लोकतंत्र में समाचार पत्रों का महत्त्व (निबंध) Importance of Newspapers in Democracy

मनुष्य स्वभाव से जिज्ञासु है। वह जिस समाज में रहता है, उसकी पूरी जानकारी चाहता है। इस बहाने वह शेष दुनिया से भी जुड़ता है। उसके सुख-दुःख में सुखी-दुखी होता है। इसी प्रवृत्ति के कारण ही समाचार-पत्र का उदय हुआ। Latest News और ताज़ा खबरों के बारे में जानने के लिए लोग काफ़ी उत्सुक रहते हैं कि देश-दुनिया में क्या चल रहा है। आजकल तो मोबाइल में ही कई न्यूज़ साइट्स और एप्स उपलब्ध हैं, जिनसे आज की खबर आज ही तुरंत मिल जाती है। इस वजह से समचर-पत्रों की मार्केट में थोड़ी गिरावट ज़रूर हुई है, लेकिन आज भी सभी के लिए सबसे आधिकारिक स्रोत अख़बार ही है।

समाचार-पत्र किसे कहते हैं?

समाचार-पत्र का तात्पर्य उस दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक पात्रा से है जिसमें देश-विदेश की जानकरियाँ छपी होती हैं और वह आम जनता के लिए सुलभ होता है

विश्व में सबसे पहला समाचार-पत्र कहाँ से शुरू हुआ, इसके बारे में विवाद है। भारत में पहला समाचार-पत्र ‘इंडिया गजट’ नाम से प्रकाशित हुआ।

हिंदी का सर्वप्रथम समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ कोलकाता से प्रकाशित हुआ। आज हिंदी-अंग्रेजी के सैकड़ों समाचार-पत्र निकल रहे हैं। इनमें से प्रमुख हैं- हिंदुस्तान, हिंदुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, ट्रिब्यून, स्टेट्समैन, टाइम्स ऑफ इंडिया, दैनिक जागरण, जनसत्ता, पंजाब केसरी, अमृत बाज़ार पत्रिका, पायोनियर, इंडियन एक्सप्रेस, आदि।

लोकतंत्र में समाचार पत्रों का महत्त्व

समाचार-पत्र लोकतंत्र का सजग प्रहरी है। लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि जनता सब कुछ जाने और अपनी इच्छा-अनिच्छा को प्रकट करे। ऐसी जनता ही जागरूक और लोकतंत्र के योग्य कही जाती है। जनसत्ता का ध्येय-वाक्य इस दृष्टि से बहुत सटीक है- “सबकी खबर ले, सबको खबर दे।” बड़े-बड़े तानाशाह भी समाचार-पत्र से भयभीत रहते हैं। नेपोलियन कहा करते थे- “मैन लाखों संगीनों की अपेक्षा तीन विरोधी समाचार-पत्र से अधिक डरता हूँ।”

आजकल समाचार-पत्र पाठकों की ज्ञान-वृद्धि भी करते हैं। विशेष रूप से रविवारीय पृष्ठों में छपी जानकरियाँ, नित्य नए आविष्कार, नए साधन, नए पाठ्यक्रमों की जानकारी, अद्भुत संसार की अद्भुत जानकरियाँ पाठकों का ज्ञान बढ़ाती हैं। रोगों को छापकर जनता को प्रभावित कर सकते हैं।

समाचार-पत्र मनुष्य को विश्वभर से जोड़ता है। सुबह होते ही सारे संसार की महत्वपूर्ण जानकरियाँ समाचार-पत्र द्वारा उपलब्ध हो जाती हैं। इसलिए जेम्स एलिस ने कहा था- “समाचार-पत्र संसार के दर्पण हैं।” उसे देखकर आप समय की गति और स्वभाव को जान सकते हैं। किसी देश या प्रांत की स्थिति जाननी हो तो उस क्षेत्र का दैनिक समाचार-पत्र देख लें।

बीचर का यह कथन एकदम ठीक है कि ‘समाचार-पत्र साधारण जनता के शिक्षक हैं।” समाचार-पत्रों के सम्पादक, संवाददाता या अन्य अधिकारी जिस समाचार को जिस ढंग से देना चाहें, दे सकते हैं। वे किसी भी घटना को जनता के लिए सुखद बनाकर पेश कर सकते हैं। आम जनता समाचार-पत्रों से सीधे प्रभावित होती है।

समाचार-पत्रों में जनता के विचार जानने के लिए भी कॉलम होते हैं। उसके द्वारा जनता अपने विचार सरकार या समाज तक पहुँचाती है। इससे भी जनमत जानने में सहायता मिलती है। विभिन समाज-सुधारक, चिंतक, विचारक, आंदोलनकर्त्ता, क्रांतिकारी अपने विचारों को ठापकर जनता को प्रभावित कर सकते हैं।

आजकल समाचार-पत्र पाठकों के लिए मनोरंजन की रंग-बिरंगी सामग्री लेकर उपस्थित होते हैं। खेल-संसार, फ़िल्मी संसार, चुटकुले, कहानियाँ, पहेलियाँ, रंग-भरो प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चे, किशोर और तरुण भी समाचार-पत्रों पर जान छिड़कते हैं। समाचार-पत्रों से सर्वाधिक लाभ व्यापारियों, उद्योगपतियों और फैक्ट्रियों को होता है। प्रचार और विज्ञपन के द्वारा इनका माल रातोंरात देशव्यापी बन जाता है।

समाचार-पत्र अलादीन के चिराग़ की भाँति सबका सेवक है। वह बेरोज़गारों को रोजगार दिलाता है, पत्नीविहीनों को पत्नी दिलाता है, सूनी गोद वालों को बच्चे गोद दिलाता है। नौकरों को काम दिलवाता है तो मालिकों को नौकर दिलवाता है। इसके माध्यम से हम अपनी सम्पत्ति खरीद-बेच सकते हैं, सोना-चाँदी और शेयरों के दैनिक भाव जान सकते हैं। सचमुच समाचार-पत्र सांसारिक सिद्धियों का भंडार है। यह ऐसा शब्द-संसार है जिसमें पूरा संसार बसा है।

आजकल इंटरनेट के आ जाने से समाचार-पत्रों का ऑनलाइन संस्करण भी सभी के स्मार्टफ़ोन में उपलब्ध हो जाता है। इसके अलावा कैसे न्यूज़ वेबसाइट्स हैं जो आज की ताज़ा खबर आपको तुरंत ही बता देती हैं। इस वजह से समाचार-पत्रों की मार्केट में थोड़ी गिरावट ज़रूर हुई है, लेकिन आज भी समाचार-पत्र जितना आधिकारिक स्रोत कोई नहीं है जिसे सभी लोग मानते हों।

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