संस्कृति किसे कहते हैं? अर्थ, परिभाषा, महत्व और संस्कृति की विशेषताएँ क्या हैं? संस्कृति पर निबंध

संस्कृति हमारे जीवन जीने का तरीक़ा है जो हमें हमारे पूर्वजों से उत्तराधिकार में मिलता है। हमारा भोजन, हमारा पहनावा, हमारी भाषा ही हमारी संस्कृति बताती है, और ये सभी हमें खुद शुरू नहीं किया है बल्कि अपने पूर्वजों को देखकर अपनाया है। और आज हम संस्कृति का अर्थ, परिभाषा और प्रमुख विशेषताएँ के साथ-साथ यह जानने वाले हैं कि संस्कृति किसे कहते हैं?

संस्कृति क्या होती है?

किसी समाज में कई वर्षों से व्याप्त संस्कार, भाषा, पहनावा, भोजन, कला, दर्शन, आस्था एवं लोगों के व्यवहार का समग्र रूप संस्कृति कहलाती है। उदाहरण के लिए, जो भाषा आप बोलते हैं, जिस तरह के भोजन आप खाते हैं, जिस तरह के कपड़े पहनते हैं या फिर आपके विश्वास किस तरह के हैं, ये सब आपने शुरू नहीं किया है। पहले से ही ऐसा होता रहा है, और आपने सिर्फ़ अपने पूर्वजों से उन्हें अपनाया है। ये सभी बातें संस्कृति से जुड़ी हैं।

पर्व-त्योहार, रीति-रिवाज एवं सामाजिक परम्पराएँ, ये सब हमारी संस्कृति के अंग हैं। हमारी भाषा, कला, संगीत, साहित्य, वास्तुविज्ञान, शिल्पकला, दर्शन, धर्म और विज्ञान ये सभी हमें अपने पूर्वजों से प्राप्त हुए हैं। संस्कृति हमारे जीवन जीने का तरीक़ा है, जो हमें हमारे पूर्वजों से उत्तराधिकार में मिला है।

संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ

  • संस्कृति सीखी जाती है और प्राप्त की जाती है; और जिस समाज में आप रहते हैं वहीं से आप इन्हें सीखते हैं।
  • संस्कृति संचयी होती है यानी यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ती रहती है।
  • सामाजिक वातावरण से प्रभावित होकर संस्कृति बदलती रहती है।
  • समय के साथ नए ज्ञान, विचार और परम्पराएँ संस्कृति के साथ जुड़ती रहती हैं।
  • संस्कृति में धर्म, जाति और भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार भिन्नता होती है।

संस्कृति का महत्व

संस्कृति जीवन जीने का तरीक़ा है और यह हमारे जीवन से हमेशा जुड़ी होती है। यह हमें सामाजिक प्राणी बनाती है। संस्कृति परंपराओं से, विश्वासों से, जीवन की शैली से, आध्यात्मिक व भौतिक पक्ष से जुड़ी है। यह हमें जीवन का अर्थ व जीने का तरीक़ा सिखाती है। मानव ही संस्कृति का निर्माता है, और संस्कृति ही मानव को मानव बनाती है।

यह संस्कृति ही है, जो हमें दर्शन और धर्म के माध्यम से सत्य के निकट लाती है। हमारे धर्मपरायण भारतीयों में भक्ति कूट-कूट कर भरी है। उनको लगता है कि पूजा-पाठ करने से उनका हर बिगड़ा काम बन जाएगा। इस श्रद्धा में भय की भी भूमिका होती है। उनमें सोच है कि ग़लत काम करने पर, झूठ बोलने पर, चोरी करने पर दंड मिलता है। संस्कृति लगातार चलती रहती है। यह कभी ख़त्म नहीं होती। संस्कृति जीवन जीने का तरीक़ा है।

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