस पर चढ़ाया गया, वह शुक्रवार का दिन था, इसलिए उस दिन को Good Friday के रूप में मनाया जाता है। यीशु मरने के बाद रविवार को फिर से जिन्दा हो गए, इसलिए रविवार को ‘इस्टर’ मनाया जाता है।
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