जिस तरह किसी राष्ट्र का प्रमुख राष्ट्रपति होता है, ठीक उसी तरह राज्य का प्रमुख राज्यपाल होता है. राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान एवं राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है. यह प्रत्यक्ष रूप से या अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से कार्यपालिका का कार्य करता है. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल कार्य करता है. यह जानने के बाद आपके मन में सवाल होगा कि Rajyapal ki Niyukti Kaun Karta Hai? राज्यपाल का कार्यकाल कितना होता है?
राज्यपाल राज्य का संरक्षक व मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है और देश के संघीय ढाँचे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. संविधान के भाग-6 के अनुच्छेद 153 में प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल का प्रावधान का उल्लेख है. इसके साथ ही एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जा सकता है.
राज्यपाल किसे कहते हैं?
राज्य के संवैधानिक प्रधान के व्यक्ति को राज्यपाल कहा जाता है. राज्यपाल राज्य का प्रमुख कार्यपालिका होता है, राज्य की शासन-व्यवस्था इसमें निहित होता है. वह मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करता है, परंतु उसकी संवैधानिक स्थिति मंत्रिपरिषद की तुलना में अधिक सुरक्षित है.राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति के समान असहाय नहीं है, राष्ट्रपति के पास मात्र विवेकाधीन शक्ति ही है, इसके अलावे वह सदैव प्रभाव का ही प्रयोग करता है. किंतु राज्यपाल को संविधान प्रभाव तथा शक्ति दोनों देता है.
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. राज्य के राज्यपाल का चुनाव न जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है और न ही राष्ट्रपति चुनाव की तरह अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के द्वारा. इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर देश का राष्ट्रपति करता है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 में उल्लेख है कि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी. किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफ़ारिश पर करता है.
राज्यपाल के लिए योग्यता
- उम्मीदवार भारत देश का नागरिक हो.
- आवेदक का उम्र 35 वर्ष से अधिक होना चाहिए.
- उम्मीदवार राज्य विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करने की योग्यता रखता हो.
- अभ्यर्थी किसी प्रकार के सरकारी पद पर न हो.
राज्यपाल का कार्यकाल कितना होता है?
राज्य के राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि का होता है. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा पांच वर्षों की अवधि के लिए की जाती है. राज्यपाल पांच वर्ष की अवधि पूरा होने के बाद भी तब तक अपने पद पर बने रहता है. जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है. कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रतिदिन वेतन के आधार पर अपना पद बना रहता है.
राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर राष्ट्रपति के द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति होती है. राज्यपाल पद ग्रहण करने से पूर्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के सम्मुख राज्यपाल पद का शपथ लेता है. उच्चतम न्यायालय नें वर्ष 1979 में एक व्यवस्था की थी, जिसके अंतर्गत राज्यपाल को केंद्र सरकार के आधीन नहीं माना गया था. इसे एक स्वतंत्र संवैधानिक पद के रूप में मान्यता दी गयी थी. दो अन्य परम्पराओं का अनुपालन राज्यपाल के चयन में किया जाता है.
- किसी भी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नियुक्त नहीं किया जायेगा, जिस राज्य वह निवासी है. राज्यपाल की नियुक्ति गृहराज्य में नहीं होगा.
- राज्यपाल की नियुक्ति से पहले राष्ट्रपति राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श लें.
राज्यपाल का वेतन कितना होता है?
राज्यपाल का वेतन 3,50,000 रूपये प्रतिमाह होता है. वेतन के अलावे अन्य भत्ते भी मिलता है. दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपालों को सभी राज्यों का वेतन का दिया जाता है.
राज्यपाल के कार्य और शक्तियां
- राज्य के समस्त कार्यपालिका सम्बन्धी कार्य राज्यपाल के नाम पर होता है.
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति तथा मुख्यमंत्री की सलाह पर उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है.
- मंत्रिपरिषद के सदस्यों को पद की शपथ दिलवाता है.
- राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों जैसे, महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है.
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है.
- राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य का प्रशासन संभालता है.
- विश्वविद्यालयों के कुलपति भी राज्यपाल होता है. और यह उपकुलपतियों की नियुक्ति भी करता है.
- विधानसभा का अभिन्न अंग राज्यपाल होता है.
- यह विधान सभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है.
- इसे विधान परिषद् के कुल सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार है.
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राज्यपाल वित्तमंत्री को विधान मंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहता है.
- धन-विधेयक विधान सभा में राज्यपाल की अनुमति से ही पेश किया जाता है.
- अनुदान की किसी माँग को राज्यपाल की संस्तुति के बिना विधान मंडल के सम्मुख नहीं रखा जा सकता है.
- न्याय सम्बन्धी अधिकार भी राज्यपाल को प्राप्त है.
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