पद्मासन का अभ्यास करने से मेरुदंड के निचले भाग एवं आमाशय में फैली तंत्रिकाओं को पोषण प्राप्त होता है। इससे रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है और इसके कारण पैर, मांसपेशियों तथा स्नायु तंत्र के स्वास्थ्य में त्वरित वृद्धि होती है। आइए जानते हैं Padmasana Kaise Kare? पद्मासन करने की विधि, फ़ायदे और सावधानियाँ।
Padmasana Kya Hai?
पद्मासन में हमें लम्बे समय तक शरीर को बिना हिलाए-डुलाये और बिना कष्ट दिए बैठे रहना होता है। ध्यान की अनुभूति शरीर को कुछ समय तक स्थिर और शांत रखने पर ही प्राप्त की जा सकती है। मेरुदंड को सीधा रखना और ध्यान की अनुभूति करना ही पद्मासन कहलाता है।
शवासन (Shavasana) इन शर्तों को पूरा तो करता है, पर शवासन में नींद आने की आशंका रहती है। अत: पद्मासन शरीर को बिना हलाये-डुलाये तीन- चार घंटे तक स्थिर बैठने की क्षमता प्राप्त करने वाला अच्छा आसन है। इसमें आप ध्यान एवं प्राणायाम की उच्च अवस्थाओं की साधना करने हैं। इसमें आप मस्तिष्क को एक बिंदु पर केन्द्रित कर आत्मिक आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं।
Padmasana Kaise Kare?
पद्मासन में धड और सिर इस तरह सीधे रहते हैं, मानो वे पत्थर से बने खम्भे हों और पैरों को आधार प्रदान करते हों।
- पद्मासन योगासन करने के लिए सबसे पहले आपको जमीन पर कुछ बिछा लेना चाहिए जो उपलब्ध है, चटाई, कम्बल, गद्दा आदि।
- उसके बाद दोनों पैरों को फैला कर बैठ जाएँ।
- फिर धीरे-धीरे सावधानी पूर्वक एक पैर के पंजे को दुसरे जांघ पर व दुसरे को पहले जांघ पर रखें।
- तलवा ऊपर की ओर रखना है तथा एडी पेट के अग्रभाग के निचले हिस्से को स्पर्श करेगी।
- अंतिम स्थिति में दोनों घुटने जमीन को स्पर्श करें, तभी पद्मासना की स्थिति पूरी होगी।
- सिर और मेरुदंड सीधे और कंधे तनाव मुक्त रखें. हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें।
- कोहनियों को थोडा मोड़ते हुए भुजाओं को विश्राम दें और देख लें कि कंधे उठे या झुके हुए न हों।
- आँखें बंद कर लें और सम्पूर्ण शरीर को शिथिल छोड़ दें।
- अपने शरीर के आकृति का आवलोकन करें। आगे पीछे खिसककर शरीर को पूरी तरह संतुलित और एक सीधा में कर लें।
- शरीर का पूरी तरह एक सीधा में होना ही पद्मासन की सही स्थिति है।
पद्मासन के फ़ायदे
- पद्मासन योग करने से मेरुदंड के निचले भाग पर दबाव पड़ता है इससे तंत्रिका-तंत्र पर विश्राम दायक प्रभाव पड़ता है।
- इस आसन में श्वास धीमी हो जाती है. पेशीय तनाव घट जाता है। रक्त चाप में गिरावट आती है।
- मेरुदंड के निचले भाग एवं आमाशय में फैली तंत्रिकाओं को पोषण प्राप्त होने से पैरों में खून का प्रभाव कम हो जाता है।
- इससे अमाशय को खून की अतिरिक्त आपूर्ति होती है।
- ये आसन करने से जठराग्नि भी तीव्र होती है और भूख बढती है।
- दमा के रोगियों के लिए पद्मासन बहुत ही लाभकारी है।
- इस आसन को करने से शरीर का जोश (Vitality) बढ़ता है।
- योग शरीर और मन का संतुलन तो बढाता ही है, हमारे शारीरिक क्रियाओं में भी सहायक है।
- जैसे कि सेक्स भी मानव जीवन का अभिन्न अंग है।
- इससे कूल्हों के जॉइंट, मांसपेशियां, पेट, मूत्राशय और घुटनों में खिंचाव आता है, जिससे इनमें मजबूती आती है।
- निचे का पैर लिंग मूल में स्थित होकर मूलाधार चक्र को दबाता है।
- परिणामस्वरूप योग ऊर्जा-तरंगे मेरुदंड से होकर मस्तिष्क तक पहुँचने लगती हैं और सारे चक्र सही से कार्यान्वित हो जाते हैं।
पद्मासन करते समय सावधानियाँ
- जो लोग साईंटिका (Sciatica) रोग से पीड़ित उसे नहीं करना चाहिए।
- जिनके घुटने कमजोर हैं या उस में चोट लगी है, वह व्यक्ति इस आसन को न करें।
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