सर्व शिक्षा अभियान क्या है? सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य और उद्देश्य

जब केंद्र में अटल बिहारी वायपेयी की सरकार थी, तब प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक योजना शुभारम्भ हुआ था, उस योजना का नाम सर्व शिक्षा अभियान था. अब आपके मन में एक सवाल होगा कि आखिर ये Sarv Shiksha Abhiyan Kya Hai? तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि सर्व शिक्षा अभियान क्या है? Sarv Shiksha Abhiyan ke Lakshy aur Uddeshy क्या है.

इस अभियान का लक्ष्य 6 से 14 आयु वर्ष के सभी बच्चों के लिए मुफ्त प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाना था. इसके साथ ही प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में विकास करना, गरीब-अमीर हर वर्ग के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देना था.

Sarv Shiksha Abhiyan Kya Hai?

सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और विकास के लिए चलाया गया एक कार्यक्रम है. इस अभियान के तहत 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा देने का प्रावधान किया गया था. इस कार्यक्रम के तहत प्रति एक किलोमीटर के दायरे पर एक प्राथमिक स्कूल और तीन किलोमीटर के दायरे पर एक उच्च प्राथमिक स्कूल खोले गए. जिससे सभी वर्ग के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा मिल सकें.

इस अभियान का लक्ष्य देश के गरीब, अमीर, हर वर्ग, जाति के सभी बच्चों को मुफ्त प्राथमिक शिक्षा मुहैया करवाना था. इस उद्देश्य से देश में कई प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक विद्यालय संचालित किये गए. जिससे सभी बच्चे प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपने जीवन को अच्छे से संवार सकें. इसकी शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल हुआ.

वर्त्तमान समय में मुफ्त प्राथमिक शिक्षा के साथ ही सरकार बच्चों को मुफ्त पाठ्यपुस्तक, छात्रवृति, स्कूल ड्रेस, जूता और स्कूल बैग भी देती है. ताकि गरीब बच्चे भी स्कूल ड्रेस, जूता और स्कूल बैग लेकर पढने के लिए स्कूल जा सकें.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा सभी बच्चों को प्रदान करना था. इस कार्यक्रम से भारत में प्राथमिक शिक्षा में बहुत सुधार हुआ. आज के समय में सभी बच्चे प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करते हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है. साक्षरता दर में वृद्धि होने से गाँवों में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या में कमी आई है.

सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत कब हुई?

सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत 2000-2001 में हुई, जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी. इसकी शुरुआत शिक्षा की सार्वभौमिकरण के लिए हुई थी. शिक्षा की सार्वभौमिकरण का मतलब होता है, सभी को शिक्षा प्राप्त हो. यानि प्रारंभिक शिक्षा किसी भी जाति, वर्ग, धर्म, गरीब-अमीर सभी बच्चे को प्राप्त हो.

प्रारंभिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति 1 km की दुरी पर एक प्राथमिक स्कूल खोला गया, जिससे सभी बच्चे स्कूल में जाकर प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर सकें. पहले ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूल बहुत दुरी में रहता था, जिसके कारण गाँव के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा नहीं मिल पाती थी. विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध हो, इस उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम चलाया गया.

Sarv Shiksha Abhiyan ke Lakshy aur Uddeshy

  • सन 2010 तक 6  से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए गुणवत्ता युक्त प्रारंभिक शिक्षा ( कक्षा 1 से 8 तक) की व्यवस्था करना.
  •  प्राथमिक विद्यालयों में 2010 तक छः से चौदह साल के सभी बालक-बालिकाओं का नामांकन करवाना, विद्यालय में ठहराव सुनिश्चित करना.
  • प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करके, संतोषजनक गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध करना.
  • समुदाय की सहभागिता से सामाजिक एवं लैंगिक असमानता को दूर करना.
  • 2010 तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को पूरा करना.
  • सभी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो.

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सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य 

  • 2003 तक सभी बच्चों का नामांकन प्राथमिक विद्यालय में हो.
  • सभी बच्चे 2007 तक कक्षा 5 तक की प्रारंभिक शिक्षा पूरा कर लें.
  • 2010 तक सभी बच्चे कक्षा 8 तक की प्रारंभिक शिक्षा की पढाई पूरी कर लें.
  • संतोषजनक गुणवत्ता वाली शिक्षा और जीवन के लिए शिक्षा पर बल देना.
  • 2007 तक प्राथमिक स्तर एवं 2010 तक उच्च प्राथमिक स्तर पर लैंगिक व सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना.
  • 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में टिके रहने के लिए प्रोत्साहित करना.
  • बालिकाओं, अनुसूचित जनजाति/ जाति के छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं पर विशेष रूप से ध्यान देना.
  • बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम करना.

सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम क्या है? सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य 

  • प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना:- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति एक किलोमीटर की दुरी पर प्राथमिक विद्यालय और 3 किलोमीटर की दुरी पर एक उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गयी थी.
  • शिक्षक -छात्र अनुपात:- विद्यालय स्तर पर कम से कम दो अध्यापकों की सुनिश्चितता की गयी. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक-छात्र अनुपात 40 विद्यार्थियों में एक शिक्षक.
  • नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण:-सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा 1से 8 तक के समस्त बालिकाओं और अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के बालकों के लिए नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाना.
  • अध्यापक प्रशिक्षण:- गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की सुविधा.
  • सामुदायिक प्रशिक्षण- विद्यालयों के प्रबंधन एवं सफल संचालन हेतु गठित समितियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था.
  • समेकित शिक्षा- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के शिक्षण के लिए अध्यापक प्रशिक्षण वैकल्पिक शिक्षा उपकरण, अभिभावक परामर्श आदि की व्यवस्था.
  • विद्यालय अनुदान:-इस अभियान के तहत स्कूल की मरम्त एवं सौन्दर्यकरन के लिए प्रति स्कूल को 2000 रूपये काअनुदान दिया जाता है.
  • शैक्षिक अनुदान-प्रभावी कक्षा शिक्षण के लिए शैक्षिक अनुदान की व्यवस्था.
  • सुधारात्मक शिक्षा

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