रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां और विशेषताएँ

रीतिक़ालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां हैं: वीरता, आलंकारिकता, छंद विधान, प्रकृति चित्रण, नीति, शिल्प, और भक्ति भावना। रीतिकाव्य की प्रवृत्तियाँ जैसा कि आप जानते हैं कि रीतिकालीन साहित्य का निर्माण …

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रीतिकाल का नामकरण, सीमांकन और प्रवृत्तियाँ

रीतिकाल का नामकरण और सीमांकन

साहित्य के क्षेत्र में प्राय: ऐसा देखा गया है कि किसी भी कालखण्ड के निर्माण में अनेक प्रवृतियाँ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान रहती हैं। तथा ये प्रवृत्तियाँ समय …

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रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थिति व रीतिकाव्य की साहित्यिक परिस्थिति

रीतिकाल की परिस्थितियाँ

रीतिकाल में अधिकांश साहित्य मुगल संस्कृति से प्रभवित राज्याश्रय में रचा गया। रीतिकाल में सम्राट या बादशाह दरबारी संस्कृति के प्रधान केन्द्र थे और उन्होंने कवियों और कलाकारों को आश्रय …

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रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ, रचनाएँ और प्रवृत्तियाँ: रीतिकाल क्या है?

रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास को चार भागों में विभाजित किया है- वीरगाथाकाल, भक्तिकाल, रितिकाल तथा आधुनिक काल। और आज हम रीतिकालीन काव्यों की प्रमुख विशेषताएँ, रचनाएँ …

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