संवाद-लेखन की परिभाषा और विशेषताएँ (उदाहरण) संवाद-लेखन क्या होता है?

संवाद का शाब्दिक अर्थ है बातचीत; इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। दो लोगों के बीच हुई बातचीत को लिखना ही ‘संवाद-लेखन’ है। आपने हिन्दी की पुस्तकों में कई संवाद पढ़े होंगे, जिसमें कहानी को बातचीत के ढंग से लिखा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी कहानी में अगर दो लोग हैं तो सबसे पहले पहला व्यक्ति बोलेगा, उसके बाद दूसरा व्यक्ति उसका उत्तर देगा। और इस बातचीत को लिखना ही संवाद-लेखन है।

संवाद-लेखन की परिभाषा

दो अथवा दो-से अधिक व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत को लिखना ही ‘संवाद-लेखन’ कहा जाता हैयह कहानी, उपन्यास, एकांकी, नाटक आदि की जान है। इसके माध्यम से पात्रों की सोच, चिंतन-शैली, तार्किक क्षमता और उससे चरित्र का पता चलता है। नाटकों के संवादों से कथावस्तु का निर्माण होता है।

संवाद-लेखन की विशेषताएँ

संवाद के वाक्यों में स्वाभाविकता होनी चाहिए, बनावटीपन नहीं। लम्बे-लम्बे कठिन और उलझे हुए संवाद प्रायः बनावटी हुआ करते हैं। अच्छा संवाद-लेखक ही नाटक, रेडियो नाटक, एकांकी तथा कथा-कहानी लिखने में कुशलता हासिल करता है।

भाषा, बोलनेवाले के अनुसार थोड़ी-थोड़ी भिन्न होती है। उदाहरण के रूप में एक अध्यापक की भाषा छात्र की अपेक्षा ज़्यादा संतुलित और सारगर्भित होगी। एक पुलिस अधिकारी की भाषा और अपराधी की भाषा में काफ़ी अंतर होगा। इसी तरह दो मित्रों या महिलाओं की भाषा कुछ भिन्न प्रकार की होगी। दो व्यक्ति, जो एक-दूसरे के शत्रु हैं- की भाषा अलग होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि संवाद-लेखन में पात्रों के लिंग, उम्र, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।

संवाद-लेखन में इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए कि वाक्य-रचना सजीव हो; शैली सरल और भाषा बोधगम्य हो। उसमें कठिन शब्दों का प्रयोग कम-से-कम हो। संवाद के वाक्य बड़े न हों, संक्षिप्त और प्रभावशाली हों। मुहावरेदार भाषा काफ़ी रोचक होती है। अतएव, यथास्थान उनका प्रयोग हो।

संवाद-लेखन का उदाहरण

मोबाइल फ़ोन से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस बारे में दो महिलाओं की बातचीत को संवाद रूप में लिखिए। (उदाहरण स्रोत)
रजनी – अरे सरिता! कैसी हो? ।
सरिता – मैं ठीक हूँ। अरे हाँ कल बेटे का जन्मदिन ढंग से मना लिया?
रजनी – जन्मदिन तो मना लिया पर बेटा स्मार्ट फोन लेने की जिद पर अड़ा हुआ है।
सरिता – तो दिला दो न उसे एक फोन।
रजनी – सरिता, बात फोन की नहीं है। फोन लेकर वह उसी में लगा रहेगा।
सरिता – यह बात तो है। आज लगभग हर बच्चे के पास फोन मिल जाता है, पर इसका दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई पर हो रहा है।
रजनी – आज बच्चे पढ़ते कम हैं, फोन पर ज्यादा समय बिताते हैं।
सरिता – मैंने अपने बेटे को फोन तो दिला दिया पर वह टेस्ट में दो विषय में फेल हो गया।
रजनी – मेरी बेटी को जो पहाड़े पहले से याद थे और वह जमा-गुणा मौखिक करती थी, अब वह मोबाइल में कैलकुलेटर पर करने लगी है।
सरिता – बच्चे गेम खेलकर अपना समय खराब करें, यहाँ तक तो ठीक है पर वे मोबाइल फोन का दुरुपयोग करने लगे हैं।
रजनी – बच्चों को जागरूक कर इसे रोकना चाहिए ताकि वे पढ़ाई में मन लगाएँ। सरिता-यह ठीक रहेगा।

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