चोर-चोर मौसेरे भाई का अर्थ, मतलब और उदाहरण

जब भी कोई व्यक्ति कुछ ग़लत काम करता है, और अगर उसका दोस्त उसको बचाने के लिए अच्छी बातें करता है तो कई बार आपने लोगों को चोर-चोर मौसेरे भाई कहते हुए सुना होगा। तो आख़िर इस मुहावरे का मतलब क्या है, आज हम इसी के बारे में जानेंगे कि चोर-चोर मौसेरे भाई का अर्थ क्या होता है?

चोर-चोर मौसेरे भाई का मतलब 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि एक समान सोच और रुचि रखने वाले लोगों में काफ़ी अच्छी दोस्ती और घनिष्ठता होती है। और वैसे तो अधिकतर भले लोग एक साथ नहीं जुटते, लेकिन जबकि कुमार्गियों की एकता काफ़ी आसानी से देखी जा सकती है।

एक तस्कर के साथ दूसरे तस्कर की मैत्री आसानी से हो जाती है और एक चोर दूसरे चोर के साथ सुगमता से मिल जाता है। ऐसी एकता संभ्रांत लोगों में नहीं पाई जाती; क्योंकि उनमें वैचारिक मतभेद होता है। इसके विपरीत सामान्य दुष्प्रवृत्तिवाले लोगों में मैत्री आसान होती है। इसी कारण कहा गया है कि चोर-चोर मौसेरे भाई होते हैं।

हमारे आसपास भ्रष्टाचार और लूट की धूम मची हुई है। इस वातावरण में कोई भी आदमी दुष्प्रवृत्तियों से अपने-आप को नहीं बचा पा रहा है। सभी अपने-अपने स्तर पर देश को लूटने में लगे हैं और इस धरातल पर सभी एक-दूसरे के सगे-संबंधी बन गए हैं। चोरों और भ्रष्टाचारियों के बीच संबंध स्थापित करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता, वे तो स्वयं ही मौसेरे भाई होते हैं।

इसे भी पढ़ें: अंधेर नगरी, चौपट राजा का मतलब

Leave a Comment