अपने विचारों को प्रकट करने के लिए हम सभी भाषा का प्रयोग करते हैं. भाषा का सही-सही प्रयोग करने के लिए उसके नियमों का ज्ञान होना आवश्यक होता है. व्याकरण के ज्ञान के बिना भाषा का सही प्रयोग करना असंभव है. व्याकरण का ज्ञान होने पर ही भाषा के प्रयोग में दक्षता प्राप्त की जा सकती है. तो आज मैं आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि व्याकरण किसे कहते हैं? व्याकरण के कितने भेद होते हैं? और कौन-कौन.
व्याकरण किसे कहते हैं?
जिस यन्त्र या शास्त्र के द्वारा हम भाषा को ठीक से बोलने और लिखने सीखते हैं, उसे व्याकरण कहते हैं. भाषा की सम्पूर्ण ज्ञान में व्याकरण की अहम् भूमिका होती है. व्याकरण की सहायता के बिना हम भाषा को सही तरीके से बोल व लिख नहीं सकते हैं. अत: भाषा के ज्ञान में व्याकरण की काफी महत्त्व होती हैं.
व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, क्रिया-विशेषण, समास, अलंकार आदि की ज्ञान प्राप्त की जाती है. किसी भी भाषा में बोलने-लिखने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना अनिवार्य होता है.
व्याकरण के कितने भेद होते हैं और कौन-कौन
व्याकरण के तीन भेद होते हैं,
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- वाक्य विचार.
वर्ण-विचार किसे कहते हैं?
वर्ण का मतलब ‘अक्षर‘ होता है. वर्णों के मेल से शब्द बनते हैं. व्याकरण के जिस भाग में वर्णों के आकार, उच्चारण और उनके मेल से शब्द बनने का अध्ययन किया जाता है, उसे वर्ण-विचार कहते हैं. वर्ण-विचार में वर्णमाला को पढ़ा जाता है.
वर्ण हिंदी भाषा की सबसे छोटी और मूल इकाई है, इन्हें तोड़ा नहीं जा सकता यानि कि वर्ण का संधि-विच्छेद नहीं किया जा सकता है. क, ख, ग, और अ, आ, इ वर्ण होते हैं, वर्णों के मेल से ही शब्दों का निर्माण होता है. हिंदी भाषा सीखने में सबसे पहले हम वर्ण को पढने और लिखने सीखते हैं. उसके बाद वर्णों से शब्द बनाते हैं.
हिंदी व्याकरण में वर्णों की कुल संख्या 52 है. इन्हीं वर्णों से शब्द और वाक्य का निर्माण होता है. हिंदी वर्णमाला के अध्ययन के बिना हिंदी भाषा को समझना और बोलना संभव नहीं है.
वर्ण दो प्रकार के होते हैं,
- स्वर वर्ण- इन वर्णों की कुल संख्या 11 है, इसके अलावे एक अनुस्वार (अं) और एक विसर्ग (अ:) है.
- व्यंजन वर्ण- इन वर्णों की कुल संख्या 33 है, इसके साथ ही दो द्विगुण व्यंजन (ड़ और ढ़) तथा चार संयुक्त व्यंजन (क्ष,त्र,ज्ञ,श्र) है.
शब्द-विचार किसे कहते हैं?
व्याकरण के जिस विभाग में शब्दों की उत्पति, विकास, आगमन और अर्थ आदि का अध्ययन किया जाता है, उसे शब्द-विचार कहते हैं. शब्द हिंदी भाषा के व्याकरण में द्वितीय खंड में आती है.
जिनका निर्माण दो या दो से अधिक वर्णों से मेल से होता है, और इनका सार्थक अर्थ भी होता है. उदाहरण के लिए ज और ल दो वर्ण है. ज+ल मिलकर जल बना, जिसका मतलब पानी होता है. यानि जल एक शब्द है, जो ज और ल वर्ण से मिलकर बना है.
हर भाषा में बहुत से शब्द होते हैं. इन सबके समूह को उस भाषा का शब्द-भंडार कहते हैं. सभी भाषाएँ अपनी आवश्यकता के अनुसार दूसरी भाषाओँ से शब्द ग्रहण करती रहती है या नए शब्दों का निर्माण करती रहती है.
हिंदी व्याकरण में शब्द कई प्रकार की होती है, जैसे- तत्सम शब्द, तद्भव शब्द, विकारी शब्द, अविकारी शब्द, सार्थक शब्द, निरार्थक शब्द, रूढ़ शब्द, यौगिक शब्द, योगरूढ़ शब्द इत्यादि.
वाक्य-विचार किसे कहते हैं
व्याकरण के जिस विभाग में वाक्य की उत्पति, वाक्य के भेद, वाक्य की बनावट, शब्दों के आपसी सम्बन्ध और पदों का क्रम जाना जाता है, उसे वाक्य-विचार कहते हैं. भाषा की सबसे छोटी इकाई वाक्य है, जो शब्दों के मेल से बनती है. प्रत्येक वाक्य की एक निश्चित बनावट होती है.
दो या दो से अधिक शब्दों के समूह जो एक सार्थक अर्थ प्रदान करते हैं, वह वाक्य कहलाते हैं. उदहारण के लिए
- राम बहादुर लड़का है.
- सीता बहुत संदुर है.
- मोहन आलसी बच्चा है.
इन वाक्यों का सार्थक अर्थ पता चल रहा है. जैसे राम कैसा लड़का है, तो ‘बहादुर‘, सीता सुन्दर है, और मोहन आलसी है.
वाक्य के भेद
रचना और अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद होते हैं,
- रचना के आधार पर तीन वाक्य होते हैं,
- सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य, मिश्रित वाक्य.
- अर्थ के आधार पर आठ वाक्य भेद होते हैं,
- विधान वाचक वाक्य, निषेधवाचक वाक्य, प्रश्नवाचक वाक्य,
- आज्ञा वाचक वाक्य, इच्छा वाचक वाक्य, संदेह वाचक वाक्य,
- विस्मय वाचक वाचक, संकेत वाचक वाक्य.
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आपने इस पोस्ट में हिंदी ग्रामर के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद