विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के भावी जीवन की वो आधार-शिला है जिसके दम पर कोई भी रंक से राजा बन सकता है। छात्र शब्द का अर्थ है, छत्र की तरह शीलवाला यानी जिस तरह छाता स्वयं गर्मी और वर्षा के दुःख को झेलकर जिस तरह से दूसरे को सुख पहुँचाता है इसी तरह जो स्वयं कष्ट सहकर समाज, राष्ट्र एवं विश्व का कल्याण करे, वही आदर्श छात्र है। और आज आप ‘आदर्श विद्यार्थी पर निबंध’ के माध्यम से जानने वाले हैं कि आदर्श विद्यार्थी के १० गुण कौन-कौन से हैं?
आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो मन लगाकर पढ़ाई करे, जो छात्र जीवन को परिश्रम, अनुशासन, संयम एवं नियम के साथ व्यतीत करे, जो अपने माता-पिता और गुरुजनों के साथ विनम्र रहे और उनका मान-समान और प्रतिष्ठा बढ़ाए। आदर्श विद्यार्थी फूलों की सेज पर नहीं पलटा है, बल्कि कठिनाइयों के चक्रव्यूह से निकलकर अपना रास्ता खुद बनाता है।
आदर्श छात्र जानता है कि विद्या प्राप्ति का कोई सरल और संक्षिप्त रास्ता नहीं होता है। विद्या प्राप्त करने के लिए साधना करनी होती है और साधना के लिए समय बहुत आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन उसी साधनावस्था का समय है जिसमें छात्र-छात्राएँ अपने जीवन को उपयोगी बनाने के लिए अनंत गुणों का संचय करते हैं, ज्ञानवर्धन कर अपने मन एवं मस्तिष्क को परिष्कार करते हैं।
अगर आप भी एक आदर्श विद्यार्थी बनना चाहते हैं तो आपको विनम्र होना सीखना होगा। नम्रता के साथ-साथ अनुशासनप्रिय भी होना चाहिए। अनुशासनहीन छात्र का न तो मानसिक विकास होता है और न ही बौद्धिक। वह उन गुणों से हमेशा के लिए वंचित हो जाता है, जो मनुष्य को प्रतिष्ठा के पद पर आसीन करते हैं। इसलिए विद्यार्थी जीवन संयमित और नियमित होना चाहिए। जीवन के नियमों का उचित तरीक़े से पालन करने वाले विद्यार्थी जीवन में कभी असफल नहीं होते हैं।
विद्यार्थी को हमेशा परिश्रम पर ज़ोर देना चाहिए। कक्षा में पढ़ाए गए विषयों को ध्यानपूर्वक सुनकर उन्हें समझने और मनन करने का प्रयत्न करना चाहिए। कक्षा में ही नहीं, बल्कि घर जाकर भी परिश्रम से उस विषय को याद करना चाहिए। स्वाध्याय के प्रति छात्रों को कभी भी प्रमाद या आलस्य नहीं करना चाहिए। बिना परिश्रम किए विद्या प्राप्ति नहीं हो सकती, यही वजह है कि सुखार्थी और विद्यार्थी में बहुत अंतर होता है।
विद्यार्थी समाज के आशा होते हैं, राष्ट्र के भावी कर्णधार होते हैं, विश्व के प्रेरणास्रोत होते हैं, और उन्हें या कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि आग में तपकर ही कनक कुंदल बनता है। यदि वे स्वयं साधना-अनल में तपेंगे नहीं, तो खरे बनकर कैसे निखरेंगे?
आदर्श विद्यार्थी के 10 गुण
- आदर्श विद्यार्थी को स्वाध्यायी और परिश्रमशील होना चाहिए क्योंकि बिना परिश्रम किए विद्या आ नहीं सकती।
- एक आदर्श विद्यार्थी को विनम्र और अनुशासनप्रिय होना चाहिए।
- विद्यार्थी जीवन संयमित तथा नियमित होना चाहिए।
- अच्छे विद्यार्थी में श्रद्धा के साथ-साथ जिज्ञासा भी होनी चाहिए।
- आदर्श छात्र विद्यार्जन के क्षेत्र में काकचेष्टा, बकध्यान, श्वान-निद्रा, अल्पाहार और गृहत्याग का आदर्श अपनाता है।
- अच्छे विद्यार्थी कभी भी अपना समय व्यर्थ की बातों में नहीं बिताते।
- आदर्श विद्यार्थी के जीवन का ध्येय ही अध्ययन होता है, न कि समय का अपव्यय।
- सादा जीवन उच्च विचार की सोच के साथ एक आदर्श छत्र का जीवन बितता है।
- आदर्श छात्र वही है जो सुयोग्य बनकर माता-पिता की प्रतिष्ठा बढ़ाए।
- एक आदर्श विद्यार्थी सिर्फ़ परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान अर्जित करने के लिए अध्ययन करता है।
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